India Travel Tales

हमारी हैदराबाद – महाराष्ट्र तीर्थयात्रा – पहला दिन

प्रिय मित्रों,     आज मैं आपको अपनी हैदराबाद और महाराष्ट्र की 9 दिन की तीर्थयात्रा पर लेकर चल रहा हूं जिसमें हमने न केवल मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), घृष्णेश्वर (औरंगाबाद), त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) व भीमाशंकर (पुणे) ज्योतिर्लिंगों  के दर्शन किये बल्कि अनेकों अन्य पर्यटन स्थलों पर भी घूमे।  हमने इस टूर में रामोजी फिल्म सिटी (हैदराबाद), चारमीनार, सालारजंग म्यूज़ियम, बिड़ला मंदिर, बीबी का मकबरा, एलोरा की गुफाएं, पंचवटी धाम, लोनावला – खंडाला, कार्ला गुफ़ाओं आदि को भी देखा।  मुझे उम्मीद है कि आपको इस सिरीज़ में बहुत मज़ा आयेगा और बहुत सारे नये पर्यटन केन्द्रों का परिचय भी मिलेगा।

कौन – कौन था इस तीर्थ यात्रा में?

हमारे इस बार के टूर में परिवार / मित्र मिला कर 9 लोग थे जिनमें 8 वरिष्ठ नागरिक थे।  2016 से हम हर वर्ष 9 से 12 लोगों का ग्रुप बना कर यात्रा पर निकलने लगे हैं।  आनन्द भी पूरा आता है और  यात्रा का खर्च कई परिवारों में बंट जाने से प्रति व्यक्ति बजट सस्ता भी रहता है।


  • हमारी स्मरणीय उत्तर पूर्व यात्रा  (दार्जिलिंग, कलिंपोंग, नामची, गंगटोक, शिलॉंग, चेरापूंजी, गुवाहाटी)
  • हमारी एक सप्ताह की दुबई और आबू धाबी की मजेदार यात्रा
  • हमारी एक सप्ताह की गुजरात व दीव यात्रा (अहमदाबाद, दीव, सासन गिर, पोरबन्दर, सोमनाथ,  द्वारिका, बेट द्वारिका, राजकोट)

 हमारा भ्रमण कार्यक्रम (Itinerary of our Hyderabad – Maharasthra Tour :  18 Jan 2020 – 27 Jan 2020)

  • 18 जनवरी 2020 :  प्रातः नई दिल्ली एयरपोर्ट से हैदराबाद और फिर वहां से सड़क मार्ग से श्रीशैलम के लिये प्रस्थान और शाम को मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन।
  • 19 जनवरी 2020 : श्री शैलम्‌ से हैदराबाद वापसी और बचे हुए आधे दिन में शहर के दर्शनीय स्थलों का टूर।  रात्रि विश्राम हैदराबाद के होटल में।
  • 20 जनवरी 2020 : रामोजी फिल्म सिटी का पूरे दिन का टूर और शाम को सिकन्दराबाद रेलवे स्टेशन से औरंगाबाद के लिये ट्रेन द्वारा प्रस्थान।
  • 21 जनवरी 2020 :  सुबह औरंगाबाद में श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन और उसके पश्चात्‍ दिन भर में अन्य दर्शनीय स्थलों का भ्रमण।  रात्रि में औरंगाबाद के होटल में ही विश्राम।
  • 22 जनवरी 2020 :  सुबह शनि शिंगणापुर में दर्शन करते हुए शिरडी पहुंचना।  श्री साईं बाबा समाधि दर्शन।  रात्रि में शिरडी में ही होटल में विश्राम।
  • 23 जनवरी 2020 :  सुबह नाशिक के लिये प्रस्थान और श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद नाशिक में अन्य दर्शनीय स्थलों का भ्रमण।  रात्रि में नाशिक में विश्राम।
  • 24 जनवरी 2020 :  भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु नाशिक से प्रस्थान।  रात्रि विश्राम लोनावला (पुणे मुम्बई हाईवे पर) में।
  • 25 व 26 जनवरी 2020 :  लोनावला व खंडाला के विभिन्न दर्शनीय स्थलों के दर्शन।  26 January को लोनावला से मुंबई सैंट्रल रेलवे स्टेशन हेतु प्रस्थान।  शाम को 5 बजे राजधानी एक्सप्रेस पकड़ कर 27 January को प्रातः नई दिल्ली स्टेशन पर आगमन।

