प्रिय मित्रों, आज मैं आपको अपनी हैदराबाद और महाराष्ट्र की 9 दिन की तीर्थयात्रा पर लेकर चल रहा हूं जिसमें हमने न केवल मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), घृष्णेश्वर (औरंगाबाद), त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) व भीमाशंकर (पुणे) ज्योतिर्लिंगों के दर्शन किये बल्कि अनेकों अन्य पर्यटन स्थलों पर भी घूमे। हमने इस टूर में रामोजी फिल्म सिटी (हैदराबाद), चारमीनार, सालारजंग म्यूज़ियम, बिड़ला मंदिर, बीबी का मकबरा, एलोरा की गुफाएं, पंचवटी धाम, लोनावला – खंडाला, कार्ला गुफ़ाओं आदि को भी देखा। मुझे उम्मीद है कि आपको इस सिरीज़ में बहुत मज़ा आयेगा और बहुत सारे नये पर्यटन केन्द्रों का परिचय भी मिलेगा।
कौन – कौन था इस तीर्थ यात्रा में?
हमारे इस बार के टूर में परिवार / मित्र मिला कर 9 लोग थे जिनमें 8 वरिष्ठ नागरिक थे। 2016 से हम हर वर्ष 9 से 12 लोगों का ग्रुप बना कर यात्रा पर निकलने लगे हैं। आनन्द भी पूरा आता है और यात्रा का खर्च कई परिवारों में बंट जाने से प्रति व्यक्ति बजट सस्ता भी रहता है।
- हमारी स्मरणीय उत्तर पूर्व यात्रा (दार्जिलिंग, कलिंपोंग, नामची, गंगटोक, शिलॉंग, चेरापूंजी, गुवाहाटी)
- हमारी एक सप्ताह की दुबई और आबू धाबी की मजेदार यात्रा
- हमारी एक सप्ताह की गुजरात व दीव यात्रा (अहमदाबाद, दीव, सासन गिर, पोरबन्दर, सोमनाथ, द्वारिका, बेट द्वारिका, राजकोट)
हमारा भ्रमण कार्यक्रम (Itinerary of our Hyderabad – Maharasthra Tour : 18 Jan 2020 – 27 Jan 2020)
- 18 जनवरी 2020 : प्रातः नई दिल्ली एयरपोर्ट से हैदराबाद और फिर वहां से सड़क मार्ग से श्रीशैलम के लिये प्रस्थान और शाम को मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन।
- 19 जनवरी 2020 : श्री शैलम् से हैदराबाद वापसी और बचे हुए आधे दिन में शहर के दर्शनीय स्थलों का टूर। रात्रि विश्राम हैदराबाद के होटल में।
- 20 जनवरी 2020 : रामोजी फिल्म सिटी का पूरे दिन का टूर और शाम को सिकन्दराबाद रेलवे स्टेशन से औरंगाबाद के लिये ट्रेन द्वारा प्रस्थान।
- 21 जनवरी 2020 : सुबह औरंगाबाद में श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन और उसके पश्चात् दिन भर में अन्य दर्शनीय स्थलों का भ्रमण। रात्रि में औरंगाबाद के होटल में ही विश्राम।
- 22 जनवरी 2020 : सुबह शनि शिंगणापुर में दर्शन करते हुए शिरडी पहुंचना। श्री साईं बाबा समाधि दर्शन। रात्रि में शिरडी में ही होटल में विश्राम।
- 23 जनवरी 2020 : सुबह नाशिक के लिये प्रस्थान और श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद नाशिक में अन्य दर्शनीय स्थलों का भ्रमण। रात्रि में नाशिक में विश्राम।
- 24 जनवरी 2020 : भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु नाशिक से प्रस्थान। रात्रि विश्राम लोनावला (पुणे मुम्बई हाईवे पर) में।
- 25 व 26 जनवरी 2020 : लोनावला व खंडाला के विभिन्न दर्शनीय स्थलों के दर्शन। 26 January को लोनावला से मुंबई सैंट्रल रेलवे स्टेशन हेतु प्रस्थान। शाम को 5 बजे राजधानी एक्सप्रेस पकड़ कर 27 January को प्रातः नई दिल्ली स्टेशन पर आगमन।
Night Stay / Local and Intercity Travel
हां, एक जरूरी बात तो बता दूं। हम सभी वरिष्ठ नागरिक (senior citizens) हैं। सब की इच्छा रहती है कि रात को रुकने के लिये आरामदेह होटल व खाने के लिये अच्छा स्वादिष्ट व स्वास्थ्यकर भोजन (comfortable hotel stay with wholesome palatable food) पहले से ही सुनिश्चित कर लिया जाये। इसके अलावा intercity & local travel के लिये भी हम एक वाहन का प्रबन्ध चाहते हैं ताकि हमें दिक्कत न हो और अगर हमारा सामान हमारे साथ में ही घूम रहा हो तो वह भी गाड़ी में सुरक्षित रहे। 9 से 12 यात्री हों तो वातानुकूलित टैम्पो ट्रेवलर सबसे सुविधाजनक सवारी अनुभव होती है जिसमें हमने एक दिन में 300 किमी की यात्रा भी की हैं।
