India Travel Tales

भूली भटियारी महल – आत्मा कहीं नहीं मिली !

पिछले 15 दिनों से दिल्ली में हूं।  पच्चीस – तीस वर्ष पहले तक दिल्ली की डी.टी.सी. बस पकड़ कर कहीं आने – जाने की सोच कर ही बुखार चढ़ने लगता था, मैट्रो रेल के आगमन ने अब मेरे जैसे सीनियर सिटीज़न को भी इतना आत्मविश्वास दे दिया है कि हर रोज़ सुबह उठ कर यही सोचता हूं कि आज कहां घूमने जाऊं!  मैट्रो का स्मार्ट कार्ड जेब में हो तो लगता है कि धीरूभाई अंबानी की तरह से दुनिया न भी सही, पर दिल्ली की मेट्रो रेल मेरी भी मुठ्ठी में है। जहां जाना चाहूं, जाऊं, चाहे जहां से मैट्रो पकडूं और चाहे जिस स्टेशन पर उतर जाऊं !  एक पिठ्ठू बैग में कैमरा रख कर बैक-पैकर की सी अलमस्त चाल से कहीं के लिये भी निकल पड़ता हूं।  लक्ष्य ये है कि अगले कुछ महीनों में दिल्ली को हर तरफ़ से उलट-पुलट कर, कुरेद कुरेद कर देख लिया जाये।  अपने इस अभियान को मैने दिल्ली फोटो-वॉक का नाम भी दे दिया है।

सोने में सुहागा वाली बात ये है कि ’घुमक्कड़ी दिल से’ फेसबुक ग्रुप पर सुबह के समय फोटो वॉक की इवेंट बना कर डाल दें तो शाम तक तीस-चालीस बन्दे – बन्दियां और भी तैयार हो जाते हैं कि चलो भई, हम भी आपके साथ ही फ़ोटो वॉक कर लेते हैं। इन सब लोगों में घुमक्कड़ी का कीड़ा तो पहले से ही कुलबुलाता रहता है,  कई लोगों को फोटो खींचने और वीडियो बनाने की ’बीमारी’ भी है। 😉   कुल मिला कर मतलब ये है कि ये सारे के सारे कतई मेरे टाइप के प्राणी हैं।  ज़िन्दगी में अपने मतलब के साथी आपके साथ घुमक्कड़ी करने को प्रस्तुत हों, इससे बढ़कर अच्छे दिन और क्या होंगे भला ?   अस्तु।

तो मितरों !    रविवार 13 अक्तूबर का दिन भूली भटियारी महल फोटो वॉक के लिये तय हुआ तो मैं भी कड़कड़डुमा मैट्रो जा पहुंचा जहां से मुझे झंडेवालान पहुंच कर बाकी सब से मिलना था।  दो-तीन साथी पूर्व परिचित थे और बाकी का सिर्फ नाम सुना था।  हम एक दूसरे को पहचान सकें इसके लिये टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया गया।  तुरत – फुरत एक व्हाट्स एप ग्रुप बना लिया गया। सुबह 10 बजे सबने अपनी – अपनी लाइव लोकेशन भी शेयर करनी शुरु कर दी।  गूगल मैप पर हमारे साथियों की जो फोटुएं  फरीदाबाद, लक्ष्मीनगर, गाज़ियाबाद, सोनीपत, विवेक विहार, कनॉट प्लेस, चांदनी चौक, साउथ एक्सटेंशन, द्वारका, रोहिणी में दिखाई दे रही थीं, वह बड़ी तेजी से झंडेवालान की ओर सरकती जा रही थीं और 11.15 बजते बजते एक बिन्दु पर आकर ठहर गयीं।  फटाफट झप्पी ले – देकर हम बढ़ चले भूली भटियारी महल की ओर,  जो झंडेवालान मैट्रो से बमुश्किल 600 मीटर की दूरी पर एक जंगल में है!

