वर्ष 1729 से 1732 के मध्य निर्मित सिटी पैलेस जयपुर के सबसे अधिक सुन्दर महलों में से एक है जिसका निर्माण आमेर के राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने आरंभ किया था और बाद के वर्षों में इसमें उत्तरोत्तर निर्माण कार्य चलते रहे हैं। इस महल का कुछ भाग आज भी राजसी परिवार के उपयोग में है और इसीलिये आम पर्यटकों को उस क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं है। सिटी पैलेस में प्रवेश के लिये तीन भव्य द्वार हैं जिनमें से एक – त्रिपोलिया गेट राजसी परिवार के उपयोग के लिये आरक्षित है तथा अन्य दो द्वार वीरेन्द्र पोल तथा उदय पोल में से किसी का भी उपयोग सामान्य जनता और पर्यटक सिटी पैलेस तक पहुंचने के लिये कर सकते हैं।
हम जयपुर प्रवास के तीसरे और अन्तिम दिन शाम को सिटी पैलेस देखने पहुंचे थे और हमारे पास द्वार बन्द होने से पहले महल के दर्शन हेतु एक केवल घंटा उपलब्ध था जो निश्चय ही इतने बड़े महल को देखने व समझने के लिये अपर्याप्त था। महल का कुछ हिस्सा मुबारक महल आज संग्रहालय के रूप में है। इस भवन का वाह्य स्वरूप ही इतना आकर्षक है कि आधा घंटे से अधिक मैं उसकी दीवारों पर उत्कीर्ण कलाकृतियों की ही फोटो खींचता रहा। मुबारक महल के अन्दर झांक कर देखा तो लगा कि उसमें मुख्यतः वस्त्राभूषण व टैक्सटाइल का ही प्रदर्शन किया गया है अतः मैं बिना समय गंवाये तुरन्त बाहर आया और उसके बाद भागते – दौड़ते हम दीवान-ए-खास तक पहुंचे! वहां हमने क्या – क्या देखा, यह साथ के चित्रों के माध्यम से दिखाने का प्रयास कर रहा हूं –
मुबारक महल के दायीं ओर स्थित एक अन्य भवन