India Travel Tales
डांस मेरा सबसे पहला शौक़ है – गोविंद अग्रवाल
डांस मेरा सबसे पहला शौक़ है – गोविंद अग्रवाल

डांस मेरा सबसे पहला शौक़ है – गोविंद अग्रवाल

ऋषिकेश में गंगा तट पर परमार्थ निकेतन के बिलकुल पास ही, निर्वाणा पैलेस और निर्वाणा ब्लिस नाम से दो होटल हैं जिनके स्वामी गोविंद अग्रवाल एक युवा व्यवसायी तो हैं ही, साथ ही घुमक्कड़ी के शौक़ीन भी हैं! ऐसे में जब कोई घुमक्कड़ घूमता फिरता उनके होटल में जा पहुँचता है तो गोविंद जी उसका दिल खोल कर स्वागत करते हैं! यही मेरे साथ भी हुआ जब गत 23 जनवरी 2024 को दोपहर मैं उनके नव निर्मित होटल निर्वाणा ब्लिस में जा पहुँचा!

देवघर में कहाँ रुकें? होटल रिव्यू
देवघर में कहाँ रुकें? होटल रिव्यू

देवघर में कहाँ रुकें? होटल रिव्यू

हमने नई दिल्ली जंक्शन से शाम को 17.40 पर जसिदीह से होकर हावड़ा के लिए चलने वाली पूर्व एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12304) से अपना आरक्षण कराया था! ट्रेन रास्ते में एक डेढ़ घंटा लेट भी हुई पर फिर भी जसिदीह पहुँचने से पहले उसने अपनी देरी को कवर कर लिया और हमें समय से पहुँचा दिया था! ये ट्रेन अलीगढ़, टुंडला, इटावा, कानपुर सेंट्रल, प्रयागराज, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (पुराना नाम मुगलसराय), बक्सर, आरा, दानापुर, पटना, बख़्तियारपुर आदि स्टेशन पर रुकते हुए अगले दिन सुबह 11.42 पर जसिदीह स्टेशन पर पहुँचती है! वैसे इस ट्रेन का हावड़ा पहुँचने का समय शाम को 17.00 पर है!

बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दर्शन
बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दर्शन

बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दर्शन

बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर पहुँचने के लिए रेल, सड़क और वायु मार्ग तीनों ही उपलब्ध हैं!  दिल्ली की दिशा से सड़क मार्ग से जाना हो तो आगरा, लखनऊ, आज़मगढ़, पटना, देवघर रूट या आगरा, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, देवघर में से आपके लिये जो सुविधाजनक हो, वह रूट चुन सकते हैं! जुलाई 2022 से देवघर के लिए वायुमार्ग भी उपलब्ध हो गया है और कोलकाता, राँची, पटना के अलावा दिल्ली से भी वायु सेवा उपलब्ध है!  उम्मीद है कि मुंबई और बंगलौर से भी वायु सेवा जल्द ही शुरू हो जाएगी! देवघर एयरपोर्ट से बाबा बैद्यनाथ धाम की दूरी लगभग 12 km है!

क्या पढ़ना चाहेंगे आप?

प्रिय मित्रों, आपकी सुविधा के लिये मैं यहां मेन्यू कार्ड यानि Table of Contents दे रहा हूं जिससे आपको एक निगाह में पता चल जाये कि यहां क्या – क्या उपलब्ध है! आप जो भी ऑर्डर करना चाहें (यानि पढ़ना…

मां वैष्णो देवी दरबार में
मां वैष्णो देवी दरबार में

मां वैष्णो देवी दरबार में

अन्ततः वह क्षण आ ही गया है जब हम मां के दरबार में हाजिरी लगाने के लिये उपस्थित हैं! मां से क्या – क्या कहना था, क्या – क्या वायदे करने हैं, कुछ भी याद नहीं आ रहा है! बस, मूक हो कर रह गया हूं! जय माता की!

