हौजखास परिसर में खड़े हुए मंडपों का क्या उपयोग रहा होगा, इसका सिर्फ़ अनुमान लगाया जाता है। जिन खंभों के सहारे गुम्बद टिकाई गयी है, उनकी निर्माण शैली, उपयोग की गयी निर्माण सामग्री गुम्बद से बिल्कुल अलग है जो कई प्रश्नचिह्न खड़े करती है।
फोटो स्कूल : शटर और एपरचर
लाइट अगर बहुत कम हो तो आंखें फाड़ – फाड़ कर देखने के बावजूद हम अंधेरा अनुभव करते हैं, ठीक से नहीं देख पाते! दूसरी ओर अगर प्रकाश बहुत अधिक तीव्र हो तो आंखें सिकोड़ कर मिचमिचाते रहते हैं। हमारी आंखों को यदि आदर्श मात्रा में प्रकाश मिले, तभी वह सुखी और प्रसन्न रहती हैं। ठीक यही स्थिति कैमरे के साथ भी है।
मंगल महादेव मन्दिर
एयरोसिटी के बाद एक्ज़िट 2 से मैने हाइवे छोड़ कर कार सर्विस रोड पर उतार दी जो शिवाजी मार्ग कहलाती है। हाइवे के साथ – साथ मुश्किल से आधा मिनट की ड्राइव के बाद ही एवेन्यू बोगेनवेलिया तथा “मंगल महादेव मंदिर” मेरे बाईं ओर मौजूद थे। जी हां, पास जाकर जब मंदिर के बाहर लगा हुआ बोर्ड पढ़ा तो उस पर मंदिर का सही नाम – मंगल महादेव मंदिर, रंगपुरी, दिल्ली लिखा हुआ नज़र आया।
जयपुर भ्रमण: हवा महल
सिटी पैलेस और हवामहल एक भूमिगत मार्ग से जुड़े हुए हैं जो सिटी पैलेस में रहने वाली रानियों के उपयोग में आता था। हवा महल का प्रवेश द्वार भी सिटी पैलेस के अन्तःपुर की ओर से ही है। सच कहें तो हम सड़क से हवा महल का जो दृश्य देखते हैं वह हवा महल का पृष्ठ भाग है।
राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र – ज्ञान और मनोरंजन साथ साथ !
आज मैं आपको नई दिल्ली का एक ऐसा अद्भुत म्यूज़ियम दिखाने जा रहा हूं जिसमें से बच्चे वापिस आना ही नहीं चाहते। बस, थोड़ी सी देर और! बस, ये और देखना है !! यही कहते रहते हैं। वैसे ये प्रत्येक आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिये है। अगर आपकी विज्ञान में कोई खास रुचि नहीं है, तो भी आप यहां आकर बहुत प्रसन्न होंगे। यह स्थान है – राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र, नई दिल्ली !
गोदावरी तट नाशिक : पंचवटी धाम
भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास का अधिकतम समय गोदावरी के तट पर पांच वटवृक्षों की छाया तले पर्णकुटी बना कर व्यतीत किया था।
हमारी महाराष्ट्र यात्रा – त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, नाशिक
नासिक शहर से 30 किमी दूर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का माहात्म्य सर्वविदित है। गोदावरी तट पर बसे नाशिक में प्रत्येक 12 वर्ष में कुंभ का आयोजन होता है।