India Travel Tales

मां वैष्णो देवी दरबार में

बादलों से अठखेलियां करता हुआ मां वैष्णोदेवी का दरबार
बादलों से अठखेलियां करता हुआ मां वैष्णोदेवी का दरबार

दि. 15 अगस्त 2021 :  अगली घुमक्कड़ी कहां हो?

रक्षा बंधन के अवसर पर गुड़गांव से मैं अपने बच्चों की माताश्री सहित साले साहब के घर इंदिरापुरम में आया हुआ हूं!   चर्चा चल पड़ी है कि हमारा अगला टूर कब हो और कहां का हो? दर असल, हमारी घुमक्कड़ी आजकल उनके साथ ही होती है!  साल में कम से कम एक बार तो हम चार – पांच या छः कपल साथ – साथ घूमने का कार्यक्रम बना ही लेते हैं जो लगभग एक सप्ताह का होता है!  कभी नॉर्थ ईस्ट, तो कभी गुजरात, तो कभी महाराष्ट्र तो कभी दुबई!  कई सारे सुझावों में से मां वैष्णोदेवी दरबार का नाम उभर कर नंबर वन पर आ गया है!  अंतिम निर्णय नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि किसान आन्दोलन के चलते पंजाब जाने वाली ट्रेन कैंसिल हो रही हैं! अगर प्रोग्राम बना लें तो क्या जाना वास्तव में संभव हो पायेगा?  

17 अगस्त : जायें ? या न जायें?

वापिस गुड़गांव आकर व्हाट्सएप ग्रुप में अपनी संभावित यात्रा का ज़िक्र किया तो कुछ हार्ड कोर घुमक्कड़ मित्र कह रहे हैं – सितम्बर प्रथम सप्ताह तक तो ट्रेन पुनः पटरी पर आ ही जायेंगी!  रिज़र्वेशन करा लो, मौसम भी बढ़िया है, न गर्मी न सर्दी !  बाणगंगा चेक पोस्ट से भवन तक 13.5 किमी की पैदल यात्रा है, मजे – मजे में सम्पन्न हो जायेगी!  एक ने यहां तक कह दिया कि आप लोग सीनियर सिटीज़न हो, अगर घुटने जवाब दे चुके हों तो हेलिकॉप्टर सेवा भी है, पालकी भी चलती हैं, घोड़े भी मिल जायेंगे और अर्द्धकुंवारी से आगे तो आजकल इलेक्ट्रिक कार भी चलती हैं!  

अपने घुमक्कड़ी ग्रुप के पांच – सात सदस्य अभी 15 दिन पहले ही मां वैष्णोदेवी के दर्शन करके आये हैं!  COVID protocol के बारे में उन्होंने एक उत्साहवर्द्धक बात ये और बता दी है –

अगर हम अपना फ़ुल वेक्सिनेशन वाला सर्टिफ़िकेट और आधार कार्ड साथ में रखेंगे तो कटरा रेलवे स्टेशन पर हमें पांच मिनट में ही बाहर जाने की अनुमति मिल जायेगी।  72 घंटे पहले RT-PCR निगेटिव रिपोर्ट कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैसे भी कटरा रेलवे स्टेशन पर बिना वेक्सीन सर्टिफ़िकेट वालों का रेपिड एंटीजेन टेस्ट होता है जिसका रिज़ल्ट 15 मिनट में ही पता चल जाता है! रिपोर्ट निगेटिव हो तो लाइन क्लियर!  हम सब तो फ़ुल वेक्सिन करा चुके हैं अतः समस्या खत्म !    

ये सब जानकारी हासिल करने के बाद मैने श्रीमती जी को एन.ओ.सी. दे दी है कि अपने भैया और बहिन से प्रोग्राम फ़िक्स कर लें ताकि रिज़र्वेशन कराया जा सके।

18 अगस्त 2021 : यात्रा की तैयारी आरंभ

नई दिल्ली से 4 सितंबर 2021 को शाम को श्री माता वैष्णो देवी कटरा (SMVD Katra) हेतु प्रस्थान और 9 सितम्बर को जम्मू से वापसी की ट्रेन पकड़ने का कार्यक्रम तय हुआ है!  

कार्यक्रम कुछ इस प्रकार है – (Itinerary)

4 सितंबर को नई दिल्ली स्टेशन से शाम को 7.05 पर 02461 श्री शक्ति ए.सी. स्पेशल ट्रेन से चलेंगे जो सुबह 6 बजे कटरा पहुंचायेगी! प्रति व्यक्ति किराया – लगभग 1400/- (2 Tier A.C.) क्योंकि 3-Tier AC फुल है!

5 सितंबर को सुबह कटरा पहुंच कर पैदल यात्रा आरंभ होगी !   रात को भवन पर ही रुकेंगे!  6 सितंबर को सुबह कटरा वापिस आयेंगे!    शाम को कटरा मार्किट घूम फिर लेंगे।

7 सितम्बर को सुबह कटरा से प्रस्थान ! दो दिन के लिये टैक्सी की जायेगी जो हमें पटनीटॉप, सनासर लेक और नत्था टॉप ले जायेगी और शाम को होटल पर छोड़ेगी! रात को वहीं होटल में रुकेंगे!