Night Stay / Local and Intercity Travel

हां, एक जरूरी बात तो बता दूं।  हम सभी वरिष्ठ नागरिक (senior citizens) हैं। सब की इच्छा रहती है कि रात को रुकने के लिये आरामदेह होटल व खाने के लिये अच्छा स्वादिष्ट व स्वास्थ्यकर भोजन (comfortable hotel stay with wholesome palatable food) पहले से ही सुनिश्चित कर लिया जाये। इसके अलावा intercity & local travel के लिये भी हम एक वाहन का प्रबन्ध चाहते हैं ताकि हमें दिक्कत न हो और अगर हमारा सामान हमारे साथ में ही घूम रहा हो तो वह भी गाड़ी में सुरक्षित रहे।  9 से 12 यात्री हों तो वातानुकूलित टैम्पो ट्रेवलर सबसे सुविधाजनक सवारी अनुभव होती है जिसमें हमने एक दिन में 300 किमी की यात्रा भी की हैं।

Package Tour for family trips; backpacker style for solo trips

हमारी सभी पारिवारिक यात्राएं पैकेज टूर के अन्तर्गत सम्पन्न होती हैं।  इतने सारे यात्री एक साथ चलते हैं तो पैकेज टूर लेना महंगा सौदा नहीं है।  मानसिक शांति बनी रहती है और घूमने – फिरने में कोई असुविधा भी नहीं होती।   हां, जब मैं कभी अकेला घुमक्कड़ी के लिये निकलता हूं तो न तो नाश्ते की परवाह रहती है न होटल की।  जहां जो भी, जैसा भी मिल जाये, प्रभु कृपा मान कर स्वीकार करता चलता हूं।  मेरी पत्नी ऐसी खतरनाक बैकपैकर घुमक्कड़ी से दूर ही रहती है।

हमारे इस पैकेज टूर में प्रति व्यक्ति खर्च लगभग 17,000/- आया था जिसमें विभिन्न शहरों में होटल व पूरी यात्रा के दौरान टैम्पो ट्रेवलर का खर्च शामिल था।   एक वाहन हमें हैदराबाद में 3 दिन के लिये मिला।  दूसरा टैम्पो ट्रेवलर महाराष्ट्र में 6 दिन के लिये हमारे साथ रहा।  वाहन का भाड़ा, डीज़ल का खर्च व ड्राइवर का खाना – पीना – सोना  आदि का भुगतान पैकेज में शामिल था,  पार्किंग व टोल टैक्स आदि हमें ही देने थे।

इस प्रकार हैदराबाद, औरंगाबाद, शिरडी, नाशिक व लोनावला के होटलों का भुगतान इस पैकेज में शामिल था।  श्री शैलम्‌ के होटल की व्यवस्था करने में टूर ऑपरेटर ने असमर्थता व्यक्त कर दी थी।  सभी होटल 3 स्टार या 4 स्टार श्रेणी के थे व सभी में ब्रेकफ़ास्ट की व्यवस्था होटल की ओर से ही थी।  पर्यटक स्थलों व मंदिरों में प्रवेश शुल्क आदि भी हमारे जिम्मे ही था।

नई दिल्ली एयरपोर्ट से हैदराबाद (New Delhi to Hyderabad Air travel)

अब आगे की कहानी, चित्रों की जुबानी !

नई दिल्ली एयर पोर्ट टर्मिनल 3 पर इस बार सूर्य नमस्कार की 10 स्थितियों को दर्शाती हुई यह कलाकृति दिखाई दी तो हमने अपने बच्चों की माता को कहा, "चलो, एक फोटो खींच कर यात्रा का उद्घाटन कर डालें!"