Package Tour for family trips; backpacker style for solo trips
हमारी सभी पारिवारिक यात्राएं पैकेज टूर के अन्तर्गत सम्पन्न होती हैं। इतने सारे यात्री एक साथ चलते हैं तो पैकेज टूर लेना महंगा सौदा नहीं है। मानसिक शांति बनी रहती है और घूमने – फिरने में कोई असुविधा भी नहीं होती। हां, जब मैं कभी अकेला घुमक्कड़ी के लिये निकलता हूं तो न तो नाश्ते की परवाह रहती है न होटल की। जहां जो भी, जैसा भी मिल जाये, प्रभु कृपा मान कर स्वीकार करता चलता हूं। मेरी पत्नी ऐसी खतरनाक बैकपैकर घुमक्कड़ी से दूर ही रहती है।
हमारे इस पैकेज टूर में प्रति व्यक्ति खर्च लगभग 17,000/- आया था जिसमें विभिन्न शहरों में होटल व पूरी यात्रा के दौरान टैम्पो ट्रेवलर का खर्च शामिल था। एक वाहन हमें हैदराबाद में 3 दिन के लिये मिला। दूसरा टैम्पो ट्रेवलर महाराष्ट्र में 6 दिन के लिये हमारे साथ रहा। वाहन का भाड़ा, डीज़ल का खर्च व ड्राइवर का खाना – पीना – सोना आदि का भुगतान पैकेज में शामिल था, पार्किंग व टोल टैक्स आदि हमें ही देने थे।
इस प्रकार हैदराबाद, औरंगाबाद, शिरडी, नाशिक व लोनावला के होटलों का भुगतान इस पैकेज में शामिल था। श्री शैलम् के होटल की व्यवस्था करने में टूर ऑपरेटर ने असमर्थता व्यक्त कर दी थी। सभी होटल 3 स्टार या 4 स्टार श्रेणी के थे व सभी में ब्रेकफ़ास्ट की व्यवस्था होटल की ओर से ही थी। पर्यटक स्थलों व मंदिरों में प्रवेश शुल्क आदि भी हमारे जिम्मे ही था।
नई दिल्ली एयरपोर्ट से हैदराबाद (New Delhi to Hyderabad Air travel)
अब आगे की कहानी, चित्रों की जुबानी !
हैदराबाद से श्री शैलम हेतु प्रस्थान
श्री शैलम की ओर बढ़ते हुए जब हम लगभग आधा रास्ता पार कर लेते हैं तो संरक्षित वन का क्षेत्र आरंभ हो जाता है जो रात्रि के समय यातायात हेतु बन्द कर दिया जाता है।
हैदराबाद से श्री शैलम् का 230 किमी का मार्ग सड़क की गुणवत्ता की दृष्टि से अच्छा है, 2-3 बार टोल टैक्स भी देना पड़ा। यह मार्ग एक संरक्षित वन में से होकर गुज़रता है और रास्ते में प्रमुख आकर्षण श्री शैलम् बांध है जो कृष्णा नदी पर बनाया गया है। ये कृष्णा नदी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सीमा रेखा बनी हुई है और दोनों प्रदेशों को एक दूसरे से अलग करती है।
मित्रों, हम आज सुबह हैदराबाद एयरपोर्ट से चले थे जो तेलंगाना राज्य में स्थित है। श्री शैलम स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कुलुनूर जिले में स्थित है। रास्ते में जितने भी टोल टैक्स प्लाज़ा आये, हम शराफत से उन सब पर भुगतान करते चले आ रहे थे, पर आंध्र प्रदेश में प्रवेश करते समय आर.टी.ओ. की चौकी पड़ी जिस पर 3,500/- आंध्र प्रदेश का प्रवेश शुल्क / रोड टैक्स मांगा गया तो हमने साफ मना कर दिया कि ये जिम्मेदारी टूर ऑपरेटर की है, हमारी नहीं। आधा घंटा टैम्पो ट्रेवलर के मालिक से फोन पर संपर्क साधने में और इस मामले को निपटाने में व्यतीत हो गया। अंत में ये तय हुआ कि चूंकि ड्राइवर के पास 3,500/- जेब में नहीं हैं, इसलिये फिलहाल हम यह भुगतान कर दें और टूर ऑपरेटर के बचे हुए भुगतान में से समायोजित कर लें।