8 तारीख को वही टैक्सी हमें पटनीटॉप के बाकी आकर्षण दिखाते हुए जम्मू ! लोकल साइट सीइंग जम्मू में भी चालू रहेगी!  टैक्सी हमें रात को जम्मूतवी स्टेशन पर छोड़ देगी जहां से हमें नई दिल्ली के लिये ट्रेन मिल जायेगी!  टैक्सी का कुल खर्च Rs. 8,000/- रहेगा! अर्थात्‌ प्रति व्यक्ति लगभग रुपये 1350/- बैठेगा! ट्रेन टिकट लगभग Rs. 1,000/- प्रति व्यक्ति ! (3-Tier A.C.)

9 सितंबर को सुबह नई दिल्ली स्टेशन पर उतर कर अपने अपने घर को प्रस्थान करेंगे! 

किस – किस को क्या – क्या काम करना है, ये जिम्मेदारी भी तय हो गयी है!  मेरे जिम्मे रेल आरक्षण, ऑनलाइन यात्रा पर्ची निकलवाना और हेलिकॉप्टर बुकिंग के काम आये हैं!  होटल व टैक्सी की जिम्मेदारी साले साहब की है! तीनों महिलाओं को भी काफ़ी काम रहेंगे जैसे – फ़ेशियल, मैनिक्योर, पैडिक्योर, कपड़ों की अटैची – बैग इत्यादि तैयार करना और सबसे बढ़ कर, रास्ते के लिये खाना बना कर पैक करना जो सुबह कटरा में नाश्ते के रूप में भी पर्याप्त रहे!    

4 सितम्बर 2021 : 5 बजे सायं

गुड़गांव से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिये ओला टैक्सी रु. 492/- में तय होगयी है और हम जयपुर – दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग 48 पर हैं!

हम गुड़गांव से ओला टैक्सी से नई दिल्ली स्टेशन पहुंच रहे हैं और बाकी दो परिवार इंदिरापुरम / कौशाम्बी से लगभग हमारे साथ – साथ ही नई दिल्ली स्टेशन पहुंच रहे हैं!  प्लेटफ़ार्म नं. 7 से हमें 02461 श्री शक्ति स्पेशल ट्रेन मिलेगी, सो पहाड़ गंज या अजमेरी गेट के लफ़ड़े में न पड़ कर सीधे प्लेटफ़ॉर्म पर ही मिलना तय किया है! इस यात्रा के लिये एक व्हाट्सएप ग्रुप बना लिया गया है जिससे पल – पल के अपडेट्स का आदान – प्रदान हो रहा है!  हम सब के फ़ोन में प्रि-पेड सिम हैं अतः यात्रा सिम का इंतज़ाम कटरा पहुंच कर ही किया जायेगा!     

7.05 सायं – छुक छुक रेलगाड़ी – दिल्ली से कटरा

नई दिल्ली स्टेशन पर प्लेटफ़ार्म नं. 7 पर 02461 श्री शक्ति स्पेशल ट्रेन के अपने कोच के बाहर एक सेल्फ़ी तो बनती ही है!

जय माता की उद्घोष के साथ हमारी यात्रा आरंभ हो गयी है!  ट्रेन ने सही समय पर प्लेटफ़ॉर्म छोड़ दिया है!  टाइम टेबिल के अनुसार तो ट्रेन का पहला स्टॉप अंबाला छावनी में नियत है पर ये 22 कोच वाली गजगामिनी तो सब्ज़ी मंडी और सराय रोहिल्ला से भी ऐसे ही सवारियां लेती चल रही है जैसे प्राइवेट बस वाले दिल्ली – यू पी बॉर्डर से रेंगती हुई बस से ही हापुड़ चुंगी, ए एल टी, हल्ला मचाते हुए और सवारियां भरते हुए चलते हैं!

अंबाला छावनी स्टेशन पर मैं ट्रेन से बाहर आया तो श्रीमती जी से डांट खा कर वापिस अपनी बर्थ पर जाना पड़ा!

5 सितंबर : 5.40 प्रातः  कटरा रेलवे स्टेशन  

कमाल है!  जहां दो मिनट रुकना था, वहां आधा – आधा घंटे रुकने के बावजूद हमारी ये ट्रेन अपने नियत समय से आधा घंटा पहले ही श्री माता वैष्णो देवी कटरा स्टेशन ( स्टेशन कोड – SVDK) के  प्लेटफ़ार्म नं. 1 पर आकर खड़ी हो गयी है!            

श्री माता वैष्णोदेवी कटरा रेलवे स्टेशन (SMVD Katra – Station Code – SVDK) वास्तव में बहुत सुन्दर व स्वच्छ है!
कटरा रेलवे स्टेशन : कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए हम अपने वेक्सीनेशन सर्टिफिकेट व आधार कार्ड हाथ में लिये लाइन में लग गये हैं!
कटरा रेलवे स्टेशन : हमें अपना वेक्सीनेशन सर्टिफ़िकेट लेकर लाइन में न लगना होता तो हम इस एस्केलेटर से ऊपर आ गये होते !