नई दिल्ली एयर पोर्ट टर्मिनल 3 पर इस बार सूर्य नमस्कार की 10 स्थितियों को दर्शाती हुई यह कलाकृति दिखाई दी तो मैने अपने बच्चों की माता से कहा, “चलो, एक फोटो खींच कर यात्रा का उद्घाटन कर डालें!”

दिल्ली से हैदराबाद हेतु विस्तारा एयरलाइंस में यात्रा का शुभारंभ एक सेल्फ़ी के साथ जिसमें मेरे सहयात्री अग्रवाल परिवार के दोनों सदस्य दिखाई दे रहे हैं। विस्तारा एयरलाइंस में यह हमारी पहली यात्रा थी।

दिल्ली से हैदराबाद हेतु विस्तारा एयरलाइंस में यात्रा का शुभारंभ एक सेल्फ़ी के साथ जिसमें मेरे सहयात्री अग्रवाल परिवार के दोनों सदस्य दिखाई दे रहे हैं। विस्तारा एयरलाइंस में यह हमारी पहली यात्रा थी।

18 जनवरी की सुबह गुड़वांव स्थित अपने घर से निकले थे तो एयरपोर्ट तक भयानक कोहरा था। पर अब हम बादलों से भी ऊपर आकाश में उड़ रहे थे।

18 जनवरी की सुबह गुड़वांव स्थित अपने घर से निकले थे तो एयरपोर्ट तक भयानक कोहरा था। पर अब हम बादलों से भी ऊपर आकाश में उड़ रहे थे।

दक्षिण मध्य भारत की ओर बढ़ते जहाज से ही सूर्योदय की तैयारी !

दक्षिण मध्य भारत की ओर बढ़ते जहाज से ही सूर्योदय की तैयारी !

नई दिल्ली से हैदराबाद की 2.30 घंटे की यात्रा में कोई ऊंघ रहा था तो कोई अपने मोबाइल में कैंडी क्रश खेलने में व्यस्त हो गया था।

नई दिल्ली से हैदराबाद की 2.30 घंटे की यात्रा में कोई ऊंघ रहा था तो कोई अपने मोबाइल में कैंडी क्रश खेलने में व्यस्त हो गया था।

हैदराबाद एयरपोर्ट पर लैंडिंग की तैयारी ! जहां उत्तर भारत कोहरे की चपेट में था, वहीं हैदराबाद तक आते आते आकाश बिल्कुल साफ़ था और हम तेलंगाना के मकान, सड़कें, खेत व नदियां देख पा रहे थे।

हैदराबाद एयरपोर्ट पर लैंडिंग की तैयारी ! जहां उत्तर भारत कोहरे की चपेट में था, वहीं हैदराबाद तक आते आते आकाश बिल्कुल साफ़ था और हम तेलंगाना के मकान, सड़कें, खेत व नदियां देख पा रहे थे।

हैदराबाद एयरपोर्ट का रन वे ! हमारा विस्तारा एयरलाइंस का जहाज अब बस रुकने को ही है।

हैदराबाद एयरपोर्ट का रन वे ! हमारा विस्तारा एयरलाइंस का जहाज अब बस रुकने को ही है।

न जाने क्या सोच कर हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम राजीव गांधी के नाम पर रख दिया गया है।

न जाने क्या सोच कर हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम राजीव गांधी के नाम पर रख दिया गया है।

हैदराबाद एयरपोर्ट टर्मिनल पर कन्वेयर बेल्ट पर आ रहे अपने सामान की प्रतीक्षा! हमारी दिल्ली से आने वाली फ़्लाइट का पहला बैग बस आने को है।

हैदराबाद एयरपोर्ट टर्मिनल पर कन्वेयर बेल्ट पर आ रहे अपने सामान की प्रतीक्षा! हमारी दिल्ली से आने वाली फ़्लाइट का पहला बैग बस आने को है।

