हमने नई दिल्ली जंक्शन से शाम को 17.40 पर जसिदीह से होकर हावड़ा के लिए चलने वाली पूर्व एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12304) से अपना आरक्षण कराया था! ट्रेन रास्ते में एक डेढ़ घंटा लेट भी हुई पर फिर भी जसिदीह पहुँचने से पहले उसने अपनी देरी को कवर कर लिया और हमें समय से पहुँचा दिया था! ये ट्रेन अलीगढ़, टुंडला, इटावा, कानपुर सेंट्रल, प्रयागराज, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (पुराना नाम मुगलसराय), बक्सर, आरा, दानापुर, पटना, बख़्तियारपुर आदि स्टेशन पर रुकते हुए अगले दिन सुबह 11.42 पर जसिदीह स्टेशन पर पहुँचती है! वैसे इस ट्रेन का हावड़ा पहुँचने का समय शाम को 17.00 पर है!
बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दर्शन
बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर पहुँचने के लिए रेल, सड़क और वायु मार्ग तीनों ही उपलब्ध हैं! दिल्ली की दिशा से सड़क मार्ग से जाना हो तो आगरा, लखनऊ, आज़मगढ़, पटना, देवघर रूट या आगरा, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, देवघर में से आपके लिये जो सुविधाजनक हो, वह रूट चुन सकते हैं! जुलाई 2022 से देवघर के लिए वायुमार्ग भी उपलब्ध हो गया है और कोलकाता, राँची, पटना के अलावा दिल्ली से भी वायु सेवा उपलब्ध है! उम्मीद है कि मुंबई और बंगलौर से भी वायु सेवा जल्द ही शुरू हो जाएगी! देवघर एयरपोर्ट से बाबा बैद्यनाथ धाम की दूरी लगभग 12 km है!
महाराष्ट्र में घुमक्कड़ी : कार्ला गुफ़ाएं और एकविरा मंदिर
अगर आप अजन्ता – एलोरा आदि गुफ़ाओं को देख चुके हैं तो भी विशालकाय प्रार्थना कक्ष (चैत्य) कार्ला गुफ़ाओं का सबसे बड़ा आकर्षण है और आपको आमंत्रित करता है! अगर आप मुंबई – पुणे के आस पास हैं तो यहां आना बनता है! पुणे से कार्ला गुफा और एकविरा मंदिर की दूरी 65 किमी और नवी मुंबई से लगभग 73 किमी है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग यात्रा व दर्शन
अभी फिलहाल हम नाशिक – पुणे राजमार्ग पर हैं पर कुछ किमी के बाद हम इस ’हेमामालिनी के गाल’ जैसे स्मूथ और सिल्की राजमार्ग का मोह त्याग कर ओमपुरी के गाल जैसा भीमाशंकर मार्ग पकड़ लेंगे जो हमें वन्य, ग्रामीण व पहाड़ी इलाके से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग तक पहुंचायेगा! भीमा नदी यहां से आरंभ होकर दक्षिण पूर्व दिशा में बहते हुए महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना राज्य की प्यास बुझाते हुए रायचूर जिले में कृष्णा नदी में समाहित हो जाती है। पंढरपुर में इस नदी को चन्द्रभागा के नाम से जाना जाता है क्योंकि वहां इसका आकार अर्द्ध चन्द्रमा जैसा हो जाता है।
हमारी महाराष्ट्र यात्रा – त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, नाशिक
नासिक शहर से 30 किमी दूर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का माहात्म्य सर्वविदित है। गोदावरी तट पर बसे नाशिक में प्रत्येक 12 वर्ष में कुंभ का आयोजन होता है।
हमारी महाराष्ट्र यात्रा का पहला दिन – औरंगाबाद में ज्योतिर्लिंग दर्शन
52 दरवाज़ों के इस शहर में आने का हमारा मुख्य ध्येय घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग Ghrishneshwar Jyotirlingam के दर्शन करना है। पर जब औरंगाबाद आये हैं तो एलोरा की गुफ़ाएं व यहां के अन्य आकर्षण देखे बिना भला कैसे जा सकते हैं!