क्या गज़ब का साफ़ सुथरा और खूबसूरत स्टेशन है!  मन कर रहा है कि घंटे – दो घंटे इसे ठीक से निरख – परख लूं!  ये मेरी सोलो घुमक्कड़ी होती तो मैं यही करने वाला था!  पर मेरे साथ मेरी श्रीमती सहित पांच सहयात्री और भी हैं जो सड़क पर कहीं रुकने ही नहीं देते और ’चलो जी’ कहते हुए टहोकते रहते हैं!  श्रीमती जी को डर रहता है कि फ़ोटो खींचने के चक्कर में मैं उनसे बिछुड़ न जाऊं और वह ’नगरी नगरी द्वारे द्वारे ढूंढूं रे सांवरिया’  गाती फ़िरें!  अन्दर की बात बताऊं आपको?  वह अकेली मेरे साथ इसीलिये कहीं नहीं जाना चाहतीं !  उनके भाई – भाभी साथ में हों तो एक सुरक्षा का एहसास रहता है कि अगर मैं कहीं खो भी गया तो वह दोनों तो हैं देखभाल करने के लिये!  खैर !     

कटरा में बारिश तो हो रही है पर मूसलाधार टाइप नहीं है!  प्लेटफ़ार्म और ट्रेन काफ़ी नीचे हैं और हमें सीढ़ियों से चढ़ते हुए स्टेशन से बाहर जाना है!  पुलिसकर्मी दिशा निर्देश दे रहे हैं कि फुल वेक्सीन वाले बाईं ओर वाली लाइन में और बिना वेक्सीन वाले / एक वेक्सीन वाले लाइन नं. 2 में लग जायें!  हम छः लोग बड़ी शान से अपने अपने सर्टिफ़िकेट और आधार कार्ड हाथ में लिये बाईं वाली लाइन में लग गये हैं जो बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है!  हमारे हाथ में फड़फ़ड़ाता हुआ कागज़,  आधार कार्ड और चेहरे पर गज भर लंबी मुस्कान देख कर हमें बिना चेकिंग के ही आगे बढ़ने का संकेत दे दिया गया है और हम भी वी.वी.आई.पी. की सी फ़ीलिंग लिये हुए, अपनी अपनी ट्रॉलियां लुढ़काते हुए स्टेशन से बाहर आकर हलकी हलकी बारिश में भीग रहे हैं! 

सी.पी. यानि हमारे साले साहब ने पूरी मुस्तैदी दिखाते हुए तीन ऑटो कर लिये हैं जो हमें रेलवे रोड पर होटल जगदम्बा की ओर ले जा रहे हैं! उन्होंने होटल में एक हॉल नुमा कमरा पहले से ही बुक कराया हुआ है जहां हम स्नान – ध्यान और नाश्ते के बाद पैदल यात्रा की तैयारी करेंगे! 

6.45 प्रातः होटल जगदम्बा, रेलवे रोड, कटरा 

रिसेप्शन पर मेरे फ़ोन में एक लोकल सिम डाल दिया गया है! हम सब को वाई-फ़ाई का पासवर्ड भी बता दिया है जो फ़्लोर नं. 3 पर हमारे कमरे में काम करता रहेगा!  व्हाट्सएप पर अपने बच्चों को सबने अपडेट्स दे दिये हैं – Arrived safely at Katra.  मुझे कमरे की खिड़की से त्रिकुटा पर्वत श्रंखला और रास्ते की लाइटें झिलमिलाती हुई दिखाई दे रही है जिस पर हमें चढ़ाई चढ़नी है!  अतः मैं कैमरा लेकर होटल की टैरेस पर आ गया हूं ताकि और अच्छे से आस पास के दृश्य देख सकूं!  मां वैष्णो देवी यात्रा का मार्ग बहुत आकर्षित कर रहा है!  जय माता की!

होटल जगदम्बा का रिव्यू ये रहा !

9.15 प्रातः – हम चल दिये बाणगंगा चेक पोस्ट की ओर !

वैष्णोदेवी यात्रा : बाणगंगा चेक पोस्ट की ओर ...  अनेक यात्री चेकपोस्ट तक भी पैदल ही जाते हुए दिखाई दे रहे हैं!
वैष्णोदेवी यात्रा : बाणगंगा चेक पोस्ट की ओर … अनेक यात्री चेकपोस्ट तक भी पैदल ही जाते हुए दिखाई दे रहे हैं!

होटल जगदम्बा से हम होटल की वैन में आ बैठे हैं और बाणगंगा चैक पोस्ट की ओर जा रहे हैं!  बाणगंगा चेकपोस्ट से पैदल यात्रा आरंभ होती है!  हमें छः लोगों के लिये हेलिकॉप्टर की बुकिंग नहीं मिल पायी थी!  जिस समय की बुकिंग उपलब्ध थी, वह हमें स्वीकार्य नहीं थी!  मैं मन ही मन बहुत खुश हूं कि हम दोनों के 7200 रुपये बच गये हैं!  एक व्यक्ति का आने जाने का हेलिकॉप्टर का भाड़ा 3600 रुपये है!  पैदल चलने में थकान होगी तो क्या हुआ!  मैने अपनी कमर पर बेल्ट बांधी हुई है, गर्म पानी की बोतल और वोलेनी की ट्यूब भी बैग में रखी है!  फ़िर क्या चिन्ता!  जय माता की!

