1. उत्तर पूर्व की हमारी अद्भुत यात्रा
2. दिल्ली – मिरिक होते हुए दार्जिलिंग
3. दार्जिलिंग भ्रमण
4. दार्जिलिंग से कलिम्पोंग, नामची – चारधाम
5. गंगटोक
6. शिलौंग – चेरापूंजी
7. गुवाहाटी – कामाख्या देवी दर्शन – दिल्ली वापसी
इस साल के आरंभ में, संभवतः फरवरी की बात रही होगी, जब हमें हमारी श्रीमती जी ने सूचित किया कि हम इस बार मई माह में उत्तर पूर्व की यात्रा पर जा रहे हैं और मैं इस यात्रा के लिये आवश्यक धन का प्रबन्ध करके रखूं!
’अरे, कम से कम इतना तो बता दो कि किस तारीख को जायेंगे, कब वापस आयेंगे, कहां – कहां जायेंगे, कैसे जायेंगे, कहां-कहां ठहरेंगे, क्या क्या देखेंगे, कहां – कहां घूमेंगे!”
’वह सब मेरे भाई-भाभी ने फिक्स कर लिया है, वह भी साथ में होंगे ना! आपको टेंशन काय को लेने का? आप तो बस पैसे का इन्तज़ाम करो, एन.ई.एफ.टी. भेजनी है भैया को! उन्होंने किसी टूर ऑपरेटर से मिल कर पूरा प्रोग्राम बना लिया है। कहां – कहां जायेंगे, किस होटल में ठहरेंगे, ये सब जानना अगर आपके लिये जरूरी है तो ठीक है, मैं भैया को बोल दूंगी कि आपको प्रोग्राम ई-मेल कर दें। मेरे भाई लोग हर साल घूमने निकल जाता! कहां जाना – कैसे जाना – उनको सब मालूम होता!
तो साहब, कुछ – कुछ इस अंदाज़ में हमारा उत्तर पूर्व का कार्यक्रम तय हुआ। बहुत कुरेद – कुरेद कर पूछने पर पता चला कि हम 7 मई को अपनी कार से इंदिरापुरम गाज़ियाबाद जायेंगे जहां हमारे साले साहब रहते हैं। 8 मई को सुबह 8 बजे टैक्सी हमें एयरपोर्ट तक छोड़ने के लिये घर पर आयेगी। 11 बजे एयर इंडिया की फ्लाइट पकड़ेंगे जो दो घंटे बाद हमें बागडोगरा एयरपोर्ट पर छोड़ेगी। वहां से हमें इनोवा मिलेगी जो हमें मिरिक लेक दिखाते हुए दार्जीलिंग पहुंचायेगी। 9 मई की सुबह को हम टाइगर हिल जायेंगे, दार्जिलिंग में थोड़ा बहुत और घूमेंगे और फिर वहां से कलिंपोंग जायेंगे ! 9 मई की रात को कलिंपोंग में ही रुकेंगे। वहां से अगले दिन, यानि 10 मई को नामची जायेंगे और नामची से शाम को गंगतोक जायेंगे। 10, 11 व 12 मई को गंगतोक में ही होटल में रुकेंगे। 11 मई हम गंगतोक की लोकल साइट सीइंग के लिये रखेंगे। 12 मई को नाथु ला पास और बाबा हरदेव सिंह मंदिर जायेंगे। 13 मई की सुबह हम वापिस बागडोगरा जायेंगे और वहां से गो एयर की गुवाहाटी की फ्लाइट पकड़ेंगे। गुवाहाटी एयरपोर्ट पर उतरते ही इनोवा हमें लेकर शिलॉंग जायेगी, जहां रात को हम होटल में रुकेंगे। अगले दिन यानि 14 मई को सुबह हम चेरापूंजी जायेंगे। शाम को चेरापूंजी से वापसी करेंगे और शिलॉंग के बाज़ार में घूमेंगे। 15 मई को गुवाहाटी के लिये इनोवा से ही प्रस्थान करेंगे। गुवाहाटी में चार-पांच घंटे घूमने के लिये मिलेंगे तो कामाख्या देवी मंदिर जायेंगे। शाम को 4 बजे जेट एयरवेज़ की फ्लाइट पकड़ कर दिल्ली एयर पोर्ट पहुंचेंगे। वहां से वापिस इंदिरापुरम गाज़ियाबाद के लिये टैक्सी मिल जायेगी जो हमें घर पर ड्रॉप कर देगी। 16 मई की सुबह सहारनपुर के लिये अपनी कार से वापसी होगी!
बाप रे! मुझे लगा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चुनावी सभाओं का कार्यक्रम है जिसमें सिवाय भाग – दौड़ और चुनावी सभाओं के और कुछ नहीं है। क्या हम इस तूफानी टूर को झेल पायेंगे? क्या इसमें कुछ आनन्द आयेगा? पर जैसा कि तीन महीने बाद 8 मई से 15 मई की यात्रा के दौरान अनुभव हुआ, हमने इस यात्रा का भरपूर आनन्द लिया। घर में बिस्तर पर पड़े – पड़े अलसाते हुए मन में आशंका थी कि आठ दिन की भाग-दौड़ बहुत कठिन और थका देने वाली हो जायेगी, वह हंसते-खिलखिलाते हुए कब में पूरी होगई, पता भी नहीं चला। इस कार्यक्रम की सफलता में एक बहुत बड़ा कारक ये भी रहा कि इस यात्रा में सिर्फ दो परिवार नहीं बल्कि छः परिवार थे। हमारी श्रीमती जी के भाई-भाभी के अलावा बहिन और जीजाजी तो शामिल थे ही, साथ में तीन परिवार और भी थे जो हमारे साले साहब के सहकर्मी यानि डीडीए में इंजीनियर और उनके परिवार थे। नये-नये लोगों से मिलना, बातचीत करना, उनके स्वभाव को आहिस्ता – आहिस्ता समझना, धीरे – धीरे अनौपचारिक संबंध बढ़ाना और फिर दोस्ती मुझे हमेशा आह्लादित करती है। अधिक थकान अनुभव न करने की एक वज़ह ये भी रही कि घूमने-फिरने के लिये इनोवा टैक्सी दरवाज़े पर हमेशा उपलब्ध रही, हमें कभी भी सामान कंधों पर ढोना नहीं पड़ा; कभी कोई होटल ढूंढना नहीं पड़ा क्योंकि रात्रि में रुकने के लिये तीन / चार सितारा होटल बुक किये हुए थे जहां से सुबह भरपूर नाश्ता करके हम निकलते थे और रात्रि में पुनः शाही डिनर किया करते थे। दिन में जहां जो कुछ भी खाने योग्य मिल जाता था, खा लेते थे।
इस यात्रा को आनन्ददायक बनाने में अब भी कुछ कमी रह गयी हो तो एक बात और शेयर कर लूं! 🙂 7 मई को जब हम सहारनपुर से गाज़ियाबाद की ओर बढ़ रहे थे तो बेटे का आस्ट्रेलिया से फोन आगया कि कहां तक पहुंचे और 9 मई को हम कहां पर होंगे? (9 मई यानि हमारी इस यात्रा के दौरान मेरा जन्मदिन! संयोगवश 9 मई को ही हमारी विवाह वर्षगांठ भी! ) बेटे ने हमारी यह पूरी ट्रिप अपनी ओर से सप्रेम भेंट कर डाली। मुज़फ्फरनगर पहुंचते-पहुंचते मोबाइल पर बैंक से मैसेज आ गया कि हमारे खाते में सिडनी से पैसे आये हैं।
जिस स्नेह से बेटे ने यह गिफ्ट हमें दी, उस स्नेह को अनुभव करते हुए और उसी में डूबते-उतराते हम शाम को 7 बजते-बजते इंदिरापुरम गाज़ियाबाद में साले साहब के घर जा पहुंचे। इस कार्यक्रम की बागडोर चूंकि पूरी तरह से उन्होंने ही संभाल रखी थी अतः हर दस मिनट बाद उनका फोन टनटनाता रहा। कभी टूर ऑपरेटर को फोन तो कभी अपने मित्रों को फोन कि भाई, अपनी 4-4 फोटो, वोटर कार्ड वगैरा जरूर रख लेना वरना नाथु ला के लिये परमिट नहीं बनेगा। किस – किस परिवार को लेने के लिये कौन सी टैक्सी आयेगी! दो इनोवा टैक्सियों में छः परिवारों को समेटते