हमारी पहली फ़ोटो वॉक के बारे में मैं आपको विस्तार से बता चुका हूं जो दि. 13 अक्तूबर 2019 को भूली भटियारी महल (सेंट्रल रिज, निकट करोल बाग) (Bhuli Bhatiyari Mahal (Central Ridge, Nr. Karol Bagh, New Delhi) में सम्पन्न हुई थी। यदि आपने इस मजेदार फोटो वॉक के बारे में लिखी गयी मेरी पोस्ट नहीं देखी है तो आप पोस्ट व चित्र यहां पर देख सकते हैं। इस फोटोवॉक के बारे में हमने “घुमक्कड़ी दिल से” फेसबुक ग्रुप में एक इवेंट डाली थी जिसके उत्तर में अनेक सदस्यों ने सम्मिलित होने की इच्छा जताई और कुल 38 सदस्य / परिवार उसमें सम्मिलित हुए थे।
दूसरी वॉक के बारे में जब चर्चा आरंभ हुई तो लोदी गार्डन के पक्ष में सहमति बन गयी और तारीख तय हुई 10 नवंबर 2019 !
लोदी गार्डन : दिल्ली का विशिष्ट आकर्षण (Lodhi Gardens : Major Tourist Attraction of Delhi)
अगर आप मुझ से जानना चाहें कि दिल्ली में कोई ऐसा स्थान बताइये जहां बुज़ुर्ग, युवा, बच्चे पूरा दिन पिकनिक का आनन्द ले सकें, इतिहास के पन्ने पलटने के शौकीन लोग जहां मध्यकालीन इतिहास को खंगाल सकें, वनस्पति शास्त्री और किचन गार्डन में रुचि रखने वाले जहां घंटों तक नानाविध वनस्पतियों, पेड़ – पौधों की जानकारी हासिल कर सकें, bird watching के शौकीन लोग जहां जाकर अनेकानेक पक्षियों को झील के आसपास विहार करता देख सकें, एकान्त तलाश रहे युगल जहां पर दुनियादारी को भुला कर एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर पूरा दिन बतियाते रह सकें, अपने कैमरे से दुनिया जहान को देखने समझने वाले लोग जहां हर पल, हर पग पर कुछ नया, कुछ अनोखा घटित होता देख कर लगातार शटर दबाते रह सकें – तो मैं निस्संकोच आप को कहूंगा कि आप अपना पूरा एक दिन लोदी गार्डन्स को दे दीजिये!
फोटोवॉक की दृष्टि से लोदीगार्डन में बहुत सारे आकर्षण उपलब्ध हैं जिनमें 14 वीं और 15 वीं शती के मकबरे से लेकर रोज़ गार्डन, बोनसाई गार्डन, ग्लास हाउस, झील और झील में तैरती बतखें, एक से एक खूबसूरत बागीचे शामिल हैं। सुबह के समय यहां पर प्रातःकालीन भ्रमण, योगाभ्यास और जॉगिंग करने वाले सैंकड़ों स्त्री पुरुष बच्चे दिखाई देंगे। अगर हम दोपहर में जा रहे हैं तो बाहर से पधारे हुए पर्यटकों के अलावा स्थानीय जनता जिनमें पिकनिक मनाने वाले, बैडमिंटन आदि खेल खेलने वाले या रोमांस करने वाले मिल जायेंगे। नई दिल्ली चूंकि देश की राजधानी है अतः विदेशी पर्यटकों को भी यहां भरपूर संख्या में देखा जा सकता है।
चल पड़े हम लोदी गार्डन की ओर
