द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम झारखंड राज्य के देवघर में स्थित है! देवघर का अर्थ ही है देवताओं का घर! झारखंड में घने जंगलों से घिरे देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम का महत्व इसी तथ्य से आंका जा सकता है कि देवघर से 107 किमी दूर पड़ोसी राज्य बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर जब शिव भक्त बाबा बैद्यनाथ धाम के दर्शन और अभिषेक के लिए चलते हैं तो सुल्तानगंज से देवघर तक कांवड़ में गंगाजल लेकर चल रहे शिव भक्तों की 107 km लंबी लाइन लगी हुई देखी जा सकती है!
बाबा बैद्यनाथ धाम कैसे पहुँचें?
बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर पहुँचने के लिए रेल, सड़क और वायु मार्ग तीनों ही उपलब्ध हैं! दिल्ली की दिशा से सड़क मार्ग से जाना हो तो –
- आगरा, लखनऊ, आज़मगढ़, पटना, देवघर रूट, या
- आगरा, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, देवघर में से आपके लिये जो सुविधाजनक हो, वह रूट चुन सकते हैं!
जुलाई 2022 से देवघर के लिए वायुमार्ग भी उपलब्ध हो गया है और कोलकाता, राँची, पटना के अलावा दिल्ली से भी वायु सेवा उपलब्ध है! उम्मीद है कि मुंबई और बंगलौर से भी वायु सेवा जल्द ही शुरू हो जाएगी! देवघर एयरपोर्ट से बाबा बैद्यनाथ धाम की दूरी लगभग 12 km है!
हम 8 यात्री 1 दिसंबर 2022 को नई दिल्ली स्टेशन से 17:40 पर चलने वाली पूर्व एक्सप्रेस से अगले दिन सुबह 11.30 पर जसिदीह जंक्शन (स्टेशन कोड JSME) पहुँचे थे जो दिल्ली – हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है! इस स्टेशन से बाबा बैद्यनाथ धाम केवल 7 km दूर है! देवघर नाम से भी एक रेलवे स्टेशन है पर वह दिल्ली-हावड़ा मेन लाइन पर नहीं है इसलिए जसिदीह ही देवघर के लिए सुविधाजनक रेलवे स्टेशन है! दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन से भी ट्रेन हैं जिनसे आप जसिदीह पहुँच सकते हैं!
बाबा बैद्यनाथ धाम में कहाँ रुकें ?
देवघर में रात्रि विश्राम के लिये हमें बहुत सारे होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशाला आदि दिखाई दिये! यदि आप सावन के महीने में नहीं जा रहे हैं तो आपको देवघर पहुँच कर भी आसानी से कमरे उपलब्ध हो जाएँगे! जहां तक हमारा सवाल है, हम 8 यात्रियों में किसी को भी देवघर या झारखंड यात्रा का कोई पूर्व अनुभव नहीं था! फ़ेसबुक पर ट्रैवल ग्रुप्स में, मित्रों से, विभिन्न वेबसाइट पर जाकर रिव्यूज़ पढ़ पढ़ कर मैंने गीतांजलि इंटरनेशनल होटल में 4 कमरे बुक किए थे पर मन में ये आशंका तो थी ही कि जैसा वेबसाइट और रिव्यूज़ से लग रहा है, होटल वैसा न हुआ तो? पर होटल का हमारा अनुभव बढ़िया रहा! कमरे अच्छे, साफ़ और सुविधाजनक थे! सुबह को ब्रेकफास्ट किराए में शामिल था! लिफ्ट भी उपलब्ध है! यह होटल पंडित विश्वनाथ मिश्र मार्ग पर है! हमने इस होटल में 4 कमरे 2000 रुपये की दर से मिले थे! इस होटल से बाबा बैद्यनाथ धाम की दूरी केवल 800 मीटर है और पैदल आने जाने में भी कोई समस्या नहीं है! वैसे होटल के बाहर सड़क पर खड़े हो जायें तो E-rikshaw आते जाते मिल जाते हैं जो 10 रुपये प्रति सवारी लेते हैं! गीतांजलि होटल का पूरा रिव्यू यहाँ देखा जा सकता है!
बैद्यनाथ धाम की धार्मिक महत्ता
बाबा बैद्यनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है और झारखंड के देवघर में स्थित है! देश में ऐसे दो ही ज्योतिर्लिंग हैं जिनके साथ शक्तिपीठ भी मौजूद है! एक देवघर में और दूसरा श्री मल्लीकार्जुन, श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश में!
बाबा बैद्यनाथ धाम के साथ लंकाधिपति रावण की कहानी जुड़ी हुई है! यही कारण है कि यहाँ विभिन्न बोर्ड पर रावणेश्वर धाम भी लिखा हुआ देखा जा सकता है! ऐसा माना जाता है कि महान शिव भक्त दसशीश रावण ने हिमालय में भगवान शिव की घनघोर तपस्या के दौरान अपने 9 शीश स्वयं काट पर भगवान शिव को अर्पित किए और शिव जी से वरदान माँगा कि वह उसके साथ लंका में चल कर रहें!
