फरवरी 2016 में जयपुर दर्शन के दौरान हम लोगों को अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम देखने का भी सुअवसर मिला। यह हमारा सौभाग्य ही कहा जाना चाहिये कि हमने अलबर्ट हॉल म्यूज़ियम को 2016 में देखा जबकि उसके नवीनीकरण का कार्य संपन्न होचुका है और इसका अत्यन्त भव्य स्वरूप पर्यटकों के सम्मुख पुनः मौजूद है।
वरना वर्ष 2007 आते – आते यह म्यूज़ियम अत्यन्त दयनीय स्थिति में आ चुका था। भारत सरकार की आर्थिक सहायता से जयपुर के पर्यटन विभाग, स्थापत्य विभाग, संग्रहालय विभाग ने बहुत मेहनत व समझदारी के साथ न केवल इस भवन का जीर्णोद्धार व नवीनीकरण किया अपितु यहां प्रदर्शित कलाकृतियों को भी संरक्षित करने हेतु विशेष प्रयास किये ताकि यह विश्वस्तरीय संग्रहालय बन सके।
जैसा कि मैने बताया, जयपुर के प्रमुख आकर्षणों में से एक यह अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम न केवल अपनी अद्भुत कलाकृतियों के लिये प्रसिद्ध है अपितु इस संग्रहालय का भवन स्वयं में एक भव्य कलाकृति है जिसका निर्माण 1876 में आरंभ होकर 1887 में संपन्न हुआ था। उल्लेखनीय है कि सन् 1876 में इंग्लैंड से प्रिंस एल्बर्ट एडवर्ड के आगमन के अवसर पर महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय द्वारा इस भवन का निर्माण तो आरंभ करा दिया गया था किन्तु यह कुछ भी निश्चित नहीं था कि इस प्रस्तावित और निर्माणाधीन भवन को किस उपयोग में लिया जायेगा। कुछ लोग इसे टाउनहॉल के रूप में उपयोग करना चाहते थे तो कुछ इसे शिक्षण संस्थान का स्वरूप देना चाहते थे परन्तु महाराजा को जो सुझाव सबसे अधिक पसन्द आया वह सन 1880 में एक अंग्रेज़ सर्जन डा. टॉमस हॉल्बिन हैण्डले ने दिया था। हैण्डले का कहना था कि इस भवन को ऐसे म्यूज़ियम का स्वरूप दिया जाना चाहिये जिसमें जयपुर या राजस्थान ही नहीं अपितु सारे भारत में प्रचलित हस्तकलाओं का संकलन हो ताकि नयी पीढ़ी के शिल्पकारों व दस्तकारों को महानतम शिल्पियों की सर्वश्रेष्ठ कलाकृतियों को देख-देख कर प्रेरणा मिलती रहे और देश में उद्योग धन्धों का विकास होता रह सके।
उक्त सुझाव पर अमल करते हुए वर्ष 1881 में ही एक अस्थाई म्यूज़ियम का निर्माण करके उसमें स्थानीय शिल्पकारों की श्रेष्ठ कृतियों का संकलन आरंभ कर दिया गया और यह अत्यन्त लोकप्रिय हुआ जबकि अल्बर्ट हॉल का निर्माण वास्तुविद सैमुअल जैकब के निर्देशन में तेज़ी से चलता रहा। भवन निर्माण की शैली भारतीय-गोथिक, जिसे भारतीय-विक्टोरियन भी कहा जाता है, रखी गई। दीवारों और स्तंभों का अलंकरण अत्यन्त सुरुचि संपन्नता के साथ किया गया। यह विशेषरूप से दर्शनीय है कि संगमरमर के विभिन्न स्तंभों का अलंकरण करते हुए उस पर जो फूल व पत्तियों उत्कीर्ण की गई हैं, वह सभी स्तंभों पर अलग – अलग हैं। मुझे तो लगता है कि यदि इस म्यूज़ियम में प्रदर्शित सभी कलाकृतियों को वहां से हटा दिया जाये तो भी इस भवन का आन्तरिक व वाह्य सौन्दर्य लोगों को आकर्षित करता रहेगा। यदि आप अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम का पूरा आनन्द उठाना चाहते हैं तो मेरा सुझाव भी यही रहेगा कि आप जितना ध्यान वहां प्रदर्शित कलाकृतियों पर दें, उतना ही ध्यान भवन के अलंकरण पर भी दें।
हम इस संग्रहालय पर अपराह्न लगभग 3 बजे पहुंचे थे अतः इसमें प्रदर्शित प्रत्येक कलाकृति को देखने के लिये जितना समय चाहिये, वह उपलब्ध नहीं था। फिर भी, कुछ चित्र जो मैं ले पाया, यहां प्रस्तुत कर रहा हूं और आशा करता हूं कि ये चित्र आपको इस अद्भुत विरासत का किंचित् परिचय तो दे ही देंगे। यहां पर भूतल, प्रथम तल व द्वितीय तल पर विभिन्न कलादीर्घाओं का निर्माण किया गया है और विभिन्न कलाकृतियों को अलग-अलग वर्गों में बांटा गया है। जैसे, धातु की कलात्मक कृतियां (Metal Art), अस्त्र – शस्त्र (Arms & Armour), मूर्तिकला (Sculptures), अंतर्राष्ट्रीय कलाकृतियां (International Art), नीले रंग की चीनी मिट्टी की कलाकृतियां (Jaipur Pottery), लघु तैलचित्र (Miniature Paintings), संगमरमर की कलाकृतियां (Marble Art), हाथीदांत की कलाकृतियां (Ivory), आभूषण (Jewellery), संगीत वाद्य उपकरण (वीणा आदि) (Musical Instruments), काष्ठ कला व फर्नीचर (Furniture & Wooden Art), प्राचीन सिक्के (Coins), वस्त्राभरण (Garments & Textiles), मृद्भांड (Clay Art), कालीन (Carpet) व विविध (Misc.) । हम लोग केवल प्रथम तल तक ही जा पाये थे और वहां तक पहुंचते – पहुंचते मेरे कैमरे की मैमोरी चिप पूरी तरह से अघा चुकी थी ! 🙂
कुछ अन्य जानकारी –
Director, Department of Archaeology and Museums
Government of Rajasthan, Jaipur,Rajasthan, India. Telephone 0141-5190400 Fax :0141-2565124
Deputy Director
0141-5190406
Superintendent : Government Central Museum, Albert Hall, Jaipur
Albert Hall, Ram Niwas Garden, Jaipur,
Rajasthan, India.
Pin Code :302004
Telephone / Fax : 0141-2570099
Telephone : 0141-5190428,429,430
Email address :[email protected]
संग्रहालय में आगंतुकों के लिये समय – प्रातः 9 बजे से सायं 5 बजे तक, तथा सायं 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक
संग्रहालय निम्न तिथियों में बन्द रहता है – अक्तूबर से मार्च – प्रत्येक मास का अंतिम मंगलवार; अप्रैल से सितंबर – सोमवार !
अद्भुत वर्णन
आपका हार्दिक आभार, आदरणीय वर्मा जी कि आप यहां इस ब्लॉग पर आये, और इसे पसन्द किया। आशा है, आपसे आगे भी मुलाकात होती रहेगी। सादर, सुशान्त सिंहल ।
Amazing photography sir…. Ghar baithe baithe ghuma dia aapne
Thank you very much Arman for coming to this blog and for leaving your beautiful comment here. 🙂