यात्रा पर्ची दिखाते हुए और अपना – अपना बैग एक्स रे स्कैनर से चेक कराते हुए हम चेक पोस्ट से होते हुए पैदल यात्रा मार्ग पर आ गये हैं जहां घोड़े वालों ने हमें हर तरफ़ से घेर लिया है!  कोरोना काल में एक साल से भी अधिक समय तक यात्रा बन्द रही!  कैसे इन मज़दूरों ने अपना, अपने परिवार का और अपने पशुओं का पेट भरा होगा, यह वास्तव में ही चिंतनीय है!  अब यात्रा में कुछ बंधनों के साथ ढील मिली है तो वह बड़ी आशा भरी नज़रों से हमें ताक रहे हैं कि हम उनकी सेवाओं का लाभ उठायें ताकि उनके घर में भी चूल्हा जल सके! 

9.45 प्रातः – जय माता की उद्‌घोष के साथ यात्रा आरंभ

रुपये 650/- की नियत दर पर अर्द्धकुंवारी तक के लिये छः घोड़े कर लिये गये हैं और हम उन पर सवार हैं! ये घोड़े भवन तक के लिये भी किये जा सकते थे, पर कुछ किमी तो पैदल भी चलना चाहिये ना! 

मुझे घोड़े पर बैठने का अभ्यास नहीं है!  यह बात मैने अपनी श्रीमती जी और बाकी रिश्तेदारों को कही तो वह बोले कि हम ही कौन सा रेस कोर्स में जॉकी हैं!  मेरी हवा गोल है क्योंकि मेरी लंबाई को देखते हुए मुझे सबसे ऊंचा और सबसे तगड़ा वाला घोड़ा मिला है!  अगर इसने मुझे गिराया तो बस!  मुझे दूसरी टेंशन ये है कि मैं अब घोड़े पर बैठ कर फ़ोटो कैसे क्लिक करूंगा?  पर चलो, फ़ोटो न सही, वीडियो ही बना लूंगा!  एक बार कैमरा ऑन कर दिया और रिकार्डिंग चालू!  पर डगमग डगमग करते हुए वीडियो फ़ुटेज कैसी बनेगी, भगवान ही जाने! 

वैष्णोदेवी यात्रा : घोड़े पर सवारी करते हुए दुकानों की फोटो लेता चल रहा हूं!
वैष्णोदेवी यात्रा : घोड़े पर सवारी करते हुए दुकानों की फोटो लेता चल रहा हूं!
वैष्णोदेवी यात्रा : रास्ते भर आकर्षक ढंग से सुसज्जित फ़ोटो स्टूडियो बने हुए दिखाई देते हैं!
वैष्णोदेवी यात्रा : सड़कें इतनी चौड़ी कर दी गयी हैं कि घोड़े, पैदल यात्री और एंबुलेंस भी सड़क पर चल सकें !

घोड़े पर बैठे बैठे भी पिछली बार की तुलना में एक विशेष अन्तर दिखाई दे रहा है!  सड़क के दोनों ओर दुकानों की भरमार हो गयी है!  संभवतः 50 से भी अधिक तो फ़ोटो स्टूडियो ही हैं जो माता वैष्णो दरबार की थीम पर बड़े कलात्मक ढंग से सजाए हुए हैं!  माता के दरबार की अनुकृति तो हर किसी स्टूडियो में दिखाई दे ही रही है, उसके अलावा आप वहां पर शेर, चीते के ऊपर बैठ कर भी फ़ोटो क्लिक करा सकते हैं!  बहुत सारे स्टूडियो में तो मोदी जी का कट आउट भी लगा हुआ नज़र आ रहा है यानि आप देश के प्रधानमंत्री के कंधे पर हाथ रख कर फ़ोटो खिंचवा रहे हैं, ऐसी फ़ीलिंग ले सकते हैं!  पर हां, विभिन्न दुकानों पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है कि आप अपने कैमरे से उन स्टूडियो में  फ़ोटो नहीं खींच सकते हैं!                                  

इसके अलावा कुछ दुकानें स्पेशल भी हैं जैसे मसाज वाली दुकानें जिनमें दस से लेकर बीस तक इलेक्ट्रॉनिक मसाज वाली कुर्सियां लाइन से रखी हुई दिखाई दे रही हैं!  आप पैदल चढ़ाई करते करते थक गये हों तो कुर्सी आपकी दस पन्द्रह मिनट मसाज कर देगी!  तरोताज़ा होकर आगे बढ़ लीजिये!

पर हम तो घोड़ों पर सवार हैं सो ये सब दुकानें पीछे छोड़ते हुए चले जा रहे हैं!  घोड़े की सवारी का एक बड़ा नुकसान मुझे यह हुआ कि मैं रास्ते में फ़्रूट चाट के स्टाल देख – देख कर ललचाता रहा पर घोड़े तो अपनी गति से चढ़ाई चढ़ते चले जा रहे थे! उनको रुकने से मतलब ही नहीं!  वैसे भी घोड़े से उतरते और वापिस चढ़ते कैसे?  प्लेटफ़ॉर्म तो हर जगह नहीं होते ना!  पर चलो, कोई नी !  जय माता की! 

