डल झील स्वयं में काश्मीर का सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण है और इसके चारों ओर विश्वप्रसिद्ध बाग, दरगाह, मंदिर, होटल व शोरूम मौजूद हैं।
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कुछ वर्ष पहले तक तो हम रेल में भी ए.सी. यात्रा को फालतू का खर्चा मान कर स्लीपर क्लास में खुशी खुशी यात्रा करते रहे हैं। हवाई यात्रा की हमने कभी कल्पना ही नहीं की। अचानक ये अवसर उपस्थित हो गया तो मन रोमांचित हो उठा।
जिस साईं बाबा के द्वार चौबीसों घंटे खुले रहे, आज उनकी समाधि देखने हेतु 200/- का टिकट है। जो जीवन भर चिथड़े धारण किये रहे, आज उनकी स्वर्णजटित मूर्ति मंदिर में प्रतिष्ठित है।
शनि शिंगणापुर में घरों में, बैंक में डाकखाने में, दुकानों पर दरवाज़े नहीं होते, चोरी का कोई डर नहीं है। बैंक भी रात भर खुला रहता है। अपराधियों को शनि देव के प्रकोप का भय उनको अपराध करने नहीं देता है।
एलोरा गुफ़ाएं जिस काल खंड में बनाई गयीं देश में हिन्दू शासक राज्य करते थे और उनको अन्य मतावलंबियों द्वारा अपने मठ और मंदिर बनाने में कहीं कोई आपत्ति नहीं थी। यहां जैन, शैव, वैश्णव व बौद्ध – कुल 100 गुफ़ाएं हैं।
52 दरवाज़ों के इस शहर में आने का हमारा मुख्य ध्येय घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग Ghrishneshwar Jyotirlingam के दर्शन करना है। पर जब औरंगाबाद आये हैं तो एलोरा की गुफ़ाएं व यहां के अन्य आकर्षण देखे बिना भला कैसे जा सकते हैं!