लोदी गार्डन्स जाने के लिये नई दिल्ली मैट्रो सेवा की यैलो लाइन का जोरबाग मैट्रो स्टेशन सबसे नज़दीक है। काश्मीरी गेट से हमने हुडा सिटी सेंटर की ओर जाने वाली मैट्रो पकड़ी जो दिल्ली के बाहरी क्षेत्र से आरंभ होकर उत्तरी दिल्ली, मध्य दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली को पार करती हुई गुड़गांव तक जाती है। इस रूट की व्यस्तता का एक कारण यह भी है कि इस पर काश्मीरी गेट यानि अन्तर्राज्यीय बस टर्मिनस, पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण स्टेशन हैं। यही नहीं, यैलो लाइन पर रेड लाइन, ब्ल्यू लाइन, पिंक लाइन, वॉयलेट लाइन और मैजेंटा लाइन के लिये इंटरचेंज स्टेशन भी उपलब्ध हैं। खैर, हम काश्मीरी गेट से चले तो चांदनी चौक, नई दिल्ली, राजीव चौक, केन्द्रीय सचिवालय, उद्योग भवन, लोक कल्याण मार्ग होते हुए लगभग आधा घंटे में निश्चित समय 11 बजे जोरबाग़ जा पहुंचे। कुछ साथी ऐसे भी थे जो मैट्रो के बजाय ऑटो या अपनी मोटर साइकिल से सीधे लोदी गार्डन पहुंचने वाले थे।
जोरबाग मैट्रो स्टेशन धरती के सैंकड़ों फीट नीचे है। जब आप एस्केलेटर या सीढ़ियों का उपयोग करते हुए गेट नंबर १ से बाहर आते हैं तो स्वयं को एक तिराहे पर खड़ा हुआ पाते हैं जिसमें आपके सामने उत्तर दिशा में जोरबाग रोड है और आपके बाईं ओर पश्चिम दिशा में महर्षि अरविन्द मार्ग है। जोरबाग मैट्रो से लोदीगार्डन्स मात्र १ किमी दूर है और अगर आप घुमक्कड़ी करने के लिये घर से निकले हैं तो उम्मीद है कि आप भी हमारी तरह से, ऑटो से न जाकर पैदल वाला विकल्प ही चुनेंगे। वैसे जोरबाग मैट्रो पर YULU और SMART CYCLE भी खड़ी हुई मिलती हैं जिनका उपयोग करने के लिये आप अपने स्मार्टफोन से ऑनलाइन एप्प पर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और फिर साइकिल ले जा सकते हैं।
खैर हम लोग जोरबाग रोड पर पूर्वी दिशा में यानि महर्षि अरविन्द मार्ग के विपरीत दिशा में पैदल चल पड़े और थोड़ा आगे चल कर इंदिरा पर्यावरण भवन के ठीक सामने उत्तरी दिशा में लोदी रोड से मिलाने वाली एक सड़क मिल गयी जिस पर जोरबाग मार्किट भी था। इस मार्किट से बिसलेरी की बोतल लेते हुए हम लोदी रोड पर पहुंचे तो लोदी गार्डन हमारे सामने ही था और थोड़ा सा दाईं दिशा में चलते ही हमें प्रवेश द्वार मिल गया।
लोदीगार्डन के बारे में इतना तो हमें पता था कि लगभग 90 एकड़ क्षेत्र में फैले हुए इस विशाल पार्क में न केवल हरे – भरे लॉन और शानदार पेड़ मिलेंगे, बल्कि एक झील भी है जिसमें खूबसूरत पक्षी जल विहार करते मिल जायेंगे। इसके अलावा पन्द्रहवीं सदी के लोदी और सैयद शासकों के कुछ मकबरे भी हैं जो मुगल काल से भी पहले के हैं और इसीलिये पुरातात्विक महत्व के होने के कारण पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भारत सरकार द्वारा संरक्षित भवन हैं। ये सभी मकबरे भले ही 14वीं व 15वीं शताब्दी के भवन हों परंतु लोदी गार्डन का अस्तित्व 1936 में आया था और उस समय इसका नाम वेलिंगडन पार्क रखा गया था। ये नाम रखने की वज़ह थीं लेडी वेलिंगडन जो तत्कालीन वायसराय की पत्नी थीं। उनकी ही इच्छानुसार 90 एकड़ भूमि घेर कर ये गार्डन विकसित किया गया था और इस प्रकार जो चार मकबरे आपस में किसी भी प्रकार एक दूसरे से संबंधित नहीं थे, लोदी गार्डन में शामिल कर लिये गये। अगर आप पूछें कि वेलिंगडन पार्क का नाम लोदी गार्डन कब हो गया तो यह स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद का निर्णय था।