अपने अपने बैगेज लेकर एयरपोर्ट से बाहर आते हुए इन संकेतकों से बहुत सहायता मिलती है। पहली बार हैदराबाद एयरपोर्ट आने वाले यात्रियों को भी किसी से कुछ भी पूछने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

अपने अपने बैगेज लेकर एयरपोर्ट से बाहर आते हुए इन संकेतकों से बहुत सहायता मिलती है। पहली बार हैदराबाद एयरपोर्ट आने वाले यात्रियों को भी किसी से कुछ भी पूछने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

हैदराबाद एयरपोर्ट टर्मिनल : एक्ज़िट गेट यानि निकास द्वार तक जाने के लिये आप अपने बैगेज सहित इस रैंप से उतर कर आसानी से जा सकते हैं।

हैदराबाद एयरपोर्ट टर्मिनल : एक्ज़िट गेट यानि निकास द्वार तक जाने के लिये आप अपने बैगेज सहित इस रैंप से उतर कर आसानी से जा सकते हैं।

हैदराबाद एयरपोर्ट टर्मिनल : आपके चाहने वाले अगर आपको लेने के लिये एयरपोर्ट पर आये हों तो वह यहां पर आपकी प्रतीक्षा कर सकते हैं।

हैदराबाद एयरपोर्ट टर्मिनल : आपके चाहने वाले अगर आपको लेने के लिये एयरपोर्ट पर आये हों तो वह यहां पर आपकी प्रतीक्षा कर सकते हैं।

हैदराबाद एयरपोर्ट टर्मिनल : महंगी वाली कॉफी पीनी चाहें तो स्टारबक्स कॉफी आउटलेट पर कॉफी पीजिये। वैसे 50 रुपये वाली चाय - कॉफी के काउंटर भी थे जो हम पीछे छोड़ आये हैं।

हैदराबाद एयरपोर्ट टर्मिनल : महंगी वाली कॉफी पीनी चाहें तो स्टारबक्स कॉफी आउटलेट पर कॉफी पीजिये। वैसे 50 रुपये वाली चाय – कॉफी के काउंटर भी थे जो हम पीछे छोड़ आये हैं।

हैदराबाद एयरपोर्ट टर्मिनल : टैक्सी स्टैण्ड !

हैदराबाद एयरपोर्ट टर्मिनल : टैक्सी स्टैण्ड !

हैदराबाद एयरपोर्ट से अपना बैगेज लेकर बाहर आते हुए हमारे सहयात्री गण ! अब इंतज़ार है तो अपनी टैंपो ट्रेवलर वैन की जो हमें लेकर श्री शैलम यानि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की 210 किमी लंबी यात्रा पर निकलेगी।

हैदराबाद एयरपोर्ट से अपना बैगेज लेकर बाहर आते हुए हमारे सहयात्री गण ! अब इंतज़ार है तो अपनी टैंपो ट्रेवलर वैन की जो हमें लेकर श्री शैलम यानि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की 210 किमी लंबी यात्रा पर निकलेगी।

हैदराबाद से श्री शैलम हेतु प्रस्थान

गूगल मैप पर देख कर ज्ञान मिला कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग तेलंगाना में नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश के कुलुनूर जिले में श्री शैलम नामक पर्वत पर स्थित है और लगभग 210 किमी दूर है।

गूगल मैप पर देख कर ज्ञान मिला कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग तेलंगाना में नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश के कुलुनूर जिले में श्री शैलम नामक पर्वत पर स्थित है और लगभग 210 किमी दूर है।

हैदराबाद - श्री शैलम मार्ग पर दोनों ओर पहाड़ी पर ऐसे विशालकाय पत्थर एक के ऊपर एक रखे हुए दिखाई देने लगते हैं । न जाने किसने इतने भारी भरकम पत्थरों को उठा कर एक दूसरे पर रखा होगा!

हैदराबाद – श्री शैलम मार्ग पर दोनों ओर पहाड़ी पर ऐसे विशालकाय पत्थर एक के ऊपर एक रखे हुए दिखाई देने लगते हैं । न जाने किसने इतने भारी भरकम पत्थरों को उठा कर एक दूसरे पर रखा होगा!

