दोस्तों, मैं जयपुर आज तक दो बार गया हूं। पहली बार जब गया तो नाहरगढ़ और जयगढ़ किले देखे पर आमेर दुर्ग नहीं देख पाया। सिटी पैलेस देखा पर हवा महल सिर्फ़ बाहर से ही देख पाया। पहली त्रि-दिवसीय यात्रा में जन्तर मन्तर, चांद बावड़ी और अल्बर्ट म्यूज़ियम भी देखने का सुअवसर मिल गया था। ऐसे में जब पुनः जयपुर जाने का अवसर मिला तो हवा महल देखने का संकल्प किया हुआ था और यह संकल्प पूरा भी हुआ।
हवा महल का वाह्य स्वरूप इतना आकर्षक है कि बहुत से पर्यटक हवा महल को बाहर से देख कर ही संतुष्ट हो रहते हैं। इसकी वज़ह भी है। हवा महल को अगर बाहर से देखें तो लगता है यह और कुछ नहीं, 15 मीटर ऊंची, लाल पत्थर से बनी हुई एक सुन्दर सी दीवार मात्र है जिसमें शहद के छत्ते जैसे 953 आकर्षक झरोखे बने हुए हैं। पर मित्रों ऐसा है नहीं। हवा महल को देखने समझने के लिये टिकट खरीद कर उसमें प्रवेश भी करना चाहिये और इस बार मैने यही किया भी।
सबसे पहली बात तो ये जान लीजिये कि हवा महल सिटी पैलेस का ही विस्तार है। सिटी पैलेस और हवामहल एक भूमिगत मार्ग से जुड़े हुए हैं जो सिटी पैलेस में रहने वाली रानियों के उपयोग में आता था। हवा महल का प्रवेश द्वार भी सिटी पैलेस के अन्तःपुर की ओर से ही है। सच कहें तो हम सड़क से हवा महल का जो दृश्य देखते हैं वह हवा महल का पृष्ठ भाग है। इस 15 मीटर ऊंची दीवार के दो मुख्य उपयोग रहे हैं। पहला ये कि इन झरोखों से सड़क पर निकलने वाली शोभायात्राओं को आराम से देखा जा सकता है। रानियां इन खिड़कियों के चबूतरों पर बैठ कर आराम से बाहर के दृश्य देख सकती थीं और खुद पर्दे में बनी रहती थीं। दूसरे इन खिड़कियों की वज़ह से हवा महल में ठंडी ठंडी – कूल कूल हवा का आना जाना लगा रहता है जो हवा महल नाम को सार्थक कर देता है।
हवा महल में कुल मिला कर पांच मंजिल हैं जिनमें से ऊपर की तीन मंजिलें तो एक कमरे जितनी चौड़ी ही हैं। जब हम 100 रुपये का टिकट खरीद कर हवा महल में प्रवेश करते हैं तो हमें एक विशाल आंगन दिखाई देता है जिसके चारों ओर बरामदे और कमरे हैं और आंगन के मध्य में फ़व्वारे बने हुए हैं जो अब चलते नहीं हैं। वर्ष 2006 से हवा महल की मरम्मत और रख रखाव की जिम्मेदारी यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने अपने कंधों पर ली हुई है, ऐसे में फ़व्वारों को चलाने की जिम्मेदारी भी उनकी ही बनती है पर जब मैं गया तो वहां मुझे ऐसा नहीं लगा कि इन फव्वारों को शाम को या रात को चलाया जाता होगा। यदि आपने इन फव्वारों को चलते देखा हो तो कृपया मुझे भी बतायें ताकि मैं अपनी जानकारी को सुधार लूं।
इस आंगन में अन्दर की ओर बढ़ें तो सामने कुछ कमरे हैं और दाईं और बाईं ओर ऊपरी मंजिल पर जाने के लिये सीढ़ियां मिलती हैं। दूसरी मंजिल के बाद, बाईं ओर सीढ़ियां न होकर घुमावदार रैंप है यानि आप अगर व्हील चेयर पर हों तो भी आप ऊपर की मंजिलों पर जा सकते हैं।
कुछ ऐतिहासिक तथ्य –
निर्माण का वर्ष – 1799
निर्माता – सवाई जयसिंह के पोते सवाई प्रताप सिंह
वास्तुविद – लाल चन्द उस्ताद !
निर्माण स्थल – बड़ी चौपड़, सिटी पैलेस के बगल में !
अगर आप बड़ी चौपड़ के बारे में नहीं जानते तो आपको ये जानकर हर्ष और गर्व की अनुभूति होगी कि जयपुर भारत का प्राचीनतम सुनियोजित रूप से बनाया गया और परकोटे से घिरा हुआ नगर है जिसकी सारी सड़कें न केवल एक दूसरे को समकोण पर काटती हैं बल्कि उनकी चौड़ाई भी पूर्व निश्चित है। मुख्य राजमार्ग 30 मीटर चौड़े बनाये गये हैं यानि 111 फीट जो जयपुर को 9 सेक्टर में बांटते हैं। हर वह चौराहा जिस पर 30 मीटर चौड़ी सड़कें एक दूसरे को काटती हैं, बड़ी चौपड़ कहलाता है क्योंकि अगर आकाश से देखें तो ये चौराहे बिल्कुल चौपड़ जैसे ही अनुभव होते हैं। ये बड़ी चौपड़ 100 मीटर चौड़ी होती है और बड़े – बड़े समारोह और त्योहार इस बड़ी चौपड़ पर ही आयोजित हुआ करते थे और चारों ओर दर्शक मौजूद रहते थे। हर सेक्टर में 55 फीट चौड़ी सड़कें हैं जो एक दूसरे को समकोण पर ही काटती हैं और उस सेक्टर के लिये मुख्य पथ का कार्य करती हैं। इसके बाद 27 फीट चौड़ी सड़कों का नंबर आता है जो अलग – अलग मुहल्लों को जन्म देती हैं।
तो बात हो रही थी बड़ी चौपड़ की। पूर्व दिशा में स्थित सूरज पोल और पश्चिम दिशा में स्थित चांद पोल को जो 111 फीट चौड़ा राजमार्ग मिलाता है, उस पर हवा महल स्थित है। इस राजमार्ग पर हवामहल की पीठ दिखाई देती है यानि वही प्रसिद्ध 15 मीटर ऊंची, 953 झरोखे वाली लाल दीवार। इसी सड़क पर त्रिपोलिया गेट भी मौजूद है जो सिटी पैलेस में प्रवेश करने के लिये प्रवेश द्वार है। पर रुकिये, ये प्रवेश द्वार हमारे और आपके लिये नहीं है, ये सिर्फ राजा – महाराजाओं के लिये ही है। आम जनता के लिये जो प्रवेश द्वार है वह अन्दर की ओर है।
आइये, आपको कुछ चित्र दिखाता हूं। उनसे आप आसानी से समझ सकेंगे कि हवा महल वास्तव में है क्या!
वाह सर जी वाह
गजब की प्रस्तुति
बाहर से तो बहुत बार देखा है
परन्तु अंदर से फोटो गैलरी पहली बार देखी है
धन्यवाद राकेश जी, विलंब से उत्तर के लिये क्षमाप्रार्थी हूं। 🙂