जैसा कि मैने अभी ज़िक्र किया, लोदी गार्डन में कुल मिला कर तीन विभिन्न स्थानों पर चार भवन मौजूद हैं। लोदी रोड से गेट नंबर 1 से हमने प्रवेश किया तो हम मात्र 4 साथी थे। अलग – अलग वाहनों से और अलग – अलग सड़क से आने के कारण बाकी सब साथी हमें लोदी गार्डन में ही मिलने वाले थे। कोई गेट नंबर 1 से आ रहा था तो कोई गेट नंबर 4 से तो कोई गेट नंबर 6 से। हम सब बड़ा गुम्बद के निकट लॉन में ही मिलने की बात तय कर चुके थे।
मौहम्मद शाह का मकबरा Mohammad Shah Tomb
बहरहाल, जब हमने लोदी रोड पर स्थित गेट नंबर 1, जिसे अशोक द्वार भी कहते हैं, से प्रवेश किया तो एक खूबसूरत लॉन के मध्य में काफी ऊंचे plinth level पर स्थित एक अष्टकोणीय भवन नज़र आया जो मौहम्मद शाह का मकबरा है और जिसका निर्माण 1444 में उनके साहबजादे अलाउद्दीन आलम शाह द्वारा किया गया बताया जाता है। इसको मुबारक खान के गुम्बद के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अष्टकोणीय कक्ष है जिसके बाहर बरामदा है। इस भवन में आठ कब्रें हैं जिनमें बीच वाली कब्र मौहम्मद शाह की है। इस भवन की मुख्य पहचान यह है कि इस के गोल गुम्बद के चारों ओर गुलदस्ते / छतरियां भी बनाई गयी हैं। साथ ही आठों दिशाओं में तीन – तीन मेहराबदार गेट हैं और 10 सीढ़ियां चढ़ कर इसका प्लेटफ़ॉर्म आता है। लॉन में खड़े हुए खजूर के वृक्ष तो इसकी शोभा में चार चांद लगाते ही हैं। वैसे एक अन्दर की बात बताऊं आपको ! जब इस मकबरे का निर्माण किया गया था तो सैयद सल्तनत की अर्थव्यवस्था बहुत बिगड़ी हुई थी इसलिये इस मकबरे के निर्माण पर ज्यादा खर्च नहीं किया गया था। बस, जैसा बन पड़ा सो बना लिया गया था।
हमारे कुछ साथी बड़ा गुम्बद पर पहुंच चुके थे सो, सैयद मौहम्मद शाह के मकबरे से हम बड़ा गुम्बद की ओर बढ़ चले। हमारे एक साथी दुर्गेश चौधरी अपना वीडियो लॉग बनाते हुए चल रहे थे।
बड़ा गुम्बद और शीशा गुम्बद
जब नाम ही बड़ा गुम्बद है तो स्वाभाविक ही है कि इस भवन का गुम्बद बाकी सब से बड़ा होगा। इस भवन की और विशेषताएं भी आप जानना चाहते हैं तो सुनिये! इस गुम्बद का निर्माण 1490 ईसवीं में हुआ था पर यह कोई नहीं बता पा रहा है कि इस बड़ा गुम्बद को बनाने की वज़ह क्या थी। इस गुम्बद में न तो कोई कब्र है और न ही इसका उपयोग किसी की समझ में आ रहा है। यह भवन जहां स्थित है, वह कभी खैरपुर ग्राम के रूप में जाना जाता था। कुछ इतिहासकारों ने अपना विचार पेश किया कि हो न हो, ये गुंबद मस्जिद का प्रवेश द्वार होगा। पर उनकी ये थ्योरी टांय – टांय फिस्स हो जाती है क्योंकि एक तो मस्जिद और बड़ा गुम्बद समकालीन नहीं हैं और उनकी निर्माण शैली में भी अंतर है।