बेचारे छोटे से पत्थर के ऊपर कितने बड़े बड़े पत्थर रखे हुए हैं ! :-(

बेचारे छोटे से पत्थर के ऊपर कितने बड़े बड़े पत्थर रखे हुए हैं ! 🙁

श्री शैलम की ओर बढ़ते हुए जब हम लगभग आधा रास्ता पार कर लेते हैं तो संरक्षित वन का क्षेत्र आरंभ हो जाता है जो रात्रि के समय यातायात हेतु बन्द कर दिया जाता है।

श्री शैलम की ओर बढ़ते हुए जब हम लगभग आधा रास्ता पार कर लेते हैं तो संरक्षित वन का क्षेत्र आरंभ हो जाता है जो रात्रि के समय यातायात हेतु बन्द कर दिया जाता है।

ये बन्दर केले और चने के लालच में अपना जंगल छोड़ कर हाइवे पर आकर बैठे रहते हैं और कुछ तथाकथित हनुमान भक्त इस गैर कानूनी अंध श्रद्धा के वशीभूत उनको खाद्य सामग्री देते रहते हैं।

ये बन्दर केले और चने के लालच में अपना जंगल छोड़ कर हाइवे पर आकर बैठे रहते हैं और कुछ तथाकथित हनुमान भक्त इस गैर कानूनी अंध श्रद्धा के वशीभूत उनको खाद्य सामग्री देते रहते हैं।

अपनी वैन रुकवा कर हम सब हल्के होने के लिये चल दिये अन्दर सुलभ काम्प्लेक्स में !

अपनी वैन रुकवा कर हम सब हल्के होने के लिये चल दिये अन्दर सुलभ काम्प्लेक्स में !

चलते - चलते दो - एक घंटे हो जायें तो सुलभ काम्प्लेक्स की जरूरत अनुभव होने लगती है। संरक्षित वन में हमें सुन्दर सा ये सुलभ काम्प्लेक्स दिखाई दिया तो मन प्रसन्न हो गया।

संरक्षित वन में हमें ये सुलभ काम्प्लेक्स दिखाई दिया तो मन प्रसन्न हो गया।

सुलभ शौचालय के बाहर आओ तो न जाने क्यों, फिर चाय की जरूरत महसूस होने लगती है। इसलिये वहीं पास में एक खोखा चाय का भी है जहां हम सब ने भी चाय की चुस्कियां लीं।

सुलभ शौचालय के बाहर आओ तो न जाने क्यों, फिर चाय की जरूरत महसूस होने लगती है। इसलिये वहीं पास में एक खोखा चाय का भी है जहां हम सब ने भी चाय की चुस्कियां लीं।

संरक्षित वन क्षेत्र में प्रवेश करते समय 50 रुपये प्रति वाहन जमा कराये जाते हैं और एक लाल रंग की थैली और एक पैम्फलेट आपको दिया जाता है। आप ये थैली वन क्षेत्र से बाहर निकलते समय वापिस करते हैं और आपको 20 रुपये वापिस मिल जाते हैं। यानि वन क्षेत्र का टोल 30/- पर इसका लाभ ये है कि वन विभाग के कर्मचारियों को पता चल जाता है कि जितने वाहन वन क्षेत्र में प्रविष्ट हुए थे, वह शाम को गेट बन्द होने से पहले पहले बाहर निकल गये हैं या नहीं !!!

संरक्षित वन क्षेत्र में प्रवेश करते समय 50 रुपये प्रति वाहन जमा कराये जाते हैं और एक लाल रंग की थैली और एक पैम्फलेट आपको दिया जाता है। आप ये थैली वन क्षेत्र से बाहर निकलते समय वापिस करते हैं और आपको 20 रुपये वापिस मिल जाते हैं। यानि वन क्षेत्र का टोल 30/- पर इसका लाभ ये है कि वन विभाग के कर्मचारियों को पता चल जाता है कि जितने वाहन वन क्षेत्र में प्रविष्ट हुए थे, वह शाम को गेट बन्द होने से पहले पहले बाहर निकल गये हैं या नहीं !!!