हुए सुबह 9.30 या अधिकतम 9.45 तक इंदिरागांधी डोमेस्टिक एयरपोर्ट टर्मिनल नंबर 3 पर पहुंचना था। बेटे की शादी में बाप को जैसे बारातियों को बस में भरने के लिये जद्दो जहद करनी होती है, उससे थोड़ी ही कम स्थिति यहां हमारे साले साहब की थी। हमारी जिम्मेदारी तो बस इतनी थी कि हमारी वज़ह से कोई भी प्रोग्राम लेट न हो। मैने रात को एक बार फिर अपने लैपटॉप पर गूगल मैप खोला तो श्रीमती जी अपने भैया-भाभी से बोलीं कि तीन महीने से इनका यही हाल है, दार्जीलिंग-गंगटोक और शिलॉंग का नक्शा तो ऐसे पढ़ते रहते हैं जैसे वहां टैक्सी इनको ही चलानी हो! पर मैं भी उनकी बात का बुरा माने बिना अपने लैपटॉप में आंखें गड़ाये रहा।
आज एक नयी रोमांचक यात्रा शुरु होने जा रही है, इस उत्साह में सुबह पांच बजे ही मेरी आंख खुल गयी! लॉबी में आकर देखा कि हमारी श्रीमती जी अपनी भाभीश्री के साथ रसोई में सुबह नाश्ते के लिये और रास्ते के लिये पूरी सब्ज़ी बनाने में तल्लीन थीं। श्रीमती जी ने मुझे उठ गया देख कर कहा कि आपके कपड़े अटैची के ऊपर ही निकाल कर रख दिये हैं, जल्दी से तैयार हो जाओ, 8 बजे टैक्सी आ जायेगी। घड़ी देखी तो अभी सवा पांच ही बजे थे। पर चूंकि दोनों महिलाएं नहा-धोकर रसोई में न जाने कब से काम में लगी हुई थीं, अतः बिना कुछ कमेंट किये मैं भी तैयार होने के लिये चला गया।
7.45 पर साले साहब के फोन पर एक लड़की का फोन आया कि टैक्सी नीचे आ चुकी है। सामान लेकर नीचे उतरे तो भौंचक्के रह गये। टैक्सी ड्राइवर के रूप में एक युवती महेन्द्रा ज़ाइलो लिये खड़ी थी। हमें लगा कि ये तो शुभ शगुन हो गया। उस युवती ने हम सबका सामान गाड़ी के ऊपर लादना आरंभ किया तो हमारी महिलाओं ने इशारा किया कि हम उस बेचारी की सहायता करें।
रास्ते में अपनी साली साहिबा और भाईसाहब को साथ में लेते हुए हम एयरपोर्ट जा पहुंचे। सारे रास्ते हमारी तीनों महिलाएं उस ड्राइवर लड़की का इंटरव्यू लेती रहीं कि किन परिस्थितियों में उसने टैक्सी ड्राइवर बनने की सोची, घर में कौन-कौन है, पति क्या करता है, कितना कमा लेती हो, कितनी टैक्सी हैं, कब से ये काम कर रही हो? टैक्सी ठीक से चला भी लेती हो या नहीं? लाइसेंस है या नहीं? मुझे लगता रहा कि ये लड़की गुस्से में आकर कहीं अपनी टैक्सी किसी जगह न दे मारे, पर वह भी मज़े से सारे रास्ते बतियाती रही। मेरा कैमरा भी टैक्सी में बैठे – बैठे ही बैग में से निकल कर मेरे कंधे पर आ चुका था।