Both buildings – Bada Gumbad and Sheesha Gumbad face each other
बड़ा गुम्बद और उसके ठीक सामने शीशा गुम्बद, जामा मस्जिद और मेहमान खाना – ये सब कुछ लोदी गार्डन के मध्यवर्ती भाग में स्थित है। शीशा गुम्बद और बड़ा गुम्बद काफी कुछ साम्य लिये हुए हैं पर शीशा गुम्बद में कब्रें हैं जबकि बड़ा गुम्बद में नहीं हैं। शीशा गुम्बद का नाम इसलिये पड़ा है क्योंकि इसके बाहर चिकनी, चमकीली टाइलें लगी हुई हैं। यह मान लिया गया है कि ये सब भवन सिकन्दर लोदी के द्वारा बनवाये गये होंगे परन्तु कुछ इतिहासकार इसको सिकन्दर लोदी का बनवाया हुआ नहीं मानते। बड़ा गुम्बद और शीशा गुम्बद के बीच में करीब 75 मीटर का फासला है जबकि सिकन्दर लोदी के मकबरे और बड़े गुम्बद के बीच में लगभग 400 मीटर की दूरी है और दोनों के बीच में जलधारा बह रही है। बड़ा गुम्बद, मस्जिद और मेहमान खाना 4 मीटर ऊंचे प्लेटफ़ॉर्म पर स्थित हैं। इस प्लेटफ़ार्म का आकार 30 मीटर गुणा 25 मीटर है। बड़े गुम्बद की ऊंचाई 29 मीटर है।
बड़े गुम्बद के पास में तीन गुम्बद वाली एक मस्जिद है जिसमें कुछ अजीब सी बातें भी नज़र आईं। मस्जिद की वाह्य और आंतरिक दीवारों पर न केवल खूबसूरत अलंकरण किये गये हैं बल्कि आयतें भी लिखी हुई हैं। कुछ दरवाज़े ऐसे भी हैं जो बाद में ईंटों से बहुत ही घटिया तरीके से जल्दबाजी में बन्द कर दिये गये हैं। यदि इन ईंटों को हटा कर दरवाज़े खोल दिये जायें तो हो सकता है कि कुछ नये रहस्य खुलें।
इन गुम्बदों का निरीक्षण – परीक्षण करके हम बाहर लॉन में आ गये जहां हमारे लगभग सारे साथी भी एकत्र हो चुके थे। रविवार होने के कारण बहुत अधिक भीड़ भी थी। कुछ लोग घर से दरियां, टिफिन, खेल कूद का सामान वगैरा लेकर भी आये हुए थे। कई सारे लोग Pre-wedding shoot में व्यस्त थे तो कुछ लोग सेल्फ़ी लेने में व्यस्त थे।
यहीं पास में सर्दियों की धूप का आनन्द लेते हुए हम सब घास पर ही बैठ गये और चाय, बिस्कुट, नमकीन आदि के साथ – साथ नये साथियों के परिचय का दौर चला। लगभग आधा – पौने घंटे बाद विचार बना कि अब सिकन्दर लोदी के मकबरे के भी दर्शन कर लिये जायें सो हम सब उठ कर गेट नंबर 4 की ओर बढ़ चले जो खान मार्केट के निकट है। हरे भरे लॉन, जल – प्रवाह, कमल दल आदि देखते और उनकी फोटो खींचते – खींचते हम सिकन्दर लोदी के मकबरे पर पहुंच गये।
सिकन्दर लोदी का मकबरा
लोदी सल्तनत के दूसरे सुल्तान सिकन्दर लोदी (जिसका शासन काल 1489 से 1517 ई. के दौरान रहा) का मकबरा सिकन्दर लोदी के बेटे इब्राहिम लोदी द्वारा 1517-18 ई. में बनाया गया बताया जाता है। यह मकबरा कुछ मामलों में मौहम्मद शाह के मकबरे से साम्य रखता है। एक मुख्य अन्तर ये कहा जा सकता है कि सिकन्दर लोदी के मकबरे को परकोटे से घेरा गया है और इस परकोटे के बाहर दो प्लेटफ़ार्म पर दो छतरी / झरोखे मौजूद हैं जो अब खंडहर की स्थिति में आ चुके हैं। चाहरदीवारी काफी ऊंची है जिसके मध्य में दक्षिणाभिमुख अष्टकोणीय कक्ष है जिसमें सिकन्दर लोदी की कब्र मानी जाती है। इस अष्टकोणीय कक्ष के बाहर एक बरामदा घूमता है। आठों दिशाओ में तीन – तीन मेहराब की शक्ल के द्वार हैं। दीवारों पर कुछ अल्पना और संदेश उत्कीर्णित हैं जो विदेशी भाषा में हैं। अपने आपको रोमांटिक मानने वाले कुछ मूर्ख युवक – युवतियां दीवारों पर कोयले या चौक से Bunty loves Babli शैली में अपना नाम भी लिख जाते हैं।
मुख्य कक्ष के बाहर चारों ओर सर्दी की धूप के कारण खूब हरी भरी घास अपनी ओर आकर्षित करती हुई प्रतीत हो रही थी। कुछ देशी – विदेशी युवतियां उस घास पर लेटी हुई धूप का आनन्द ले भी रही थीं। किसी आर्ट कालेज के दो छात्र-छात्राएं अपने कैनवस, रंग और ब्रश लेकर कलाकारी में व्यस्त थे।
सिकन्दर लोदी के इस मकबरे को देखने के दौरान बच्चे और कुछ महिलाएं बोरियत अनुभव कर रहे थे अतः हम हम सब अब झील और बत्तखों का आनन्द लेने के लिये अठपुला की ओर चल पड़े। अठपुला वास्तव में आठ स्तंभों पर टिका हुआ पुल है जिसके नीचे से जलधारा बह रही है। इस जलधारा के बारे में भी बताया जाता है कि यह यमुना नदी से जुड़ी हुई हुआ करती थी। यहां तक आते – आते कुछ साथियों को पुनः भूख सताने लगी थी सो जिसके पास जो जो भी नाश्ता बचा हुआ था, उस सब का भोग लगाया गया। वहीं पास ही में स्थित पानी वाले ए टी एम से एक या दो रुपये का सिक्का डाल कर पानी की बोतल पुनः भरी गयीं और पानी पीकर यह निश्चय हुआ कि अब कथा को यहीं विराम दे दिया जाये।
अगली फोटो वॉक कहां पर होगी? जब ये प्रश्न सम्मुख आया तो उस बारे में “व्हाट्स एप ग्रुप पर सब अपने अपने सुझाव देंगे और जब भी, जैसी भी सुविधा होगी, वैसा ही कार्यक्रम बना लिया जायेगा” निर्णय लेकर हम सब एक दूसरे से विदा लेकर लोदी गार्डन से अपने – अपने गेट की ओर बढ़ चले। तभी हमारे एक घुमक्कड़ मित्र रोहित यादव का फोन आया कि यदि हम अभी भी लोदी गार्डन के आस-पास ही हों तो वह पांच मिनट में सपत्नीक आ सकते हैं। रोहित यादव आजकल दुबई में कार्यरत हैं और बीच-बीच में भारत आते हैं तो एक – दो घुमक्कड़ी की योजना बनाने का प्रयास अवश्य करते हैं। उनसे मुलाकात हम सब को ही प्रिय थी अतः लोदी गार्डन के निकट ही चाय के एक खोखे के पास हम रुक कर और चाय का आर्डर देकर उनकी प्रतीक्षा करने लगे। इससे पहले कि चाय बन कर तैयार होती, अपनी बुलट पर रोहित यादव और उनकी पत्नी भी आ गये। उनसे भी चाय की चुस्कियों के बीच, दिल से मुलाकात हुई और आधा घंटे बाद हम ज़ोरबाग मैट्रो की ओर तेजी से बढ़ चले। इस प्रकार हमारी ये फोटोवॉक सम्पन्न हुई।
आवश्यक जानकारी (Important information about Lodhi Gardens (also spelt Lodi Garden) –
किनके लिये है? For whom | सभी आयु वर्ग के लोगों के लिये आकर्षण का केन्द्र। विशेषकर युवा, बच्चे व वृद्ध स्त्री – पुरुष। (People of all age groups, males, females and children)
फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिये (professional photoshoots and photo enthusiasts) बागवानी के शौकीन लोगों के लिये (fond of gardening) एतिहासिक इमारतों में रुचि रखने वाले सभी लोग (those who love to study history and monuments) खेलने – कूदने व पिकनिक के शौकीन लोगों के लिये। (family picnics, romantic couples seeking a day out together) मॉर्निंग वाक, जॉगिंग, सायंकालीन भ्रमण के इच्छुक लोग। (Health conscious people interested in morning walks, evening walks, jogging etc.) बर्ड वाचिंग (bird watchers) |
भौगोलिक स्थिति
Geographical location |
दक्षिणी दिल्ली में (South Delhi)
जोर बाग़ मैट्रो स्टेशन (येलो लाइन) से 1 किमी दूर 1 km. away from Jor Bagh Metro Station (Yellow Line). North – Subramanian Bharti Marg दक्षिण – लोदी रोड (मुख्य प्रवेश द्वार) South – Lodhi Road (Main Entrance) पूर्व – मैक्समुलर मार्ग East – Maxmuller Road पश्चिम – अमृता शेरगिल मार्ग West – Amrita Shergil Marg |
प्रमुख आकर्षण | मौहम्मद शाह का मकबरा
Tomb of Mohammad Shah Bada Gumbad, Sheesha Gumbad, Mosque, Mehmankhana सिकन्दर लोदी का मकबरा Sikandar Lodhi’s tomb बोंसाई गार्डन / ग्लास हाउस / रोज़ गार्डन / हर्बल गार्डन Bonsai Garden, Glass house, Rose Garden, Herbal Garden अठपुला (आठ खंभों पर बनाया हुआ पुल) Athpula bridge झील व बत्तख (Lake & hundreds of ducks) अनेकानेक लॉन (Manicured lawns) |
निकट स्थित अन्य आकर्षण | पश्चिम – सफ़दरजंग का मकबरा – (महर्षि अरविंद मार्ग के उस पार) पैदल 750 मीटर। Tomb of Safdarjung, roughly 750 meters away on other side of Maharshi Aurobindo Marg
उत्तर – खान मार्किट (सुब्रमण्यम भारती मार्ग के उस पार) North – Khan Market (Opp. side of Subramaniam Bharti Marg) कुतुब मीनार – लगभग 9 किमी Qutub Minar, approx. 9 km. away. रेल म्यूज़ियम – 6 किमी Railway Museum, 6 km. away संजय झील और पार्क – 3 किमी Sanjay Lake, 3 km. |
क्षेत्रफल | 90 एकड़ |
प्रवेश द्वार | विभिन्न मार्गों पर 10 प्रवेश द्वार। मुख्य प्रवेश द्वार लोदी रोड पर। |
खुलने के दिन व समय | सप्ताह में सभी दिन
प्रातः से रात्रि तक |
प्रवेश शुल्क | निःशुल्क |
कैसे पहुंचें? | येलो लाइन मैट्रो के जोरबाग स्टेशन से पैदल 1 km.
(मैट्रो स्टेशन से स्मार्ट बाइक / युलु बाइक भी उपलब्ध हैं) ऑटो रिक्शा / टैक्सी अपना वाहन Lodhi Garden can be reached via Jor Bagh Metro Station (On yellow line) which is 1 km. away. At the Metro Station, Smart bikes and Yulu bikes also are available. |
पुराना नाम | वेलिंगडन पार्क – निर्माण वर्ष सन् 1936
Wellingdon Park – developed in 1936. |