हैदराबाद श्री शैलम हाइवे : वन क्षेत्र में संभवतः कोई ऐसी वनस्पति / घास है जो ये चटाइयां आदि बनाने में उपयोग की जाती है। इस वन क्षेत्र में ऐसे बहुत सारे व्यक्ति चटाइयां बेचते हुए दिखाई दिये ।

हैदराबाद श्री शैलम हाइवे : वन क्षेत्र में संभवतः कोई ऐसी वनस्पति / घास है जो ये चटाइयां आदि बनाने में उपयोग की जाती है। इस वन क्षेत्र में ऐसे बहुत सारे व्यक्ति चटाइयां बेचते हुए दिखाई दिये ।

हैदराबाद से श्री शैलम्‌ का 230 किमी का मार्ग सड़क की गुणवत्ता की दृष्टि से अच्छा है, 2-3 बार टोल टैक्स भी देना पड़ा।  यह मार्ग एक संरक्षित वन में से होकर गुज़रता है और रास्ते में प्रमुख आकर्षण श्री शैलम्‌ बांध है जो कृष्णा नदी पर बनाया गया है। ये कृष्णा नदी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सीमा रेखा बनी हुई है और दोनों प्रदेशों को एक दूसरे से अलग करती है।

हैदराबाद से श्री शैलम जाते हुए एक संरक्षित वन और श्री शैलम बांध प्रमुख आकर्षण हैं। नदी के दोनों तटों पर व्यू प्वाइंट बने हुए हैं जहां ड्राइवर वाहन रोक कर फोटो आदि खींचने की सुविधा देते हैं।

हैदराबाद से श्री शैलम जाते हुए एक संरक्षित वन और श्री शैलम बांध प्रमुख आकर्षण हैं। नदी के दोनों तटों पर व्यू प्वाइंट बने हुए हैं जहां ड्राइवर वाहन रोक कर फोटो आदि खींचने की सुविधा देते हैं।

जैसे जैसे कृष्णा नदी नज़दीक आ रही थी, पहाड़ी मार्ग का सौन्दर्य भी बढ़ता चला जा रहा था।

जैसे जैसे कृष्णा नदी नज़दीक आ रही थी, पहाड़ी मार्ग का सौन्दर्य भी बढ़ता चला जा रहा था।

और ये रहा कृष्णा नदी पर बना हुआ पुल ! हम अभी नदी के बायें तट की ओर उतर रहे हैं और इस पुल से होते हुए दायें तट पर पहुंच कर चढ़ाई आरंभ करेंगे।

और ये रहा कृष्णा नदी पर बना हुआ पुल ! हम अभी नदी के बायें तट की ओर उतर रहे हैं और इस पुल से होते हुए दायें तट पर पहुंच कर चढ़ाई आरंभ करेंगे।

हमारे ड्राइवर ने जब कहा कि यहां से आपको बांध और कृष्णा नदी का विहंगम दृश्य दिखाई देगा। आप फोटो खींच लीजिये तो हमने उसकी आज्ञा का पालन करते हुए खूब सारी फोटो खींच लीं।

हमारे ड्राइवर ने जब कहा कि यहां से आपको बांध और कृष्णा नदी का विहंगम दृश्य दिखाई देगा। आप फोटो खींच लीजिये तो हमने उसकी आज्ञा का पालन करते हुए खूब सारी फोटो खींच लीं।

मुझे कैमरे के पीछे खड़े रहना ही ज्यादा अच्छा लगता है पर मुझसे कोई इस यात्रा में सम्मिलित होने का सुबूत न मांग बैठे इसलिये सर्जिकल स्ट्राइक का सुबूत पेश है। ;-)

मुझे कैमरे के पीछे खड़े रहना ही ज्यादा अच्छा लगता है पर मुझसे कोई इस यात्रा में सम्मिलित होने का सुबूत न मांग बैठे इसलिये सर्जिकल स्ट्राइक का सुबूत पेश है। 😉