महाराष्ट्र में घुमक्कड़ी : कार्ला गुफ़ाएं और एकविरा मंदिर
महाराष्ट्र में घुमक्कड़ी : कार्ला गुफ़ाएं और एकविरा मंदिर

महाराष्ट्र में घुमक्कड़ी : कार्ला गुफ़ाएं और एकविरा मंदिर

अगर आप अजन्ता – एलोरा आदि गुफ़ाओं को देख चुके हैं तो भी विशालकाय प्रार्थना कक्ष (चैत्य) कार्ला गुफ़ाओं का सबसे बड़ा आकर्षण है और आपको आमंत्रित करता है! अगर आप मुंबई – पुणे के आस पास हैं तो यहां आना बनता है! पुणे से कार्ला गुफा और एकविरा मंदिर की दूरी 65 किमी और नवी मुंबई से लगभग 73 किमी है।

सुरकंडा देवी दर्शन
सुरकंडा देवी दर्शन

सुरकंडा देवी दर्शन

भगवान शिव की पहली पत्नी सती थीं जिन्होंने अपने पिता द्वारा भगवान शिव की अवहेलना और अपमान से क्षुब्ध होकर यज्ञकुंड में ही कूद कर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी ! अपनी प्राणों से भी प्रिय पत्नी के मृत शरीर को देख कर शिव जी विक्षिप्त जैसे हो गये और उनके मृत शरीर को उठाये हुए घूमते फिरते रहे और अंततः कैलाश पर्वत जा पहुंचे! पौराणिक कथाओं के अनुसार, खास तौर पर देवी भागवत पुराण के अनुसार जहां – जहां पर भी आकाश से मां सती के शरीर के विभिन्न अंग, वस्त्र और आभूषण गिरे, वह सब स्थान मां के शक्तिपीठ कहलाये ! ऐसे 51 शक्तिपीठ देश में मौजूद हैं! सुरकंडा देवी शक्तिपीठ भी ऐसा ही एक शक्तिपीठ है जहां पर मां सती का सिर गिरा था! यह विश्वेश्वरी दुर्गा सुरकंडा देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है!

कार से अकेले उत्तराखंड यात्रा : 2
कार से अकेले उत्तराखंड यात्रा : 2

कार से अकेले उत्तराखंड यात्रा : 2

हर दो कदम पर हमारी राह में लाल रंग के फूल बिखरे हुए हैं ! बोले तो – रेड कार्पेट वेल्कम किया जा रहा है! ये लाल रंग के फ़ूल बुरांश के हैं जिसे अंग्रेज़ी में Rhododendron कहते हैं! जब तक ये पेड़ पर रहते हैं, उनकी शोभा में चार चांद लगाते रहते हैं! जब इनकी पंखुड़ियां नीचे सड़क पर बिखरती हैं तो red carpet welcome का दृश्य साकार करने लगती हैं ! यदि आप इन फूलों को एकत्र करके पानी में उबाल लें और चीनी मिला लें तो बुरांश का शर्बत बन जाता है! आप ये concentrate कांच की शीशियों में भर कर रख लेते हैं और dilute करके खुद भी पीते रहते हैं और अपने मेहमानों को भी पिलाते रह सकते हैं!

कानाताल कैसे पहुंचें?
कानाताल कैसे पहुंचें?

कानाताल कैसे पहुंचें?

दिल्ली से आने वाले पर्यटक / घुमक्कड़ हरिद्वार – ऋषिकेश – नरेन्द्र नगर – चम्बा होते हुए कानाताल पहुंचना अत्यन्त सुविधाजनक पायेंगे! दिल्ली से ऋषिकेश तक तो उनको टोल रोड यानि एक्सप्रेस वे मिलेगा और ऋषिकेश से आगे चम्बा तक का पहाड़ी मार्ग भी टनाटन है!

कार से अकेले उत्तराखंड यात्रा
कार से अकेले उत्तराखंड यात्रा

कार से अकेले उत्तराखंड यात्रा

चंबा से कानाताल कैम्प सिर्फ़ 12 किलोमीटर की दूरी पर ही है! मेरी अब तक कुल यात्रा 300 किमी से अधिक हो चुकी है। चंबा तक आते हुए रास्ते में जहां भी मुझे फ़ोटो लेने लायक दृश्य दिखाई दिये तो मैं बार – बार सड़क के किनारे कार रोकता रहा और फ़ोटो क्लिक करता रहा हूं। इस चक्कर में मुझे अपनी इस यात्रा में आवश्यकता से अधिक समय भी लग रहा है! पर जब घुमक्कड़ी ही यात्रा का उद्देश्य हो तो गति के बजाय आनन्द पर फ़ोकस करना चाहिये! है ना?