एयरपोर्ट पर पहुंचे तो हमारी दूसरी वाली टैक्सी भी आ चुकी थी और तीनों परिवार अपना अपना सामान टैक्सी में से उतार रहे थे। झटपट छः कार्ट में हमने भी अपने अपने लगेज़ को लादा, प्रवेश द्वार पर दिखाने के लिये अपने टिकट और पहचान पत्र निकाल कर हाथ में ले लिये। अंदर बोर्डिंग पास लेने के लिये लाइन में लगे तो तीनों नये परिवारों से औपचारिक परिचय हुआ। अपने – अपने बोर्डिंग पास लेकर हम लोग सिक्योरिटी द्वार को सफलतापूर्वक पार करते हुए भीतर जा पहुंचे और जिस गेट से हमें बोर्डिंग हेतु जाना था, उसके पास जाकर बैठ गये। और इस प्रकार शुरु हुई अपने देश के कुछ अनजाने प्रदेशों की हमारी रोमांचक यात्रा। जैसा कि मैने पिछले तीन महीनों में अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाया था, हमें इन आठ दिनों में पश्चिम बंगाल, सिक्किम, मेघालय और असम राज्यों की यात्रा करनी थी। सब कुछ नया नया सा होने वाला था, अतः थोड़ा बहुत संशय तो था पर हम सभी उत्साह से लबरेज़ थे।
अगले अंक में – बागडोगरा एयर पोर्ट और फिर वहां से दार्जिलिंग तक की यात्रा का वर्णन लेकर शीघ्र ही उपस्थित होंगे। तब तक के लिये सभी मित्रों को नमस्कार !
Your writing always inspires me… 🙂
Thank you, Kalpana for visiting the blog and leaving your kind comment. Please keep visiting here. You may like other stories too.
sure sir..
बढिया शुरुवात, घणी घणी बधाई। पोस्ट लिंक मिला तो अगली पोस्ट पर भी आएंगे।
Pingback: दिल्ली एयरपोर्ट – बागडोगरा – मिरिक होते हुए दार्जिलिंग यात्रा – India Travel Tales
Great people.. Great thoughts….
Pingback: दार्जिलिंग भ्रमण – India Travel Tales
Pingback: होटल सैंट्रल हेरिटेज दार्जिलिंग – India Travel Tales
बहुत सुंदर शुरुआत….बढ़िया शैली…मस्त लेखन..?
बहुत बहुत धन्यवाद डा. त्यागी ! शेष कड़ियां भी शीघ्र पूरी करने की इच्छा है क्योंकि और नयी नयी यात्राएं सम्मुख हैं ! मैं नहीं चाहता कि मुकद्दमें लंबित रखने के लिये हमारी न्यायपालिका की तरह मेरा भी नाम लिया जाने लगे। 🙂
Pingback: दार्जिलिंग भ्रमण - India Travel Tales
Pingback: होटल सैंट्रल हेरिटेज दार्जिलिंग - India Travel Tales
Pingback: हमारी हैदराबाद - महाराष्ट्र तीर्थयात्रा - पहला दिन - India Travel Tales %
बहुत सुंदर सुरुवात आपके साथ साथ हम भी काफी जगह घूम लेंगे ,अगले भाग का इंतजार रहेगा
प्रिय अशोक जी, आप को अपने इस ब्लॉग पर आते देख कर बहुत प्रसन्नता हुई। पाठक आयें, यात्रा संस्मरण और चित्रों को पसन्द करें तो स्वाभाविक ही है कि और बेहतर लिखने की इच्छा होती है, लिखने का उत्साह बढ़ता है। दिल्ली एयरपोर्ट – बागडोगरा – मिरिक होते हुए दार्जिलिंग यात्रा इस कहानी की अगली कड़ी है, जो ब्लॉग पर उपलब्ध है। आप इसका भी आनन्द लीजिये और बताइये कि कैसी लगी ! यदि कुछ कमियां दिखाई दें तो अवश्य ही बतायें ताकि भूल सुधार किया जा सके।
यदि मेरा ये प्रयास अच्छा लगे तो अपने मित्रों के साथ भी लिंक शेयर कर सकते हैं। मुझे बहुत अच्छा लगेगा।
Pingback: दुबई घुमा लाऊं आपको भी? भाग - 01 - India Travel Tales