दिल्ली में जंगल व पहाड़ी क्षेत्र – रिज

चौंकिये नहीं!  दिल्ली है तो सब कुछ मुमकिन है!  देश की राजधानी नई दिल्ली अपने हृदयस्थल में रिज नाम का एक पूरा जंगल समेटे हुए है जो करोल बाग से आरंभ होकर धौला कुआं से होता हुआ वसंत विहार तक फैला हुआ है।  बीच – बीच में, खास तौर पर South Central Ridge क्षेत्र में जंगल को काट – पीट कर JNU जैसे कुछ संस्थान व आवासीय कालोनी विकसित कर ली गयी हैं पर फिर भी दिल्ली के मध्य में इतने बड़े जंगल की उपस्थिति काबिले – तारीफ़ है।   दिल्ली को रहने लायक शहर बनाने में इन हरित पट्टियों का बहुत बड़ा हाथ है।

दिल्ली में North Ridge  (दिल्ली विश्वविद्यालय के आस पास का क्षेत्र), Central Ridge (करोल बाग क्षेत्र), South Central Ridge (महरौली, कुतुब मीनार, संजय वन आदि)  आते हैं।   उसके बाद तुग़लकाबाद में  South Ridge नाम का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है।    करोल बाग का एरिया जहां पर भूली भटियारी क महल है, सैंट्रल रिज ज़ोन में शामिल किया जाता है।

अरावली पर्वत श्रंखला

वैसे चलते चलते बता दूं कि अरावली पर्वत श्रंखला का सबसे ऊंचा बिन्दु राजस्थान में आबू पर्वत है यानि हमारा प्रिय हिल स्टेशन – माउंट आबू !   अरावली पर्वत श्रंखला करोड़ों – अरबों वर्ष पुरानी है और विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रंखला है जो समय की मार सहते सहते अपनी काफी ऊंचाई खो चुकी है।

अरावली पर्वत श्रंखला दिल्ली से आरंभ होती है और हरियाणा में गुड़गांव व फरीदाबाद जिलों से होती हुई अलवर जिले से राजस्थान में प्रवेश कर जाती है।  जयपुर के बाद पश्चिम – दक्षिण के ढलान की ओर बढ़ते हुए खूबसूरत झीलों का शहर उदयपुर आता है।  इसके बाद यह पर्वतमाला गुजरात में समाप्त हो जाती है।  सरिस्का टाइगर रिज़र्व इसी पर्वत माला का हिस्सा है।

हां तो बात चल रही थी भूली भटियारी की !   करोल बाग में एक 108 फुट ऊंची पवन पुत्र हनुमान जी की मूर्ति है जो नेत्रहीन व्यक्तियों को भी दूर दूर से दिखाई दे सकती है।  इस मूर्ति के एकदम बगल में शनिदेव और कुछ अन्य देवी – देवताओं के मंदिर हैं।   बग्गा लिंक वालों ने बजाज स्कूटर – मोटरसाइकिल डीलरशिप भी वहीं बनाई हुई है जो हम जैसे घुमक्कड़ों के लिये लैंडमार्क के तौर पर काम आती है – “भई, बग्गा लिंक पर आ जाना, वहीं खड़े मिलेंगे!” 

फोटोवॉक हेतु हमारा मिलन स्थल - झंडेवालान मैट्रो स्टेशन !

फोटोवॉक हेतु हमारा मिलन स्थल – झंडेवालान मैट्रो स्टेशन !

मंदिर में प्रवेश का द्वार ! है ना अद्‌भुत?

मंदिर में प्रवेश का द्वार ! है ना अद्‌भुत?

108 फ़ुट ऊंची श्री संकटमोचन हनुमान जी की मूर्ति का क्लोज़ अप !

108 फ़ुट ऊंची श्री संकटमोचन हनुमान जी की मूर्ति का क्लोज़ अप !

वन्दे मातरम मार्ग की बगल से जंगल की ओर रास्ता यहीं से आरंभ होता है।

वन्दे मातरम मार्ग की बगल से जंगल की ओर रास्ता यहीं से आरंभ होता है।

श्री शनिदेव मंदिर जो हनुमान जी की मूर्ति के बगल में ही स्थित है, भूली भटियारी जाने हेतु एक प्रसिद्ध लैंडमार्क है।

श्री शनिदेव मंदिर जो हनुमान जी की मूर्ति के बगल में ही स्थित है, भूली भटियारी जाने हेतु एक प्रसिद्ध लैंडमार्क है।