वैष्णोदेवी यात्रा : घोड़े पर सवारी का सबसे बड़ा नुकसान…. फ़्रूट चाट की दुकानें पीछे छूटती चली जा रही हैं ! 🙁

अर्द्धकुंवारी : 11.15 प्रातः

अब हम अपने अपने घोड़ों से उतर कर उनको विदा कर चुके हैं, यानि अब आगे की यात्रा पैदल ही की जायेगी!  यहां से एक और सड़क नीचे कटरा की ओर जाती हुई दिखाई दे रही है जिसका नाम ताराकोट मार्ग है!  ये सड़क इतनी चौड़ी और अच्छी बनी हुई है कि इस पर कार भी आराम से चलती हैं!  मेरे विचार से ये सड़क वी.आई.पी. लोगों के लिये बनाई गयी है!  इसका उद्‌घाटन मोदी जी के करकमलों से 2018 में हुआ है! 

हम कटरा से अर्द्धकुंवारी तक परम्परागत मार्ग से घोड़े पर आये हैं ! ये जो बाईं ओर नीचे सड़क जा रही है, ये नया बना हुआ ताराकोट मार्ग है जो कटरा से शुरु होकर अर्द्धकुंवारी में इस बिन्दु पर खत्म होता है! हमें दाईं ओर ऊपर जा रही सड़क से भवन तक जाना है!
वैष्णोदेवी यात्रा : अर्द्धकुंवारी से आप इलेक्ट्रिक कार से भवन तक जा सकते हैं! ये कार के लिये वेटिंग हॉल है!

अर्द्धकुंवारी से लेकर भवन तक पैदल यात्री, पालकी वाले और उनके अलावा इलेक्ट्रिक कार वाले भी दिखाई दे रहे हैं!  हमने कार के लिये कोई प्रयास नहीं किया है!  शायद प्रयास करते तो नंबर आ भी जाता!  अर्द्धकुंवारी से भवन तक का किराया प्रति व्यक्ति रु. 348/- या 364/- है!  वापसी का 250/-. पर आपको कार के लिये ऑनलाइन बुकिंग करानी होती है!  यात्रा पर्ची / हेलिकॉप्टर सेवा / कार सेवा व भवन में रात्रि विश्राम के लिये कमरों की ऑनलाइन बुकिंग करा लेनी चाहिये जो कि माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर खुद को रजिस्टर करके आप कर सकते हैं!

वैष्णोदेवी यात्रा : अब ठीक है! घोड़ों से उतर कर अब हम अपनी मर्ज़ी से जहां चाहे रुक सकते हैं, जो चाहे खा पी सकते हैं! ऐसे ही एक चाय ब्रेक के लिये हम रुक गये हैं!
माता वैष्णोदेवी यात्रा हेतु अधिकांश सुविधाएं (कमरे, इलेक्ट्रिक कार सेवा, यात्रा पर्ची, हेलिकॉप्टर सेवा) श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर ही उपलब्ध होती हैं!
वैष्णोदेवी यात्रा : यदि आप चल नहीं सकते तो आप पालकी में भी सवार हो सकते हैं! इन मज़दूरों की रोजी – रोटी का इंतज़ाम भी हो जायेगा!
वैष्णोदेवी यात्रा :  ऐसी महिलाओं और पुरुषों की कोई कमी नहीं, जो पालकी से नहीं अपितु नंगे पांव ही मां के दरबार तक पहुंचना चाहते हैं !
वैष्णोदेवी यात्रा : ऐसी महिलाओं और पुरुषों की कोई कमी नहीं, जो पालकी से नहीं अपितु नंगे पांव ही मां के दरबार तक पहुंचना चाहते हैं !
वैष्णोदेवी यात्रा : ये सज्जन वीडियो कॉल पर शायद अपनी पत्नी को दिखा रहे हैं कि अब भवन सिर्फ़ 750 मीटर की दूरी पर ही है! 🙂
वैष्णोदेवी यात्रा : बच्चों की बग्गी दोनों काम आ सकती है… चाहे तो अपने बच्चे बिठाइये और चाहे तो अपना कंधे के बैग आदि सौंप दीजिये !
वैष्णोदेवी यात्रा : बंदरों को खाद्यपदार्थ देना मना है, पर लोग फ़िर भी देते हैं! परिणाम ये कि कई बार ये झपट्टा मार कर सामान छीन लेते हैं!

भवन : 1.30 अपराह्न

माता वैष्णोदेवी यात्रा : हम भवन तक पहुंच गये हैं! रोप वे सेवा के लिये श्रद्धालु लाइन लगाये खड़े हैं!
वैष्णोदेवी यात्रा : ये गंडोला भैरों बाबा मंदिर तक जाने आने के लिये है ! (Ticket price Rs. 100/- per person both side journey)

भवन तक पहुंचते – पहुंचते 1.30 बज गये हैं!  भीड़ काफ़ी है पर बेतुकी नहीं !   इतनी भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग वाली बात तो हवा हो गयी है!  हां, बिना मास्क के एक भी व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा है!  हमारे साले साहब ने कहीं से जुगाड़ लगाया हुआ है कि एक कमरा हमें भवन पर मिल जाये!  ऑनलाइन तो सब फ़ुल ही दिखा रहा था!  उनको बताये हुए काउंटर पर हम पहुंच गये हैं और किसी का रेफ़रेंस देने के बाद हमें न्यू कालिका भवन में एक हॉल हमें सुबह तक के लिये 2,400/- रुपये में अलाट हो गया है! जय माता की!

