आज 29 फरवरी थी, यानि जयपुर प्रवास का हमारा अंतिम दिन ! पिछले दो दिनों में पुराने, यानि गुलाबी जयपुर को ठीक से देखने का अवसर नहीं मिल पाया था। आज जयपुर को विदा कहने से पहले यदि पुराने जयपुर में पैदल भ्रमण की इच्छा पूरी नहीं हुई तो मन में मलाल रह जायेगा, यही सोच कर मैने सुबह 5 बजे ही बिस्तर छोड़ दिया और अपने मित्र को होटल सारंग पैलेस में सोते हुए छोड़ कर बाहर सड़क पर निकल आया। बाहर अंधेरा था, अनजान शहर था, अतः कैमरा होटल में ही छोड़ दिया था, सिर्फ मोबाइल फोन ही पास में था।
गूगल मैप पर, चांद पोल किस दिशा में है और कितनी दूर है, इतना दिशा ज्ञान प्राप्त करके मैं पैदल ही निकल पड़ा। अनजान मुहल्ले की अनजान गलियों में से सुबह 5 बजे पैदल निकलते हुए एक विचित्र सा आह्लाद अनुभव होरहा था। एक दुकान के बाहर हॉकर अखबारों के बंडल बना रहे थे, सड़क के किनारे रह रहे कुछ मज़दूरों के परिवार की महिलाएं अपनी दिनचर्या शुरु करने की तैयारी में थीं और फुटपाथ पर चूल्हे में लकड़ियां लगा रही थीं। थोड़ा सा आगे बढ़ा तो एक चौराहा आगया। नक्शे में देखा तो मेरे सामने झोटवाड़ा रोड थी। इस सड़क पर पूर्व दिशा में चलता चलूंगा तो चांद पोल पहुंच जाऊंगा, यह विश्वास लेकर मैं तेजी से पग बढ़ाता रहा।
अभी सूर्योदय नहीं हुआ था, परन्तु स्ट्रीट लाइट्स पर्याप्त थीं। रास्ते में हॉस्पिटल, चर्च, मंदिर वगैरा भी दिखाई दिये । यूं ही चलते – चलते मैं चांद पोल पहुंच गया। इस क्षेत्र में जयपुर मैट्रो का काम तेज़ी से चल रहा है अतः सड़क का मध्य भाग मैट्रो वालों ने घेरा हुआ है और बड़ी – बड़ी क्रेन वहां पर काम में लगी हुई थीं। चांद पोल के एकदम बाहर सड़क पर ही भारी मात्रा में बदबूदार कूड़ा बिखरा देखकर लगा कि शायद सहारनपुर नगर निगम और जयपुर नगर निगम में मौलिक अन्तर कुछ भी नहीं है। गन्दगी न सहारनपुर के अधिकारियों को परेशान करती है और न ही जयपुर नगर निगम के अधिकारियों को !
चांद पोल दरवाज़े से पुराने, गुलाबी जयपुर नगर में प्रवेश करते ही वास्तुशास्त्र के अनुरूप एकरूपता से निर्मित भवनों की श्रंखला व चौड़ी सड़क आरंभ होगयी जो चांद पोल से आरंभ होकर सीधे सूरजपोल तक जाती है।
जैसा कि जयपुर जाने से पहले मैने जानकारी एकत्र की थी, पुराने जयपुर को चारों दिशाओं में विशाल परकोटे से सुरक्षित करते हुए विभिन्न दिशाओं में प्रवेश द्वार बनाए गये थे। उत्तर दिशा, यानि आमेर की ओर से प्रवेश करने के लिये ज़ोरावर सिंह गेट, पूर्व दिशा से नगर में प्रवेश करना हो तो सूरज पोल (जिसे गलता जी गेट भी कहा जाता है), पश्चिम दिशा से प्रवेश करने के लिये चांद पोल, और शेष चार द्वार दक्षिण दिशा में बनाए गये थे जिनके नाम राम पोल (घाट गेट), शिव पोल (सांगानेरी गेट), किशन पोल (अजमेरी गेट) और मान पोल (न्यू गेट) हैं। इस परकोटे के अन्दर नगर में भी कुछ गेट हैं जैसे सिटी पैलेस में प्रवेश करने के लिये त्रिपोलिया गेट, वीरेन्द्र पोल तथा उदय पोल ।
सूरज पोल और चांद पोल को मिलाने वाली इस सीधी सड़क पर चलते – चलते मुझे अपने बायें हाथ पर त्रिपोलिया गेट मिल गया जिसके बाहर दरबान मौजूद थे । सिटी पैलेस में प्रवेश करने हेतु त्रिपोलिया गेट का उपयोग केवल राजसी परिवार के लिये आरक्षित है। आम जनता और पर्यटक सिटी पैलेस देखने जाते हैं तो उदय पोल या वीरेन्द्र पोल से ही प्रवेश करते हैं।
इस सड़क के दोनों ओर करीने से दुकानें मौजूद थीं, लंबे – लंबे कॉरिडोर थे, बीच – बीच में सीढ़ियां ऊपर जा रही थीं जो आवासीय भवन या मन्दिर के लिये थीं। मैने पढ़ा था कि यदि पुराने जयपुर की वास्तुकला और city planning देखनी और समझनी हो तो उस समय जाना चाहिये जब बाज़ार बन्द हो और सड़कें सुनसान हों। आगे बढ़ा तो हवामहल जाने हेतु एक संकेतक लगा हुआ मिला। बताई गई दिशा में आगे बढ़ा तो हवामहल की टिकट खिड़की व एक स्कूल दिखाई दिये जो स्वाभाविक रूप से उस समय बन्द ही थे। हवामहल के ठीक बगल में एक मन्दिर का प्रवेश द्वार दिखाई दिया तो उसमें प्रवेश किया। यह दोमंजिला भवन था किन्तु यहां से हवामहल का भीतरी दृश्य दिखाई नहीं दे रहा था। बंदर भी काफी संख्या में मौजूद थे अतः चुपचाप वहां से वापिस निकल आया।
नीचे सड़क पर पहुंचा तो हमारे मित्र का होटल से फोन आगया कि मैं कितनी देर में वापिस आ रहा हूं! 15-20 मिनट में पहुंचने का वायदा करते हुए एक ई-रिक्शा पकड़ा और उसको पूरे आत्मविश्वास के साथ होटल का रास्ता समझाते समझाते वापिस 7.45 या 8.00 बजे के लगभग सारंग पैलेस जा पहुंचा।
The photos are not loading 🙁
Thank you for visiting this blog. Photos not uploading in any post? Or in some particular post? Can you please try again?
बहुत बढ़िया सर जी…. आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ…
अच्छा लगा….
सुबह के समय जयपुर का नजारा दिखा दिया आपने
धन्यवाद
प्रिय रितेश गुप्ता, इस नये ब्लॉग पर नज़रे-इनायत करने के लिये शुक्रिया ! आते रहें और यूं ही उत्साह बढ़ाते रहें ! एक बार पुनः आभार !
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