हमारे जो साथी अपनी – अपनी कार, बाइक और साइकिल से आये थे, उन सब को इसी प्रस्थान बिन्दु पर आने के लिये कह दिया गया था।   अगेन, प्लीज़ चौंकिये नहीं !   हमारे एक साथी वीरेन्द्र शेखावत तो सुबह साढ़े पांच बजे फरीदाबाद से अपनी बिना गीयर की साइकिल पर ही चल पड़े थे और सुबह आठ बजे सराय काले खां के नज़दीक नये नवेले Waste to Wonders Park तक आ पहुंचे थे और वहीं आराम फरमा रहे थे।  जब वह अपनी साइकिल पर बग्गा लिंक मोड़ पर पहुंचे तो उनकी जिजीविषा की भरपूर दाद दी गयी।  और उनके जैसा ही बनने का संकल्प किया गया और फिर हम पैदल ही, आधा किलोमीटर चल कर भूली भटियारी महल पर जा पहुंचे जो इस जंगल की ओर जा रही सड़क के दायीं ओर स्थित करीब 600 साल पुरानी एक खंडहरनुमा शिकारगाह है।

भूली भटियारी शिकारगाह का प्रवेश द्वार !

भूली भटियारी शिकारगाह का प्रवेश द्वार !

मुख्य प्रवेश द्वार और भीतरी द्वारों पर इस प्रकार के अलंकरण विशेष रूप से ध्यानाकर्षित करते हैं।

भूली भटियारी के मुख्य प्रवेश द्वार और भीतरी द्वारों पर इस प्रकार के अलंकरण विशेष रूप से ध्यानाकर्षित करते हैं।

भूली भटियारी नाम को लेकर भी कई सारी किंवदंतियां प्रचलित हैं जिनमें सबसे प्रमुख ये है कि फिरोज़ शाह तुगलक द्वारा बनाई गयी इस शिकारगाह में एक राजस्थानी भटियारी महिला रास्ता भटक कर आ पहुंची थी और इस भवन को खाली पाकर यहीं बस गयी।  कुछ लोगों का विचार है कि उस भूली भटियारी की आत्मा अब भी वहीं भटकती रहती है इसलिये सूर्यास्त के बाद कोई भी इस स्थान पर नहीं जाता।  पुलिस भी रात को इस स्थान पर जाने से रोकती है।   भूली भटियारी महल के अलावा आस – पास ही दो शिकारगाह और भी बनाई गयी थीं जिनमें एक को जो यहां से करीब 4 किमी दूर स्थित है, मालचा महल कहते हैं और दूसरी को पीर गैब !  इन दोनों को भी हम अपनी फोटो वॉक की लिस्ट में शामिल किये बैठे हैं।  देखें, किस दिन जाना होता है!

भूली भटियारी महल में प्रवेश द्वार के बाहर ढाई – तीन फिट ऊंची पत्थरों की एक मुंडेर सी बनी हुई देखी  जो न सिर्फ सुस्ताने के काम आई बल्कि मौका देख कर हमारे साथ ही चल रहे एक सज्जन सरयू प्रसाद मिश्र जी ने अपने 8 मिनट के भाषण में इस भवन के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी भी हमें सौंप दी और इस प्रकार गाइड की भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वहन किया।

पं. सरयू प्रसाद मिश्र भूली भटियारी महल के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव बांटते हुए

पं. सरयू प्रसाद मिश्र भूली भटियारी महल के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव बांटते हुए

