बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर पहुँचने के लिए रेल, सड़क और वायु मार्ग तीनों ही उपलब्ध हैं! दिल्ली की दिशा से सड़क मार्ग से जाना हो तो आगरा, लखनऊ, आज़मगढ़, पटना, देवघर रूट या आगरा, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, देवघर में से आपके लिये जो सुविधाजनक हो, वह रूट चुन सकते हैं! जुलाई 2022 से देवघर के लिए वायुमार्ग भी उपलब्ध हो गया है और कोलकाता, राँची, पटना के अलावा दिल्ली से भी वायु सेवा उपलब्ध है! उम्मीद है कि मुंबई और बंगलौर से भी वायु सेवा जल्द ही शुरू हो जाएगी! देवघर एयरपोर्ट से बाबा बैद्यनाथ धाम की दूरी लगभग 12 km है!
महाराष्ट्र में घुमक्कड़ी : कार्ला गुफ़ाएं और एकविरा मंदिर
अगर आप अजन्ता – एलोरा आदि गुफ़ाओं को देख चुके हैं तो भी विशालकाय प्रार्थना कक्ष (चैत्य) कार्ला गुफ़ाओं का सबसे बड़ा आकर्षण है और आपको आमंत्रित करता है! अगर आप मुंबई – पुणे के आस पास हैं तो यहां आना बनता है! पुणे से कार्ला गुफा और एकविरा मंदिर की दूरी 65 किमी और नवी मुंबई से लगभग 73 किमी है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग यात्रा व दर्शन
अभी फिलहाल हम नाशिक – पुणे राजमार्ग पर हैं पर कुछ किमी के बाद हम इस ’हेमामालिनी के गाल’ जैसे स्मूथ और सिल्की राजमार्ग का मोह त्याग कर ओमपुरी के गाल जैसा भीमाशंकर मार्ग पकड़ लेंगे जो हमें वन्य, ग्रामीण व पहाड़ी इलाके से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग तक पहुंचायेगा! भीमा नदी यहां से आरंभ होकर दक्षिण पूर्व दिशा में बहते हुए महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना राज्य की प्यास बुझाते हुए रायचूर जिले में कृष्णा नदी में समाहित हो जाती है। पंढरपुर में इस नदी को चन्द्रभागा के नाम से जाना जाता है क्योंकि वहां इसका आकार अर्द्ध चन्द्रमा जैसा हो जाता है।
हौजखास परिसर दिल्ली
हौजखास परिसर में खड़े हुए मंडपों का क्या उपयोग रहा होगा, इसका सिर्फ़ अनुमान लगाया जाता है। जिन खंभों के सहारे गुम्बद टिकाई गयी है, उनकी निर्माण शैली, उपयोग की गयी निर्माण सामग्री गुम्बद से बिल्कुल अलग है जो कई प्रश्नचिह्न खड़े करती है।
जयपुर भ्रमण: हवा महल
सिटी पैलेस और हवामहल एक भूमिगत मार्ग से जुड़े हुए हैं जो सिटी पैलेस में रहने वाली रानियों के उपयोग में आता था। हवा महल का प्रवेश द्वार भी सिटी पैलेस के अन्तःपुर की ओर से ही है। सच कहें तो हम सड़क से हवा महल का जो दृश्य देखते हैं वह हवा महल का पृष्ठ भाग है।
गोदावरी तट नाशिक : पंचवटी धाम
भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास का अधिकतम समय गोदावरी के तट पर पांच वटवृक्षों की छाया तले पर्णकुटी बना कर व्यतीत किया था।
हमारी महाराष्ट्र यात्रा – त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, नाशिक
नासिक शहर से 30 किमी दूर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का माहात्म्य सर्वविदित है। गोदावरी तट पर बसे नाशिक में प्रत्येक 12 वर्ष में कुंभ का आयोजन होता है।