हैदराबाद - श्री शैलम मार्ग पर श्री शैलम बांध पर यह व्यू प्वाइंट पहाड़ी के छोर पर स्थित है जहां ये यू - टर्न मिलता है।

हैदराबाद – श्री शैलम मार्ग पर श्री शैलम बांध पर यह व्यू प्वाइंट पहाड़ी के छोर पर स्थित है जहां ये यू – टर्न मिलता है।

जब बांध के गेट बन्द कर दिये जाते हैं तो बांध के बाद कृष्णा नदी में पानी कम हो जाता है।

जब बांध के गेट बन्द कर दिये जाते हैं तो बांध के बाद कृष्णा नदी में पानी कम हो जाता है।

मित्रों,  हम आज सुबह  हैदराबाद एयरपोर्ट से चले थे जो तेलंगाना राज्य में स्थित है।  श्री शैलम स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कुलुनूर जिले में स्थित है।  रास्ते में जितने भी टोल टैक्स प्लाज़ा आये, हम शराफत से उन सब पर भुगतान करते चले आ रहे थे, पर आंध्र प्रदेश में प्रवेश करते समय आर.टी.ओ. की चौकी पड़ी जिस पर 3,500/- आंध्र प्रदेश का प्रवेश शुल्क / रोड टैक्स मांगा गया तो हमने साफ मना कर दिया कि ये जिम्मेदारी टूर ऑपरेटर की है, हमारी नहीं।  आधा घंटा टैम्पो ट्रेवलर के मालिक से फोन पर संपर्क साधने में और इस मामले को निपटाने में व्यतीत हो गया।  अंत में ये तय हुआ कि चूंकि ड्राइवर के पास 3,500/- जेब में नहीं हैं, इसलिये फिलहाल हम यह भुगतान कर दें और टूर ऑपरेटर के बचे हुए भुगतान में से समायोजित कर लें।

और लीजिये, आ पहुंचे हम श्री शैलम ! मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग यहां का प्रमुख आकर्षण तो है ही पर यह हिल स्टेशन स्वयं भी प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है।

और लीजिये, आ पहुंचे हम श्री शैलम ! मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग यहां का प्रमुख आकर्षण तो है ही पर यह हिल स्टेशन स्वयं भी प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है।

श्री शैलम की सुहानी शाम!

श्री शैलम की सुहानी शाम!

श्री शैलम्‌ पहुंच कर पता चला कि यहां 13 जनवरी से 18 जनवरी तक एक विशाल महोत्सव का आयोजन चल रहा है जिसके कारण सभी होटलों, धर्मशालाओं, गेस्ट हाउस, रेस्ट हाउस, डॉरमिटरी आदि में कहीं भी कोई कमरा उपलब्ध नहीं है।  अब क्या हो?   हम दो घंटे तक अपना टेम्पो ट्रेवलर लेकर नगरी नगरी, द्वारे द्वारे भटकते रहे – कभी गंगा भवन तो कभी गोदावरी सदन पर हर जगह से मुंह लटकाये वापिस लौटते रहे।  एक – दो जगह बहुत रूखा बर्ताव भी हमारे साथ किया गया।  ऐसा लगा कि यहां पर तेलुगू भाषा न जानने वालों को यह सब झेलना ही होता है।  ऐसे में हमने अपने टेम्पो ड्राइवर को आगे करना शुरु कर दिया कि भाई तुम ही बात कर लो और हमें समझा दो।