भूली भटियारी के बारे में प्राप्त जानकारी से सुसज्जित होकर  हम सब तथाकथित भुतहा महल की ओर बढ़े।  दोनों पार्श्व पर अलंकरण से सुसज्जित ऊंचा सा प्रवेश द्वार ( कृपया इसकी ऊंचाई की तुलना फ़तेहपुर सीकरी के 54 मीटर ऊंचे बुलंद दरवाज़े से करने का प्रयास न करें क्योंकि इसकी ऊंचाई अधिकतम 15 से 18 फ़ीट ही होगी।)  फिर एक और प्रवेश द्वार, फिर एक विशाल आंगन जिसमें कई सारे पेड़ उग आये हैं।  इस आंगन की दो दिशाओं में  बाथरूम के आकार के छोटे – छोटे कमरे जो संभवतः सैनिकों के लिये उपयोग में आते रहे होंगे या हो सकता है उनमें सिर्फ खाने – पीने के लिये रसद या अस्त्र – शस्त्र रख दिये जाते हों।  कुछ सीढ़ियां चढ़ कर ऊपरी तल पर आये तो लगा कि यहां पर हम अपना भी एक परिचय सत्र आयोजित कर सकते हैं।  इसकी आवश्यकता भी थी। दर असल,   घुमक्कड़ी दिल से’  फेसबुक ग्रुप के आज की तिथि में 34,000 सदस्य हैं जिनमें से 34-35 सदस्य यहां फोटोवॉक हेतु आये थे।  यहां पर सब ने अपने परिवार व कारोबार तथा अपनी अपनी घुमक्कड़ी के बारे में मनोरंजक बातें आपस में बांटी।  घुमक्कड़ी के अनुभव बताते समय खूब सारी हा-हा, ही-ही भी हुई।  आज के इस फोटोवॉक में 3 महिलाएं व चार बच्चे भी थे।  बच्चे तो एक खुला मैदान, ऊबड़ – खाबड़ पथरीली सीढ़ियां, पेड़ – पौधे देख कर फुल मस्ती के मूड में आ गये थे।

भूली भटियारी फ़ोटो वॉक में दिल्ली के कई नामचीन ब्लॉगर भी सम्मिलित हुए।

भूली भटियारी फ़ोटो वॉक में दिल्ली के कई नामचीन ब्लॉगर भी सम्मिलित हुए।

दो घंटे के लगभग पूरी जांच – पड़ताल करके हम इस तथाकथित महल से बाहर निकल आये।  जैसा कि मैने ऊपर भी ज़िक्र किया, सन्‌ 1400 के आसपास फ़िरोज़ शाह तुग़लक द्वारा इसका निर्माण शिकारगाह के रूप में किया गया था और उन दिनों शिकार के लिये बंदूक, भाले या शायद धनुष – बाण भी उपयोग किये जाते रहे होंगे।  पर आज की तिथि में हम अपने कैमरे से पक्षियों को, और यहां तक कि, अपने मितरों को भी शूट कर सकते हैं। इस दृष्टि से यह एक आदर्श स्थल है।   भूतों – प्रेतों का नाम बहुत सुना था कि यहां मिलते हैं पर हम सब लोग दो घंटे तक वहां पर भूली भटियारी की आत्मा ढूंढते रहे जो कहीं नहीं मिली।   किसी ने बताया कि उसकी नाइट शिफ़्ट होती है अतः मिलना हो तो रात को जाना चाहिये!

बाहर आकर देखा कि भूली भटियारी के सामने ही, सरकार द्वारा एक बाग / woodland विकसित किया जारहा है।  लौह द्वार में से प्रवेश कर अन्दर गये तो लगा कि कुछ समय पश्चात्‌ यह एक आदर्श पिकनिक स्थल के रूप में तैयार हो सकेगा।

वहां हमने अपने साथ लाये हुए परांठे – अचार – सैंडविच – नमकीन – लड्डू – बरफी आदि का भोग लगाया और निकट भविष्य में किसी अन्य रविवार को दिल्ली का कोई अन्य रमणीक स्थल जांचने – परखने के लिये अगली फोटो वॉक आयोजित करेंगे – इस निश्चय के साथ अपने अपने घर को हम सब एक दूसरे से विदा ले कर अपने अपने घर की ओर चल पड़े।

इस यात्रा के दौरान सभी साथियों द्वारा अगणित फोटो खींची गयी हैं।  मैं अपनी कुछ फोटो तो यहां प्रस्तुत कर ही रहा हूं, साथ ही सोशल मीडिया पर उपलब्ध कराई गयी अन्य मित्रों की फोटो व वीडियो के लिंक भी प्रस्तुत कर रहा हूं।

आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा रहेगी।  यदि आप भी हमारे ऐसे किसी फोटो वॉक कार्यक्रम में सहभागिता करना चाहें तो कमेंट के माध्यम से हम से संपर्क कर लें।

गूगल मैप पर मेरे द्वारा लिखा गया रिव्यू यहां है – 

इस फ़ोटो वॉक से संबंधित कुछ वीडियो लिंक्स इस प्रकार हैं –

37 thoughts on “भूली भटियारी महल – आत्मा कहीं नहीं मिली !

