जयपुर के विश्वविख्यात आकर्षणों में जन्तर मन्तर भी एक है। जन्तर यानि – यन्त्र और मन्तर यानि मंत्र! आधुनिक खगोलशास्त्र, ज्योतिष और अंतरिक्ष विज्ञान के अध्येताओं के लिये जयपुर, दिल्ली, वाराणसी, मथुरा और उज्जयनी में मध्यकाल में बनाये गये ये यंत्र किसी अजूबे से कम नहीं हैं। मेरे जैसे लोग जिनका खगोलशास्त्र से कोई लेना देना नहीं है, इन यंत्रों के विवरण पढ़ कर इनके महत्व व उपयोगिता का कुछ – कुछ अन्दाज़ा तो लगा सकते हैं किन्तु खगोल शास्त्रियों के लिये तो ये परिसर निश्चय ही भारतीय खगोल शास्त्र की अत्यन्त उन्नत अवस्था का प्रमाण हैं। बिना घड़ी, बिना दूरबीन और बिना किसी अन्य आधुनिक यंत्र की सहायता के सूर्योदय, सूर्यास्त, सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण, विभिन्न ग्रहों की स्थिति, समय आदि की गणना इन यंत्रों से की जा सकती है।
हमारे टैक्सी ड्राइवर ने जयपुर यात्रा के तीसरे और अन्तिम दिन हमें जयगढ़ और नाहरगढ़ फोर्ट दिखाया, और फिर पुराने जयपुर में सिटी पैलेस के आस-पास ही किसी हैरिटेज भवन में एक अच्छे से राजस्थानी भोजनालय से परिचय कराया था। भोजन के पश्चात् हम बाहर निकले तो तीन-सवा तीन बज रहे थे। वहां से हम सीधे टैक्सी से जन्तर-मन्तर / सिटी पैलेस की टिकट खिड़की पर पहुंचे जहां दोनों जगह के लिये टिकट खरीदे गये। पहला नंबर आया – जन्तर मन्तर का।
जैसा कि मैने पहले ही कहा है, मेरा खगोल शास्त्र का ज्ञान नगण्य ही है। ऐसे में हम दोनों ने जन्तर मन्तर परिसर में स्थित इन यंत्रों को समझने का बहुत गम्भीर प्रयास भी नहीं किया। वहां ऑडियो टूर भी उपलब्ध था और विदेशी पर्यटकों ने कुछ गाइड की सेवाएं भी प्राप्त की हुई थीं। पर हमने इन दोनों ही विकल्पों का लाभ नहीं उठाया जो कि हमारी गलती रही। बस, यूं ही इधर-उधर फोटो खींचते हुए घूमते रहे और यंत्रों के पास लगे हुए विवरण पट्ट पढ़ – पढ़ कर समझने का प्रयास करते रहे। सम्राट यंत्र, जय प्रकाश यंत्र, सूर्य यंत्र आदि – आदि को देख कर लगता है कि क्या आजकल के राज मिस्त्री इतनी त्रुटिविहीन इमारत खड़ी कर सकते हैं जो मात्र दो सैकेंड के हेर-फेर के साथ समय का ठीक – ठीक आकलन कर सकें? मुझे तो नहीं लगता! समय के आकलन की जो तकनीक अपनाई गयी है, वह ये है कि एक त्रिकोणाकार ऊंची इमारत की छाया एक वक्राकार स्केल पर पड़ती है। इस स्केल पर जो रीडिंग आये उस पर एक फार्मूला लगा कर घंटे, मिनट व सैकेंड में परिवर्तित कर लिया जाता है।
अपनी अज्ञानता के चलते हमने लगभग एक घंटा जन्तर – मन्तर में व्यतीत किया। वहां पर एक गायक के किसी गीत की शूटिंग भी की जा रही थी जिसके लिये सम्राट यंत्र से कुछ कम ऊंचाई की क्रेन भी लगाई गयी थीं। काफी सारे पर्यटक उस शूटिंग को देखने के लिये जमा हो गये थे। जन्तर – मन्तर में खींची गयी फोटो आपके लिये संलग्न कर रहा हूं –
खगोल शास्त्र की अज्ञानता की वजह से मुझे भी जंतर मंतर ज्यादा समझ नहीं आया था।