- यात्रा सहारनपुर से नैनीताल की
- काठगोदाम से भीमताल होते हुए नैनीताल
- नैनीताल – एक अलसाई हुई सुबह
- नैनी झील में बोटिंग, चिड़ियाघर, तल्लीताल, चांदनी चौक
पिछले पोस्ट – “नैनीताल की अलसाई एक सुबह” में मैं आपको बता रहा था कि नैनीताल में अल सुबह घूमते घूमते मल्लीताल में वर्षा शुरु हो गयी तो तो वर्षा की बूंदों से कैमरे की रक्षा करने के लिये अपनी शर्ट में छिपा कर मैं तेज कदमों से होटल की ओर चल पड़ा! रास्ते में एक बाइक पर लिफ्ट मिल गयी तो होटल तक दो मिनट में ही आ पहुंचा।
अब तक वर्षा भी तेज हो चुकी थी। होटल से बाहर झांकने पर कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था। ऐसे में इस समय का सदुपयोग कैमरे को पुनः चार्ज करने और मैमोरी कार्ड को खाली करने में किया जा सकता था, सो वही किया। जब चार्जिंग चल रही थी तो रूम सर्विस वालों से पानी की एक बाल्टी मंगा कर स्नान ध्यान भी कर डाला। बारह बजते – बजते न केवल वर्षा रुक गयी बल्कि धूप भी निकल आई। वल्लाह, क्या खूबसूरत लग रहा था नैनीताल उस खिली – खिली सी धूप में ! यदि थोड़ा बहुत वायु प्रदूषण या गन्दगी मेरे नैनीताल पहुंचने से पहले रही भी होगी तो वह ऐसे ही साफ हो चुकी थी जैसे स्वास्थ्य मंत्री के निरीक्षण से पहले ही अस्पताल की सब व्यवस्था चाक चौबन्द कर दी जाती है ! ऐसे में कमरे में रुकना तो महापाप होता अतः फुर्ती से कैमरा और पर्स संभाला और कमरे को ताला लगा कर गर्दन घुमाई तो खूब सारे बच्चे बगल के कमरों से घूमने की तैयारी में बाहर निकलते हुए दिखाई दिये। उनका परिचय लिया, एक फोटो उन सबकी खींची और होटल से नीचे उतर आया। होटल के ठीक सामने अप और डाउन सड़कों के बीच में चल रहा पैदल पथ और शानदार पार्क आवाज़ देकर बुला रहे थे। सच, उस पार्क को देख कर नैनीताल वालों के भाग्य से बड़ी ईर्ष्या हुई। हमारे सहारनपुर में तो नगर निगम को नरक निगम कहना ही ज्यादा उचित है। सहारनपुर की जिम्मेदारी संभाले हुए अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं जिनको गन्दगी से खासा लगाव है और जिन्होंने पूरे सहारनपुर को एक विशाल कूड़ाघर का स्वरूप देने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी है।
इस पार्क में घूमते हुए बीच – बीच में नाव वाले भी आवाज़ देते रहे जो नैनी झील में सैर कराते हैं। अकेले झील में बोटिंग करने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी पर ये सोच कर कि देखें, झील में से नैनीताल कैसा नज़र आता है, मैने एक नाव में बैठ कर एक चक्कर लगाना स्वीकार कर लिया। आप भी देख लीजिये कि मुझे क्या – क्या नज़र आया था –
नमस्कार सर। नैनीताल देखकर अच्छा लगा और आपके फोटो बहुत सुंदर है व उनके कैप्शन उनसे भी अच्छे… बढिया यात्रा
थैंक यू वेरी मच सचिन भाई !
यादगार पल ,नैनीझील में घूमते हुए ये सब आंखों के सामने थे ,जोरदार मंजर ..
आपके वेरिफ़िकेशन ने परेशान कर दिया। इसको हटा दीजिये।
बुआ ! ये वेरिफ़िकेशन सिर्फ एक बार की परेशानी होती है। एक बार की परेशानी तो दुनिया झेल ही लेती है ना? 🙂 इस वेरिफिकेशन के फ़ायदों को देखते हुए इसे हटाना उचित नहीं रहेगा।
दर्शन ने आकर ब्लॉग पर दर्शन दिये इससे बढ़कर मेरे लिये सौभाग्य और क्या होगा? आती रहिये, पढ़ती रहिये और प्यारे प्यारे कमेंट भी देती चलिये ! भगवान आपको वर्ल्ड टूर करायेंगे।
Pingback: इधर नैनी झील - उधर चांदनी चौक ! - India Travel Tales
Pingback: यात्रा सहारनपुर से नैनीताल की - India Travel Tales
Pingback: नैनीताल की एक अलसाई सुबह - India Travel Tales