दोस्तों, आज मैं आपको नई दिल्ली का एक ऐसा अद्भुत म्यूज़ियम दिखाने जा रहा हूं जिसमें से बच्चे वापिस आना ही नहीं चाहते। बस, थोड़ी सी देर और! बस, ये और देखना है !! यही कहते रहते हैं। वैसे ये प्रत्येक आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिये है। अगर आपकी विज्ञान में कोई खास रुचि नहीं है, तो भी आप यहां आकर बहुत प्रसन्न होंगे। यह स्थान है – राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र, नई दिल्ली !
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कैसे पहुंचें?
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गूगल मैप से राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र की लोकेशन समझ कर मुझे यह सबसे अधिक उपयुक्त लगा था कि मैं प्रगति मैदान मैट्रो स्टेशन पहुंच जाऊं। ( बाय द वे, प्रगति मैदान मैट्रो स्टेशन का नाम बदल कर अब सुप्रीम कोर्ट मैट्रो स्टेशन कर दिया गया है।) ITO Skywalk के आठ entrance / exits हैं जिनमें से एक मथुरा रोड और एक सुप्रीम कोर्ट मैट्रो स्टेशन पर भी है। तो बस, मैट्रो से बाहर निकलते ही स्काई वॉक मिल जाता है, उस पर से आप मथुरा रोड पर उतर आइये। यहां से लगभग 1 किमी चलने पर बाईं ओर भैरों सिंह मार्ग आता है। यह भैरों सिंह मार्ग सिर्फ एक किमी लंबी सड़क है जो मथुरा रोड और नेशनल हाईवे 44 को मिलाती है। इसी सड़क पर हमारा राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र स्थित है। इस भवन के बगल में नेशनल हैण्डीक्राफ्ट म्यूज़ियम भी है और सामने एक खूबसूरत झील है जिसके किनारे चलते चलते आप पुराना किला के प्रवेश द्वार पर पहुंच जाते हैं। पुराना किला और चिड़ियाघर तो साथ-साथ हैं ही ! कुल मिला कर बात इतनी है कि आप और आपका परिवार (और आपके मित्रों के परिवार भी) पूरा एक दिन यहां पूरे आनन्द के साथ बिता सकते हैं। खाना भी घर से लाने की आवश्यकता नहीं है। राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र के कैफ़े में आपको बहुत वाज़िब दाम पर छोले – भटूरे, डोसा, बर्गर, पकौड़े, चाय – कॉफी और कोल्ड ड्रिंक आदि मिल जायेंगे।
यदि आप अपने वाहन से या ऑटो टैक्सी आदि से आ रहे हैं तो आप सीधे भैरों सिंह मार्ग पर राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र के प्रवेश द्वार पर ही उतरेंगे।
प्रवेश शुल्क आदि
जिस दिन मैं राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र देखने गया था, वहां टिकट घर के बाहर ये रेट लिखे हुए थे –
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मतलब ये कि वयस्कों के लिये प्रवेश शुल्क मात्र 60/- रुपये है। 1 मीटर ऊंचाई से कम वाले बच्चों के लिये प्रवेश निःशुल्क है। स्कूल के ग्रुप्स के लिये भी डिस्काउंट मिलता है। कुछ शो अलग से भी वहां चलते रहते हैं जिनका टिकट बहुत कम मूल्य का है, परन्तु अलग से टिकट लेना होता है।
अमानती सामान घर की सुविधा
राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र में कैमरा व अन्य बैग आदि लेकर जाना मना है। आप अमानती सामान घर में (यानि टिकट विंडो के बगल में) अपना सामान सुरक्षित रख सकते हैं।
कुछ भी छूओ, कुछ भी करो !
ये म्यूज़ियम इस अर्थ में विशिष्ट है कि यहां पर आगन्तुकों को अधिकांश उपकरणों को छूने और उन पर प्रयोग करने की खुली आज़ादी है। संस्थान का मानना है कि विज्ञान को समझना हो तो थ्योरी से ज्यादा प्रेक्टिकल जरूरी होते हैं। ऐसे में भौतिक विज्ञान के विभिन्न सिद्धान्तों को समझाने के लिये यहां पर अनेकानेक उपकरण लगाये गये हैं जिनके टूटने या खराब होने का कोई खतरा नहीं है। आगन्तुकों, विशेषकर स्कूल के बच्चों को उकसाया जाता है कि आओ, और इन उपकरणों के साथ खेलो तथा जैसे चाहो, प्रयोग करो। वैसे बच्चों को इस सुविधा का पूरा लाभ मिले, इसके लिये जरूरी है कि बच्चों के साथ उनके विज्ञान के अध्यापक / अध्यापिका भी हों। यदि अभिभावक भी विज्ञान के विद्यार्थी रहे हों तो उससे अच्छी तो कोई बात ही नहीं। वह पूरा समय देकर अपने बच्चों को प्यार से एक एक उपकरण में निहित सिद्धान्त को स्पष्ट करते चल सकते हैं।
बच्चों को ऐसी छूट मिल जाये तो भला क्या कहने !! जरा देखिये, बच्चों की ही नहीं, बड़ों की हरकतों को भी इस छोटी सी वीडियो में …..