भगवान शिव ने शिवलिंग के रूप में रावण के साथ इस शर्त पर जाना मंज़ूर कर लिया कि इस शिवलिंग को रावण रास्ते में कहीं भी धरती पर नहीं रखेगा और अगर ऐसा हुआ तो शिवलिंग स्थाई रूप से वहीं स्थापित हो जाएगा! देवताओं को शिवजी के सहारे राक्षसराज की पाशविक शक्ति में और वृद्धि मंज़ूर नहीं थी सो ऐसे में उन्होंने भगवान विष्णु से सहायता का अनुरोध किया! भगवान विष्णु ने वरुण देव को आदेश देकर ऐसे हालात उत्पन्न किए कि रावण को देवघर पहुँचते पहुँचते लघुशंका निवारण हेतु शिवलिंग एक युवक को सौंपना पड़ा! वरुण देव ने रावण को ऐसा फँसाया कि रावण को लघुशंका से निवृत्त होने में बहुत अधिक समय लग गया! जब रावण को वापिस आने में बहुत देर होने लगी तो रावण द्वारा आगाह करने के बावजूद उस युवक ने शिवलिंग को उस स्थान पर धरती पर टिका दिया जहां वह आज उपस्थित है! जब अंततः लघुशंका से निवृत्त होकर रावण शिवलिंग लेने के लिये वापिस आया तो वह शिवलिंग को उठा नहीं पाया और क्रोध में आकर उसने शिवलिंग पर प्रहार किया! कहा जाता है कि बाबा बैद्यनाथ धाम में स्थित शिवलिंग की जो विशिष्ट आकृति है, वह रावण के प्रहार का ही परिणाम है!
बाबा बैद्यनाथ धाम कैसे पड़ा?
रावण की तपस्या और शीश काट काट कर महादेव के चरणों में अर्पित करने से भगवान प्रसन्न हुए थे तो उन्होंने बैद्य के रूप में रावण के ज़ख्मों का इलाज किया था, इसलिए देवघर में बाबा भोलेनाथ बैद्य की भूमिका में देखे जाते हैं और असाध्य रोगों से पीड़ित लोग भगवान से स्वास्थ्य लाभ की याचना लेकर आते हैं!
बाबा बैद्यनाथ शृंगार पूजा और अभिषेक
अगर आप शाम को छह बजे से पहले बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग दर्शन हेतु पहुँच सकें तो आपको बाबा की शृंगार पूजा देखने का सुअवसर मिल सकता है! जब मैं शृंगार पूजा देखने के लिए गर्भगृह में पहुँचा तो वहाँ पुजारियों, पुरोहितों और पंडों के अलावा पहले से ही पचास से भी अधिक श्रद्धालु मौजूद थे, फिर भी जैसे तैसे करके मैं वहाँ लगभग पौन घंटे तक पूरे विधि विधान के साथ बाबा का शृंगार और पूजा होती देखता रहा! बाबा महाकाल की भस्मारती के दर्शन का भी मुझे सौभाग्य मिल चुका है, पर तब हम इस उद्देश्य से गर्भगृह के एकदम बाहर बनाई गैलरी की सीढ़ियों पर बैठे हुए भस्मारती देख रहे थे, पर यहाँ हम गर्भगृह में ही मौजूद थे! शृंगार पूजा का ये दृश्य दिल में सदैव के लिए अंकित हो गया है! शृंगार पूजा के लिए गर्भगृह तक मुझे और मेरे स्वजनों को पहुँचाने में हमारे एक स्थानीय मित्र श्री निखिल कश्यप ने बहुत सहायता की, जो देवघर बाबा धाम के ही एक अन्य मंदिर में पण्डे हैं! इसके अलावा वह YouTube पर भी अपनी चैनल चलाते हैं! मैंने ये भी सुना है कि वह द्वादश ज्योतिर्लिंग और चारों धाम की यात्रा अपनी साइकिल / बाइक से कर चुके हैं! उनकी अनुमति से मैं उनका मोबाइल नंबर 80926 53379 शेयर कर रहा हूँ! यदि आप देवघर जा रहे हैं और बाबा धाम के दर्शन करने हैं तो आप उनसे संपर्क कर सकते हैं! यदि उनके लिए संभव हुआ तो वह आपकी सहायता अवश्य करना चाहेंगे!
यदि आप रुद्राभिषेक करने चाहते हैं तो आपको सुबह होटल में स्नान ध्यान करके चार बजे के आस पास मंदिर में पहुँचना होगा! मेरी पत्नी अपने भैया भाभी और बहनों के साथ सुबह अभिषेक हेतु मंदिर गई थी पर मैं नहीं गया था! मंदिर सुबह 4 बजे खुल जाता है!