हमें कालिका भवन कमरा नं. 4 से न्यू कालिका भवन में एक विशाल हॉल एलॉट हो गया है! अब हम गेट नं. 5 से प्रवेश के लिये भी अधिकृत हैं!
वैष्णोदेवी यात्रा : भवन पर आप रात को रुकने के लिये कमरे ले सकते हैं जो विभिन्न दरों पर उपलब्ध हैं!

कमरा बुक हो जाने के कारण अब हमें गेट नं. 5 से प्रवेश की अनुमति मिल गयी है! लगभग 500 श्रद्धालुओं को पीछे छोड़ते हुए हम सीधे उस बिन्दु पर लाइन में लगेंगे जहां पर एक्सरे स्कैनर लगे हुए हैं!  कमरा मिल जाने से नहाने धोने, सामान सुरक्षित रखने और और आराम करने की सुविधा तो है ही! 

यहां पहाड़ काट काट कर कई सारे काम्प्लेक्स बनाये गये दिखाई दे रहे हैं!  हमारे ठीक सामने पार्वती भवन, गौरी भवन दिखाई दे रहे हैं जबकि हमारी दिशा में कालिका भवन, न्यू कालिका भवन आदि हैं! हम लोग अपने हॉल नुमा कमरे तक लिफ़्ट व सीड़ियां चढ़ते हुए आ गये हैं!  अच्छा बड़ा हॉल है, अटैच्ड बाथ भी है जिसमें गर्म व ठ्ण्डे पानी की व्यवस्था है!   जय माता की!

3.00 अपराह्न :

हम छः प्राणी प्रसाद की थैलियां लिये हुए गेट नंबर 5 से प्रवेश कर चुके हैं!  मुझे उस गुफ़ा का प्रवेश द्वार कहीं नज़र ही नहीं आ रहा है, जिसमें दर्शनार्थी घुटने के बल प्रवेश किया करते थे और थोड़ा सा आगे बढ़ने पर, लेट-लेट कर हाथों और पैरों के सहारे आगे बढ़ते हुए हम मां के आसन तक पहुंचते थे!  क्या रोमांचकारी अनुभव था वह!   अब दर्शनार्थियों की संख्या उस समय की तुलना में हज़ार गुना अधिक हो चुकी है!  इसलिये गुफ़ा के बजाय वैकल्पिक मार्ग बनाये गये हैं!  खूब सारे कमरों से रेलिंग के बीच में चलते चलते, सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते हम ऊपर उस लेवल तक आ पहुंचे हैं जहां वह सुरंग हमारे सामने है जिसमें प्रवेश करके हमें मां के दर्शन मिलेंगे!  जय माता की! 

अन्ततः वह क्षण आ ही गया है जब हम मां के दरबार में हाजिरी लगाने के लिये उपस्थित हैं!  मां से क्या – क्या कहना था, क्या – क्या वायदे करने हैं, कुछ भी याद नहीं आ रहा है!  बस, मूक हो कर रह गया हूं!   यही देख पा रहा हूं कि तीन पिंडी हैं!  दायीं ओर देवी महाकाली, बाईं ओर महा सरस्वती और मध्य में महालक्ष्मी देवी हैं!  तीनों ही सामूहिक रूप से मां वैष्णोदेवी के नाम से जानी जाती हैं! जय माता की!   

एक मिनट से भी कम समय में हमें निकास द्वार की ओर बढ़ने के लिये इंगित कर दिया गया है!  जिस मां के दर्शन के लिये हम सैंकड़ों मील की यात्रा करके, पैदल चढ़ाई चढ़ कर, लाइन में घंटों लग कर पहुंचते हैं, उनके जी भर के दर्शन भी नहीं किये जा सकते, यही बात सबसे अधिक सालती है!  पर अगर हर कोई जी भर के दर्शन करने लगेगा तो जो दर्शनार्थी अभी चार घंटे से भी अधिक समय लाइन में लग कर दरबार तक पहुंचते हैं, वह बीस घंटे में पहुंच पायेंगे!  इसलिये बस कैमरे की भांति पलक झपकते ही आप अपने नेत्रों में मां की छवि बसा लीजिये और आह्लादित मन से बाहर निकल आइये!

4.00 बजे अपराह्न :

हम दर्शन करके नीचे आ गये हैं और 35/- रुपये की दर से कढ़ी – चावल की छः प्लेट लेकर दो मेजों पर बैठ गये हैं!  दो प्लेट हलवे की भी हैं!  पर हमारी तीनों महिलाएं आस पास में नौ बालिकाओं की खोज में हैं ताकि उनको जिमाया जा सके!  शुक्र है कि कुछ दर्शनार्थियों के बच्चे वहीं पास में मिल गये हैं तो उनका संकल्प पूरा हो गया है! 