    1. Sushant Singhal

      प्रिय यशवंत सिंह राठौर ! आपका हार्दिक स्वागत और आभार !

      सस्नेह,
      सुशान्त सिंहल

    2. yashvant singh

      आज फिर से पढ लिया सरजी पुरानी यादें ताजा हो गयी

    3. Eskay Singhal

      बहुत बहुत अच्छा लगा यशवंत। नया मसाला भी बहुत सारा डाला है इस बीच में। कभी मौका लगे तो देख लेना! शायद रामोजी वाली पोस्ट मन को भायें।

    1. Sushant K Singhal Post author

      आपका बहुत बहुत आभार मोनालिसा कि आप यहां आईं और पोस्ट पर अपना कमेंट भी दिया। कृपया इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें।

  1. नन्दिनी पांडेय

    सर सबसे पहले तो आपको ढेर सारी शुभकामनाएं इस लेख के लिए। बहुत बेहतरीन और बढिया। लिखा है आपने।

    और फोटोज भी काफी अच्छे है।

    हम सब की फ़ोटो लेने के लिए बहुत शुक्रिया।
    आपने उनको यहाँ साझा किया।

    Always Rocks sir.

    1. Sushant Singhal

      नन्दिनी पाण्डेय, आपके पूरे परिवार का आभार जो इस कार्यक्रम में इतने उत्साह के साथ आप सब सम्मिलित हुए। इस पोस्ट पर आने, पढ़ने और इसे पसन्द करने के लिये भी आभार । कृपया स्नेह बनाये रखें।

      सुशान्त सिंहल

  2. Yogi Saraswat

    शानदार लेखन , जबरदस्त फोटो और वातावरण अपनेपन से शुद्ध और सात्विक ! पहली वाक है ये दिल्ली की सभी के साथ …..आगाज़ इतना बेहतरीन …..परिणाम भी बेहतरीन ही आएंगे

    1. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय योगी, पोस्ट पसन्द आई तो अपने पैसे वसूल ! इस कार्यक्रम की सफलता के लिये श्रेय आपको, संजय कौशिक को और उन सभी को जाता है जो इस आयोजन में सहभागी रहे।
      कृपया स्नेह बनाये रखें ।
      सादर,
      सुशान्त सिंहल

  3. Vijaya Pant Tuli

    सच में कमाल का वर्णन कमाल के चित्रों के साथ अब दिल्ली आऊंगी तो इधर जरूर घूमूंगी ❤️❤️👏👏👏👏

    1. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय विजया दी, आपका आभार कि आपने न केवल पोस्ट पढ़ी, बल्कि अपना कमेंट भी छोड़ा। आप दिल्ली आइयेगा तो एक फोटो वॉक आपके साथ भी करेंगे।

  4. Roopesh Kumar sharma

    सबसे पहले तो आपका बहुत बहुत आभार,जो आपने दिल्ली आने के लिये सभी की इच्छा को प्रबल किया।साथ ही बधाई इस बात की कि मिलन आशानुरूप सफल रहा।आप अगुआ रहे सभी मित्रों का भरपूर सहयोग मिला वो सब भी बधाई के पात्र हैं।इस मिलन का वर्णन हमेशा की तरह रोचक रहा,हास्य की फुलझड़ियाँ भी रहीं जो आपकी पहचान हैं चित्र भी खूबसूरत हैं।कुछ पारिवारिक कारणों की वजह से उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाया।आपके बहाने हम भी दिल्ली घूम लेते इतना करीब होकर भी नहीं घूमे,इतनी गहन जानकारी भी मिलना मुश्किल है जो आपके लेख में मिली।आश्चर्य होता है कि ये सब भी दिल्ली में है जिसका हमें भान ही नहीं था।ऐसे ही आगे भी मिलन आयोजित करते रहियेगा सर्, अग्रिम शुभकामनाओं सहित।

    1. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय रूपेश, आपका हार्दिक आभार! वास्तव में आपकी कमी बहुत महसूस होती रही! हमारे कैमरे को न केवल एक सुदर्शन व्यक्तित्व मिल जाता बल्कि उस जंगल में आपके कुछ गाने भी सुने जाते !