शिवगंगा सरोवर में स्नान करके दर्शन करें
बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मार्ग पर मंदिर से कुछ ही पहले, रास्ते में एक बहुत सुंदर, विशाल सरोवर दिखाई देता है जिसमें सैंकड़ों स्त्री-पुरुष और बच्चे नहाते हुए दिखाई देते हैं! मान्यता है कि बाबा के दर्शन से पहले इस सरोवर में स्नान करना चाहिए! लाल रंग के बलुआ पत्थर से बने पक्के घाट, परिक्रमा पथ और फूलों की दुकानें इस सरोवर को भव्य स्वरूप प्रदान करते हैं! मैं तो इस सरोवर के आकर्षण से बंधा वहाँ बहुत देर तक घूमता रहा था! शाम के समय सरोवर के जल में झिलमिलाती हुई लाइट बहुत भली लगती हैं!
देवघर में शक्तिपीठ भी है?
माना जाता है कि जब भगवान शिव सती का शव अपने हाथों में लिए हुए पूरे ब्रह्मांड में तांडव करते हुए घूम रहे थे तो भगवान विष्णु ने पृथ्वी के समस्त प्राणियों को विनाश से बचाने के लिए सुदर्शन चक्र से माँ सती के शव के 51 टुकड़े कर दिये थे! सती का हृदय बाबा बैद्यनाथ धाम में जिस स्थान पर गिरा था वहीं पर शक्तिपीठ की स्थापना हुई! इसीलिए इसे हृदय पीठ भी कहा जाता है! मंदिर में माँ दुर्गा और माँ भवानी (पार्वती) के विग्रह आसपास में ही विराजमान हैं! इस शक्तिपीठ को जयदुर्गा शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है! अनेक दंपत्ति अपने दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए आमने सामने स्थित ज्योतिर्लिंग और माँ पार्वती के मंदिर के गुम्बदों का कलावे से या रेशमी लाल वस्त्र से गठबंधन कराते हैं! दोनों गुम्बदों के बीच में लाल रंग के ऐसे सैंकड़ों धागे / वस्त्र बांधे हुए देखे जा सकते हैं!
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने सती का अंतिम संस्कार यहीं देवघर में बैद्यनाथ धाम में ही किया था! शिव पुराण के अध्याय 38 में इसीलिये इस स्थल को चिता भूमि भी कहा गया है! बैद्यनाथम् चिताभूमौ !
देवघर में और क्या देखना चाहिए?
देवघर में देखने योग्य अनेक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्वपूर्ण स्थल हैं! जैसे –
- बासुकीनाथ मंदिर (दुमका)
- तपोवन पर्वत और गुफ़ाएँ
- त्रिकूट पर्वत रोप वे
- नंदन पहाड़ थीम पार्क
- नौलखा श्रीकृष्ण राधा मंदिर
- सत्संग आश्रम (स्वामी अनुकूलानंद)
- मयूराक्षी नदी पर बांध
इन में से हम जिन जिन स्थानों पर गये, उनका परिचय अलग पोस्ट में दिया जा रहा है! पहले दिन बाबा के दर्शन और शाम को शृंगार पूजा देखिए और अगले दिन सुबह 4 बजे अभिषेक के लिये पुनः मंदिर पहुँच जाइए! अभिषेक के बाद नाश्ता करके अन्य पर्यटन आकर्षण को देखने के लिए न्यूनतम एक दिन चाहिए! हम लोगों ने सुबह नाश्ता करने के बाद होटल से चेक आउट कर लिया था! रात को होटल वालों से ही टैक्सी वालों के दो तीन नंबर ले लिये थे और उनमें से एक से पूरे दिन के लिए टैक्सी तय कर ली थी! होटल से विदा लेकर अपना लगेज टैक्सी की छत पर ही बांध कर पूरा दिन घूमते रहे और रात को खाना खाने के बाद टैक्सी से जसिदीह रेलवे स्टेशन पहुँच गये थे जहां से हमें अपने अगले गंतव्य स्थल वाराणसी के लिये ट्रेन पकड़नी थी!
इस ब्लॉग पर आने के लिए आपका हार्दिक आभार! आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी! नमस्कार!
बहुत सुंदर जानकारी,
यात्रा सम्बंधी सभी जानकारी आपके लेख में बहुत अच्छे से है ????????
बहुत बहुत आभार संदीप जी आपके इस ब्लॉग तक आने के लिए और अपना कमेंट छोड़ने के लिए! इस साईट पर कमेंट एक ही बार अप्रूव करना होता है! अगली बार से आपके कमेंट ऑटो अप्रूव होते रहेंगे! पुनः आभार सहित!
बाबा बैद्यनाथ धाम के बारे में अदभुत जानकारी प्राप्त हुई। हमारे परिवार और गांव से सावन और भादो महीने में कांवर यात्रा को जाते हैं। हमारे अपने पंडा जी भी हैं जहां सबका ठहराव होता है। और वहीं संकल्प कराकर पूजा अथवा
हार्दिक आभार, प्रिय माधव! आपके क्षेत्र से तो देवघर तक की दूरी कम ही होगी! शायद ३०० किमी के आसपास? आप द्वारा दी गई तकनीकी जानकारी का उपयोग करने का प्रयास कर रहा हूँ।