भैरोनाथ मंदिर के लिये रोप वे: 

हम अपने जूते-चप्पल तो कमरे में ही उतार आये थे!  अपने साले साहब को नंगे पांव ही भैरोंनाथ मंदिर तक ले जाने वाले रोपवे की ओर तेज कदमों से जाते देख कर मजबूरी में हम भी उनके पीछे – पीछे लग लिये हैं!  जब उनको एहसास कराया गया कि बिना जूते – चप्पल पहने इस सड़क पर चलना बहुत भारी पड़ रहा है, अतः पहले कमरे पर चलें तो हम सब वापिस कमरे पर आ गये!  मैने रास्ते भर फ़ोटो खींच – खींच कर अपने मोबाइल की बैटरी डाउन कर ली थी अतः फ़ोन चार्जिंग पर लगाया!  मेरी कमर ही मेरी दुश्मन बन जाती है अतः वोलेनी कमर पर लगा कर और सिकाई की बोतल कमर पर रख कर औंधा पलंग पर लेट गया हूं!    

6.00 सायं

मेरे सहयात्री मुझे हिला – हिला कर जगा रहे हैं!  वज़ह ये कि मेरी सुप्तावस्था में उन्होंने कार्यक्रम में फ़ेर बदल कर डाला है!  अब रात को यहीं भवन में रुकने के बजाय वापिस कटरा चलने की बात फ़ाइनल हो गयी है और अपने इस निर्णय पर मुझसे भी मुहर लगवानी है!  प्रोग्राम बदलने का कारण ये पता ये चला है कि एक तो बेडशीट न जाने किस फ़ैब्रिक की बनी है जो शरीर में ऐसे चुभ रही है मानों उस पर कुछ चींटियां चल रही हों!  दूसरे हमारी साली साहिबा की नाक बहुत सजग है!  उनको टॉयलेट में से तेज दुर्गन्ध आ रही है!  अतः रात को यहां सोया नहीं जा सकता!! 

मैं उसी बिस्तर पर अभी दो घंटे सो कर उठा हूं मुझे ऐसा कुछ भी अनुभव नहीं हुआ!  शायद ऐसा इसलिये है कि मैं घुमक्कड़ हूं और मेरे पांच सहयात्री पर्यटक हैं! पर कुछ भी हो, मैं संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध तो नहीं जा सकता ना!  जब श्रीमती जी और उनके भैया – भाभी, बहिन और जीजा एक निर्णय ले चुके हैं तो मेरी क्या मजाल जो मैं उस निर्णय के विरुद्ध जाऊं!   जय माता की!    

वैष्णोदेवी यात्रा : न्यू कालिका भवन से सूर्यास्त बहुत भला लग रहा है! पर अब हम वापस कटरा के लिये निकल रहे हैं!

अब नवीनतम स्थिति ये है कि हमारे पास एक दो डबलबैड वाला विशाल कमरा त्रिकुटा पर्वत पर स्थित इस न्यू कालिका भवन में है जिसको बाय – बाय करके चाबी काउंटर पर सौंप कर हम कटरा प्रस्थान करेंगे जहां हमने इतने ही बड़े एक हॉल का भुगतान आज सुबह ही किया था! उसमें भी दो डबलबैड और एक्स्ट्रा मैट्रेस उपलब्ध हैं!  

जैसी प्रभु इच्छा! (अर्थात्‌ जैसी पत्नी इच्छा!)  जूते पहन कर, अपनी दवा की ट्यूब, सिकाई की बोतल और मोबाइल चार्जर बैग में रख कर, जूते पहन कर मैं भी कटरा वापसी हेतु पैदल यात्रा पर चल पड़ा हूं! एक विशेष बात!   आज धुंध के कारण हेलिकॉप्टर सेवा पूरे दिन बाधित रही है!  कितनी सुखद बात है!  अगर हमने हेलिकॉप्टर सेवा हेतु बुकिंग कराई होती तो कितना नुकसान होता!  अगर रिफ़ण्ड मिलता भी तो जी.एस.टी. काट कर मिलता!  जय माता की!

पैदल यात्रा शुरु होते होते सूर्यास्त हो चुका है, सारे रास्ते खंभों पर बोस कंपनी के बहुत महंगे वाले स्पीकर लगे हुए हैं जिनसे आरती का मांगलिक स्वर निरंतर सुनाई दे रहा है!  आरती का स्वर एक बड़े अद्‍भुत वातावरण की सृष्टि कर रहा है!  ऊपर आने वाले और वापसी कर रहे दर्शनार्थियों का आवागमन बदस्तूर जारी है!  क्या मजेदार विरोधाभास है! यात्रियों का शरीर थक कर चूर हो चुका है, पर चेहरे पर फ़िर भी एक अद्‍भुत प्रसन्नता!  मैं तो उन मजदूरों के बारे में सोच – सोच कर ही आश्चर्य से भरा हुआ हूं जो हर रोज यात्रियों को पालकी में ढो कर, या अपने घोड़े पर यहां तक लाते हैं और वापिस ले जाते हैं!  स्पष्ट ही है कि उनका शरीर इस कठोर जीवन के लिये अनुकूलन प्राप्त कर चुका है!  जय माता की!