करीब 2 घंटे की दौड़ – धूप के बाद हमारा ड्राइवर एक ब्रेकिंग न्यूज़ लेकर आया कि दो सुइट अभी आधा घंटा पहले ही खाली हुए हैं जो मिल सकते हैं।  हम सब के चेहरे पर रंगत लौट आई और ड्राइवर को बोल दिया कि फौरन से पेश्तर बुक करा दो।  कमरे कहां है, कैसे हैं, टॉयलेट हैं तो कैसे हैं, ए सी है या नहीं, ये सब देखने की कोई जरूरत नहीं है।  ड्राइवर को साथ लेकर रिसेप्शन पर पहुंचे और 1,800/- की दर से हमने दो कॉटेज बुक करा दिये।  400/- रिफ़ंडेबल सिक्योरिटी भी जमा कराई गयी।  वास्तव में हम अब तक खुद को इस स्थिति के लिये मानसिक रूप से तैयार कर चुके थे कि अगर इस टेम्पो ट्रेवलर में ही रात को सोना पड़ा तो सो जायेंगे।   ऐसे में, जब तक हमें 4000 रुपये की रसीद नहीं मिली, हमने अपनी कॉटेज देखने की भी उत्सुकता जाहिर नहीं की क्योंकि कुछ ही देर पहले हमें एक गेस्ट हाउस से सिर्फ इस लिये भगा दिया गया था क्योंकि बुक करने से पहले हमने कमरे देखने चाहे थे !!!

आगे हमारे साथ क्या – क्या हुआ?  ये ओल्ड एज होम और उसकी कॉटेज कैसी थीं?  हम उसमें रुक भी पाये या नहीं, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन कैसे हुए, यह सब जानने के लिये अगली कड़ी की प्रतीक्षा करें जो शीघ्र ही आपके सम्मुख होगी। तब तक के लिये अनुमति दें, नमस्कार !

10 thoughts on “हमारी हैदराबाद – महाराष्ट्र तीर्थयात्रा – पहला दिन

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  6. Madhavi Gautam

    बहुत ही अच्छा यात्रा वृतांत था ।पता लगा सर फिर क्यों छोटे छोटे पत्थरों पर उन बड़े पत्थरों को किसने और कैसे रखा था । सही कहा सर आपने दक्षिण भारत में उत्तर भारतीयों को सबसे ज्यादा समस्या वहां की भाषा समझने में होती है।वहां के लोग हिंदी और इंग्लिश जानते हैं पर फिर भी ऐसा जाहिर करते हैं कि वह नहीं जानते। जैसे आप के साथ दुर्व्यवहार हुआ कुछ ऐसा ही व्यवहार मुझे भी अपनी चेन्नई यात्रा के दौरान हो चुका है। सच में बहुत तकलीफ होती है जब वह अपने आप को हमसे अलग समझते हैं। चित्र बहुत ही सुंदर है और यात्रा का मजा दुगना कर देते हैं।

    1. Sushant K Singhal Post author

      प्रिय माधवी गौतम जी! आज आप संभवतः पहली बार मेरे ब्लॉग पर आईं, और न सिर्फ़ पोस्ट पढ़ी बल्कि इतना अच्छा कमेंट भी लिखा। आपका हार्दिक धन्यवाद। मेरे विचार से होटल और धर्मशाला वाले लोगों को मना करते करते झल्लाए हुए बैठे होंगे इसीलिये हमारे ऊपर भी झल्लाना शुरु कर दिया। वैसे श्रीशैलम में हमें बड़े अच्छे अच्छे अनुभव भी हुए।
      इस श्रंखला की अगली कड़ी ये है – हमारी हैदराबाद – महाराष्ट्र यात्रा – मल्लिकार्जुन दर्शन

      नहीं, मुझे आज तक पता नहीं चला कि उन छोटे पत्थरों के ऊपर बड़े पत्थर किसने रखे, क्यों रखे! आप तो इतनी घुमक्कड़ी करती हैं, अगर आपको पता चले तो मुझे भी बताइयेगा।

      अगर आपने रामोजी फिल्म सिटी नहीं देखी है तो एक बार तो वहां जाना बनता ही है। रामोजी फिल्म सिटी – एक अद्‍भुत संसार

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  9. Rakesh Kumar Kataria

    साउथ इडिया की कभी यात्रा नहीं की
    बाकी आपकी पोस्ट पढ़ कर काफी कुछ समझ सकेंगे

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