      सस्नेह,
      सुशान्त सिंहल

  5. प्रकाश यादव

    बढ़िया विवरण सर।
    आपके इसी पोस्ट का इंतजार था, पूरा सार जो मिलना था।
    फोटो खींचने वाले थे, तो खिंचवाने की बीमारी वाले भी होंगें
    हमे तो आपकी नजफ़ से दिल्ली जल्द देखना हैं।
    हाँ रक बात और, आपकी प्रोफाइल फोटो से तो लगता नही कि आप वरिष्ठ नागरिक हैं😀

    1. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय प्रकाश जी,
      सबसे पहले तो आपकी अनूठी ई-मेल आई डी के लिये आपको बधाई ! 🙂 😉 मुझे उस व्यक्ति की याद आ गयी जिसने अपने मोबाइल का नाम No device Found रख छोड़ा था। ब्लू टूथ ऑन करने पर सर्च में डिवाइस का यही नाम आता था।

      ये फोटो वॉक श्रंखला अगर चल निकली तो समझिये, मुझे अपनी ज़िन्दगी निर्मल आनन्द आने लगेगा। सहारनपुर से दिल्ली आकर लग रहा है कि मैं कुएं से निकल कर समुद्र में आ गया हूं – (शाहदरा ड्रेन में नहीं !) कितने सारे दोस्त मिल सकते हैं यहां पर, जिनमें कुछ तो ऐसे होंगे ही जो मेरा साथ भी निभा सकें। कभी एक तो कभी दूसरा !

      सादर सस्नेह,
      सुशान्त सिंहल

  6. रणविजय सिंह

    लेखन शैली बहुत अच्छी है आपकी। बाँध के रखती है। तस्वीरें तो आपकी बोलती हैं।

    🙏❤🙏

    1. Sushant K Singhal Post author

      हार्दिक आभार, रणविजय सिंह रवि! आप आज पहली बार इस ब्लॉग पर आये, इसके लिये शुक्रिया, मेहरबानी और धन्यवाद। पोस्ट पसन्द करके कमेंट भी दिया, इसके लिये तो आपको अतिरिक्त शुक्रिया। आपकी खींची हुई फोटो देखने को नहीं मिलीं अभी तक। शेयर कीजिये ना!

      सादर,
      सुशान्त सिंहल

    1. Sushant K Singhal Post author

      Dear Aashish Chawla, thank you bro for coming here and leaving your valuable comment. Let’s see how many of known and lesser known places I am being able to visit in Delhi during my stay here.
      Please keep visiting.
      Best regards,
      Sushant Singhal

  7. Devendra Kothari

    रोचक
    भुली भटयारी के बारे में ऐसे ही विवरण व तस्वीरों की चाह पूरी हुई… बहुत अच्छा लगा।

    1. Sushant K Singhal Post author

      आदरणीय कोठारी जी, आपका इस ब्लॉग पर आगमन और कमेंट बहुत सुखद होता है। कृपया स्नेह बनाये रखें।

    1. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय अमन मल्लिक,
      छोबी = छवि?
      लेखा = लेखन?
      दारुण = अत्यन्त कष्टकर? 🙁

      भाई, अनुवाद भी करते चलो तो अच्छा रहे। पता तो चल जाये कि सड़े हुए टमाटर मिले या फूल !! 🙂

  8. Sachin tyagi

    बहुत अच्छा लेखन व तस्वीरें।
    फ़ोटो वॉक बेहद उत्साहपूर्ण रहा। नई जगह देखी और साथ मे नए पुराने मित्रों से भी मिलना हुआ। निकट भविष्य में ऐसी फ़ोटो वॉक होती रहनी चाहिए।
    धन्यवाद

    1. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय सचिन, सच में ही फ़ोटोवॉक में मज़ा आया। आपका इस ब्लॉग पर आना और पोस्ट पर कमेंट करना भी बहुत उत्साहवर्द्धक है। कृपया स्नेह बनाये रखें।
      सादर सस्नेह,
      सुशान्त सिंहल