ताराकोट मार्ग – अर्द्धकुंवारी से कटरा

अर्द्धकुंवारी पहुंच कर हमारे मन में न जाने क्या आया कि हम नये बने हुए ताराकोट मार्ग पर चल पड़े हैं!  पर इस सड़क पर न तो यात्री दिखाई दे रहे हैं, न कोई दुकान है, न कोई रेस्टोरेंट ढाबा वगैरा है! सड़क निश्चित रूप से बहुत अच्छी है, चार पहिया वाहन भी यहां आराम से आ जा सकते हैं!  सारे रास्ते सर पर शेड बना हुआ है, पर मन नहीं लग रहा है! आने जाने वाले यात्रियों के द्वारा ’जय माता की’ जयकारे हमारे तन – मन में ऊर्जा भरे रखते हैं जो यहां गायब हैं! इस सड़क पर तो इक्का दुक्का यात्री ही नज़र आरहा है!  सारे रास्ते जितने भी बोर्ड लगे मिले हैं, उन पर एक ही संदेश लिखा हुआ है – लंगर इतने किमी आगे!  हम छः यात्री लुढ़कते – पुढ़कते हुए, एक दूसरे का हाथ थामे उस लंगर की आस लिये इस सुनसान सड़क पर चलते चले जा रहे हैं!   मेरे मोबाइल की बैटरी भी डाउन है, अतः फोटो भी नहीं खींच पा रहा हूं !  

वैष्णोदेवी यात्रा : यात्रा मार्ग से कटरा की लाइट्स देख कर लग रहा है कि कटरा अभी भी २-३ किमी दूर है!
वैष्णोदेवी यात्रा : नये बने हुए ताराकोट मार्ग पर श्राइन बोर्ड द्वारा संचालित स्थाई निःशुल्क लंगर यात्रियों के लिये एक विशेष सुविधा है!

अरे वाह!  ये बड़ा सुन्दर सा परिसर है, देखें तो सही यहां क्या है!  लो कल्लो बात!  यही तो है वह लंगर जिसके चर्चे अर्द्धकुंवारी से यहां तक हो रहे थे! एक सुन्दर सा सरोवर, बेहतरीन landscaping!  डायनिंग हॉल में हम भी अपनी – अपनी थाली – कटोरी लेकर काउंटर पर पहुंच गये हैं! गर्मा गर्म दाल, चावल और कद्दू की सब्ज़ी हम सब को मिल गयी है जिसे लेकर हम स्टील की लम्बी – लम्बी टेबल पर आ गये हैं!  फ़ोल्डिंग स्टूल उसमें स्थाई रूप से फ़िट किये हुए हैं, जिनको हमें घुमा कर नीचे करना होता है ताकि उस पर बैठ सकें!  खाना बहुत सादा परन्तु फ़िर भी स्वादिष्ट है!  यहां अपने बर्तन खुद साफ़ करके रैक पर रखने होते हैं जिसकी बहुत वैज्ञानिक व्यवस्था की गयी है!  जय माता की! 

आधा घंटे में पेट – पूजा का कार्य संपन्न करके हम कटरा की ओर बढ़ चले हैं!  श्रीमती जी और साली साहिबा के पैर जवाब दे रहे हैं!  मुख्य समस्या यही है कि इस सड़क पर बोरियत हो रही है! न दुकानें, न यात्री, न मन लगाये रखने के लिये भजन – कीर्तन, न जय माता की का निरन्तर उद्‌घोष!  सब एक दूसरे का हाथ थामे हुए, एक दूसरे को सहारा देते हुए कटरा आ पहुंचे हैं जहां हमें होटल तक ले जाने के लिये दो ऑटो मिल गये हैं! शरीर थक कर चूर हो चुका है पर फ़िर भी हम सब के मन में आह्लाद भी है क्योंकि मां के दर्शन बहुत सुविधा पूर्ण तरीके से हो गये हैं! जय माता की!     आज की कहानी बस यहीं तक !  बने रहिये हमारे साथ यात्रा के अगले पड़ाव के लिये !

4 thoughts on “मां वैष्णो देवी दरबार में

  1. Rahul kumar

    आपका यात्रा वृतांत पढ़कर मेरी 2018 मे की गई वैष्णो देवी यात्रा की यादें ताजा हो गई।

    1. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय राहुल कुमार,
      इस ब्लॉग पोस्ट तक आने के लिये आपका हार्दिक आभार। मेरे लिये मां वैष्णोदेवी दर्शन हेतु की गयी यह चौथी यात्रा रही। हर बार की यात्रा शैली और अनुभव बिल्कुल अलग – अलग रहे और अलग – अलग ढंग से हर अनुभव आनन्ददायक रहा। कृपया अपना स्नेह बनाये रखें और ब्लॉग पर आते रहें ! यहां आपको अपने मतलब की और भी कुछ यात्राएं पढ़ने को मिल पायेंगी, ऐसी आशा है। एक बार पुनः धन्यवाद।
      (एक बार आपका कमेंट प्रकाशित हो गया है, अतः अब आपको प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। जो भी कमेंट लिखेंगे, वह स्वयमेव प्रकाशित हो सकेगा। )

    2. जय

      बहुत ही अच्छी तरह से आपने वर्णन किया है, ऐसे लगा जैसे हम खुद भी आप के साथ सफर कर रहे हो।
      वैसे हम भी जल्द ही यात्रा करनेवाले है, आपका ब्लॉग पढकर अच्छी जानकारी मिली। धन्यवाद।

    3. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय जय,
      आपको यह पोस्ट उपयोगी लगी तो मेरी मेहनत सफ़ल हुई ! मैं इस श्रंखला की अगली कड़ी लेकर भी जल्द ही उपस्थित हो सकूंगा! हम मां वैष्णोदेवी दर्शन के बाद पटनीटॉप भी गये थे।

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