अन्ततः वह क्षण आ ही गया है जब हम मां के दरबार में हाजिरी लगाने के लिये उपस्थित हैं! मां से क्या – क्या कहना था, क्या – क्या वायदे करने हैं, कुछ भी याद नहीं आ रहा है! बस, मूक हो कर रह गया हूं! जय माता की!
भूली भटियारी महल – आत्मा कहीं नहीं मिली !
भूली भटियारी भले ही करोल बाग दिल्ली के निकट भुतहा महल माना जाता हो, पर हमें वहां ढूढने पर भी भूली भटियारी की आत्मा नहीं दिखाई दी।
घुमक्कड़ों का कुम्भ – ओरछा में पहला दिन
घुमक्कड़ों के ओरछा में महामिलन का आयोजन झांसी रेलवे स्टेशन से आरंभ हो गया और हम चतुर्भुज मंदिर, राजा राम मंदिर, जहांगीर महल, बेतवा दर्शन, अभयारण्य आदि घूमते फिरते रहे और बतियाते रहे।