  9. Durgesh

    सबसे पहले तो आपको धन्यवाद Sir जी। की मेरे प्रयास को आपने अपने Blog में जगह दी।

    दूसरा धन्यवाद आपको इतना अच्छा ब्लॉग लिखने के लिए। की किस तरह आपने इतने सारे शब्दों को एक साथ इकठ्ठा किया।

    फिर मिलेंगे।

    Thanks
    Durgesh Vlogs
    https://youtube.com/durgeshvlogs

    1. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय दुर्गेश चौधरी, इस फ़ोटोवॉक की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में मेरा आपसे परिचय भी सम्मिलित है। ये सिलसिला यूं ही चलता चले, ऐसी लालसा है। कृपया स्नेह बनाये रखें। आपका इस ब्लॉग पर आना और कमेंट देना बहुत अच्छा लगा। यहां पर और भी कई सारी यात्रा की पोस्ट हैं, समय मिले तो उन पर भी निगाह मार लें।

      सादर सस्नेह,
      सुशान्त सिंहल

  10. अरविंद कुमार मिश्र

    सबसे पहले तो मैं आपका धन्यवाद अदा करना चाहता हूँ आपने जिस शानदार अंदाज में भूली भटियारी महल को वर्णित किया ये बहुत बड़ी बात है ।
    ये सोचकर आश्चर्य भी होता है कि राष्ट्रीय राजधानी के मध्य भी खूब हराभरा जंगल भी है।
    घूमक्कड़ी 💖से
    मिलेंगे फिर से

    1. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय श्री अरविन्द कुमार मिश्र जी,
      आपका हार्दिक आभार कि आप इस पोस्ट के लिये यहां तक आये और पोस्ट पसन्द की। मैं बहुत साल पहले एक बार गुड़गांव से करोल बाग दिल्ली टैक्सी से आया था तो टैक्सी चालक ने सैंट्रल रिज के हरे भरे इलाके से ही गाड़ी निकाली। सुनसान जंगल देख कर मैं आश्चर्य चकित था और मेरे आश्चर्य की सीमा तो तब हदें पार कर गयी जब अचानक एक झटके से मैंने खुद को हनुमान जी की मूर्ति के नीचे पाया। पर भूली भटियारी के बारे में तो मुझे 13 अक्तूबर से पहले कोई जानकारी ही नहीं थी। आशा करता हूं कि अब ये सिलसिला चल निकलेगा।

      कृपया अपना स्नेह बनाये रखें।

  11. सत्य प्रकाश शर्मा

    आदरणीय सुशांत जी आप वास्तव मे उपयोगी ज्ञान औऱ प्रेरक अनुभव के धनी व्यक्तित्व के स्वामी हैं । घुमक्कड़ का ज्ञान विश्व की प्रचीन विधा हैं । आपको प्रणाम
    सत्य प्रकाश शर्मा “सत्य”

    1. Sushant K Singhal Post author

      आदरणीय भाईसाहब, आपके इतने महत्वपूर्ण कमेंट 17 अक्तूबर से मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे! पारिवारिक व्यस्तताओं के चलते मैं अपने इस ब्लॉग से दूर रहा, यह मेरा दुर्भाग्य ही कहा जायेगा। आप अपने व्यस्त समय से कुछ समय निकाल कर इस साइट तक आये, भूली ब्लॉग पोस्ट पढ़ी बल्कि कमेंट भी किये, यह आपका मेरे प्रति अपरिमित स्नेह ही है। अपना आशीष बनाये रखें, यही लालसा है।

      सादर,
      सुशान्त सिंहल

  12. Pratik Gandhi

    वाह सुशांत जी आपके द्वारा लिखा विस्तृत लेख और हर एक चीज़ की विस्तृत जानकारी और शानदार फोटोस से यह पूरा कार्यक्रम आओकी नजर से देख पढ़ बहुत अच्छा लगा…अब तो फ़ोटो walk होती रहेगी….आपके प्रयासों को साधुवाद….

  13. Meenakshi

    Lijiye hum vahin rahe aur kabhi dekha nahi.
    Bahut bahut dhanyawaad itni rochak jaankaari aur acchi tasveeron ke liye.
    Aatma ki photo dekhne ki bahut iccha hai
    Par aapne kaha ki uski night shift hai aur raat ko wahan jaan allowed nahi ☹️

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