श्री शैलम् पहुंच कर पता चला कि यहां 13 जनवरी से 18 जनवरी तक एक विशाल महोत्सव का आयोजन चल रहा है जिसके कारण सभी होटलों, धर्मशालाओं, गेस्ट हाउस, रेस्ट हाउस, डॉरमिटरी आदि में कहीं भी कोई कमरा उपलब्ध नहीं है। अब क्या हो? हम दो घंटे तक अपना टेम्पो ट्रेवलर लेकर नगरी नगरी, द्वारे द्वारे भटकते रहे – कभी गंगा भवन तो कभी गोदावरी सदन पर हर जगह से मुंह लटकाये वापिस लौटते रहे। एक – दो जगह बहुत रूखा बर्ताव भी हमारे साथ किया गया। ऐसा लगा कि यहां पर तेलुगू भाषा न जानने वालों को यह सब झेलना ही होता है। ऐसे में हमने अपने टेम्पो ड्राइवर को आगे करना शुरु कर दिया कि भाई तुम ही बात कर लो और हमें समझा दो।
करीब 2 घंटे की दौड़ – धूप के बाद हमारा ड्राइवर एक ब्रेकिंग न्यूज़ लेकर आया कि दो सुइट अभी आधा घंटा पहले ही खाली हुए हैं जो मिल सकते हैं। हम सब के चेहरे पर रंगत लौट आई और ड्राइवर को बोल दिया कि फौरन से पेश्तर बुक करा दो। कमरे कहां है, कैसे हैं, टॉयलेट हैं तो कैसे हैं, ए सी है या नहीं, ये सब देखने की कोई जरूरत नहीं है। ड्राइवर को साथ लेकर रिसेप्शन पर पहुंचे और 1,800/- की दर से हमने दो कॉटेज बुक करा दिये। 400/- रिफ़ंडेबल सिक्योरिटी भी जमा कराई गयी। वास्तव में हम अब तक खुद को इस स्थिति के लिये मानसिक रूप से तैयार कर चुके थे कि अगर इस टेम्पो ट्रेवलर में ही रात को सोना पड़ा तो सो जायेंगे। ऐसे में, जब तक हमें 4000 रुपये की रसीद नहीं मिली, हमने अपनी कॉटेज देखने की भी उत्सुकता जाहिर नहीं की क्योंकि कुछ ही देर पहले हमें एक गेस्ट हाउस से सिर्फ इस लिये भगा दिया गया था क्योंकि बुक करने से पहले हमने कमरे देखने चाहे थे !!!
आगे हमारे साथ क्या – क्या हुआ? ये ओल्ड एज होम और उसकी कॉटेज कैसी थीं? हम उसमें रुक भी पाये या नहीं, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन कैसे हुए, यह सब जानने के लिये अगली कड़ी की प्रतीक्षा करें जो शीघ्र ही आपके सम्मुख होगी। तब तक के लिये अनुमति दें, नमस्कार !
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बहुत ही अच्छा यात्रा वृतांत था ।पता लगा सर फिर क्यों छोटे छोटे पत्थरों पर उन बड़े पत्थरों को किसने और कैसे रखा था । सही कहा सर आपने दक्षिण भारत में उत्तर भारतीयों को सबसे ज्यादा समस्या वहां की भाषा समझने में होती है।वहां के लोग हिंदी और इंग्लिश जानते हैं पर फिर भी ऐसा जाहिर करते हैं कि वह नहीं जानते। जैसे आप के साथ दुर्व्यवहार हुआ कुछ ऐसा ही व्यवहार मुझे भी अपनी चेन्नई यात्रा के दौरान हो चुका है। सच में बहुत तकलीफ होती है जब वह अपने आप को हमसे अलग समझते हैं। चित्र बहुत ही सुंदर है और यात्रा का मजा दुगना कर देते हैं।
प्रिय माधवी गौतम जी! आज आप संभवतः पहली बार मेरे ब्लॉग पर आईं, और न सिर्फ़ पोस्ट पढ़ी बल्कि इतना अच्छा कमेंट भी लिखा। आपका हार्दिक धन्यवाद। मेरे विचार से होटल और धर्मशाला वाले लोगों को मना करते करते झल्लाए हुए बैठे होंगे इसीलिये हमारे ऊपर भी झल्लाना शुरु कर दिया। वैसे श्रीशैलम में हमें बड़े अच्छे अच्छे अनुभव भी हुए।
इस श्रंखला की अगली कड़ी ये है – हमारी हैदराबाद – महाराष्ट्र यात्रा – मल्लिकार्जुन दर्शन
नहीं, मुझे आज तक पता नहीं चला कि उन छोटे पत्थरों के ऊपर बड़े पत्थर किसने रखे, क्यों रखे! आप तो इतनी घुमक्कड़ी करती हैं, अगर आपको पता चले तो मुझे भी बताइयेगा।
अगर आपने रामोजी फिल्म सिटी नहीं देखी है तो एक बार तो वहां जाना बनता ही है। रामोजी फिल्म सिटी – एक अद्भुत संसार
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साउथ इडिया की कभी यात्रा नहीं की
बाकी आपकी पोस्ट पढ़ कर काफी कुछ समझ सकेंगे