धरोहर सेक्शन
राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र में एक विभाग है – धरोहर ! वहां पर लगा हुआ बोर्ड क्या कहता है, पढ़िये –
सभ्यता और विज्ञान के 5,000 वर्ष
प्राचीनतम लिपि का विकास हमने किया। व्यर्थ जल प्रणाली की सुविधा वाले (city waste water drainage system) आवासीय समूह की रचना हमने 2600 ई.पूर्व में की। निरंतर गतिमान मोबाइल (ऊर्जा के बिना चलने वाला यंत्र) के हमारे विचार ने ऊर्जा तकनीकी के निर्माण को बढ़ावा दिया। हमने ऐसे लौह का निर्माण किया जिसमें 1500 वर्ष में भी जंग नहीं लगी। हमने सौन्दर्य वर्द्धक शल्य चिकित्सा (cosmetic and plastic surgery का विकास 600 ई. पूर्व में किया। पौराणिक काल से ही हमने वाद्य यंत्र बनाये और उनका समुचित उपयोग किया। 500 ई. में ही हमने ’शून्य’ अंक को खोजा और उसका उपयोग दशमलव पद्धति में किया।
तथापि यह धारणा है कि हमारे राष्ट्र को प्रसिद्धि यूरोपीय प्रभाव से मिली।
संस्कृत भाषा के पर्याप्त ज्ञान के अभाव, अज्ञानता और पूर्वाग्रहों के कारण खगोल विज्ञान, गणित, रसायन शास्त्र, औषधि विज्ञान तथा स्थापत्य (architecture) के क्षेत्र में हमारे योगदान को पाश्चात्य देशों में पर्याप्त पहचान नहीं मिली। किन्तु अब विश्व यह मानता है कि निस्संदेह भारत की वैज्ञानिक परम्परा, यहां की अनेक पांडुलिपियों, प्राचीन शिल्प कृतियों, स्थापत्य के अवशेषों एवं गौरवशाली भौतिक संस्कृति में निहित है।
पदार्थों तथा आकृतियों के माध्यम से प्रस्तुत यह दीर्घा हमें भारत के विज्ञान और तकनीकी की 5000 वर्ष प्राचीन धरोहर से जोड़ने का प्रयास है।
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
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धरोहर सेक्शन के अलावा जीव विज्ञान का सेक्शन भी मुझे बहुत पसन्द आया जिसमें हमें खुद की शारीरिक संरचना और क्रियाविधि को समझने में मदद मिलती है। यहां पर स्लाइड्स के अलावा कुछ interactive मशीनें भी थीं जिनसे आप अपनी सूंघने और सुनने की शक्ति का जायज़ा ले सकते हैं। विभिन्न पाइप से अलग अलग प्रकार की गंध आती है जो आपको पहचाननी होती है! ऐसे ही विभिन्न वेवलेंग्थ की आवाज़ें सुन कर पहचाननी होती हैं।
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
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
जैसा कि आप देख ही रहे हैं, राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र, नई दिल्ली ज्ञान और मनोरंजन का अथाह भंडार है। जिन स्कूलों में अध्यापक किताबों के सहारे बच्चों को विज्ञान को समझाने का प्रयास करते हैं वह अकसर बच्चों के मन में विज्ञान के प्रति एक डर पैदा कर देते हैं, ऐसे बच्चे विज्ञान को एक बोझिल विषय मान बैठते हैं, जबकि ऐसा है नहीं।
कितना अच्छा हो कि ऐसे विज्ञान केन्द्र हर जनपद में न भी सही तो कम से कम मंडल मुख्यालय में तो बनाये ही जायें ताकि वह उस मंडल के बच्चों की पहुंच में आ सकें।
यहां आप कब आ सकते हैं?
राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र सप्ताह में सातों दिन खुलता है। शनिवार और रविवार को यह केन्द्र शाम को 8 बजे तक खुला रहता है। यहां पार्किंग व भोजन की भी सुविधा है। मैं तो यही आग्रह करूंगा कि आप स्वयं भी यहां आयें और अपने बच्चों को भी लायें। पास में ही चिड़ियाघर भी है, आप आधा दिन उसका भी आनन्द ले सकते हैं।
राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र
पहली बार इसके बारे में जानकारी मिली
शानदार जानकारी दी है आपने सर
सच में बहुत ही रोमांचकारी है
शानदार पोस्ट गजब का लेखन
आपका हार्दिक आभार, राकेश जी! आपका इस ब्लॉग पर आगमन मेरे लिये हमेशा ही बहुत प्रसन्नता का विषय होता है। कृपया स्नेह बनाये रखें।