ऋषिकेश में गंगा तट पर निर्वाणा नाम से दो होटल और एक रिसोर्ट हैं जिनके स्वामी गोविंद अग्रवाल एक युवा व्यवसायी तो हैं ही, साथ ही घुमक्कड़ी के शौक़ीन भी हैं! ऐसे में जब कोई घुमक्कड़ घूमता फिरता उनके होटल में जा पहुँचता है तो गोविंद जी उसका दिल खोल कर स्वागत करते हैं! यही मेरे साथ भी हुआ जब गत 23 जनवरी 2024 को दोपहर मैं उनके नव निर्मित होटल निर्वाणा ब्लिस में जा पहुँचा! इससे पहले कि मैं Reception पर खड़ी हुई होटल मैनेजर से कुछ पूछता, पीछे से आवाज़ आई – “आइये सुशांत जी, इधर ही आ जाइए!”। मैंने गर्दन घुमाई तो देखा कि सोफ़े पर गोविंद अग्रवाल बैठे हैं! उन्होंने तपाक से उठ कर हाथ मिलाया! कॉफ़ी की चुस्कियों के बीच उनसे खूब सारी बातें हुईं – उनके परिवार, उनके कारोबार, उनकी घुमक्कड़ी और उनकी अभिरुचियों के बारे में… ! मुझे उम्मीद है कि जितना हमें एक दूसरे के साथ बातचीत में आनंद आया, उतना ही आपको हमारी इस मुलाक़ात के बारे में जानकर आएगा! तो आइए, शुरू करते हैं!
सुशांत सिंहल – आपसे आज पहली बार मुलाक़ात हुई और यह देख कर बहुत आश्चर्य हुआ कि मुझे अपना नाम भी नहीं बताना पड़ा और आपने मुझे देखते ही पहचान लिया!
गोविंद अग्रवाल – मुलाक़ात भले ही न हुई हो पर आपसे मेरा वर्चुअल परिचय तो फ़ेसबुक के माध्यम से कई महीनों से है और मैं आपकी पोस्ट भी नियमित रूप से पढ़ता रहता हूँ! आपकी फ़ोटो भी बहुत बार देखी हैं तो न पहचान पाने जैसी कोई बात ही नहीं थी!
सुशांत – ये भी सही है! मैं भी अगर आपको इस होटल के बाहर ऋषिकेश में कहीं देखता तो तुरंत पहचान लेता ! आपसे मिलने की बहुत तमन्ना थी! आज सुबह स्वर्गाश्रम एरिया में कई जगह आपके होटल के बोर्ड लगे देखे, वह शायद काफ़ी पुराने हैं! उन बोर्ड पर जो फ़ोन नंबर लिखे हुए हैं, वह शायद अब बदल चुके हैं! आपका नंबर मेरे पास था नहीं और बोर्ड पर लिखे नंबर out of service हो चुके हैं शायद!
गोविंद – ये तो अच्छा हुआ जो आपने बता दिया! बोर्ड को बदलवा देते हैं! और सुनाइए, क्या हाल चाल हैं!
सुशांत – सब आनंद है! आप ऋषिकेश में दो होटल – (निर्वाणा पैलेस और निर्वाणा ब्लिस) तथा एक रिसोर्ट – (निर्वाणा रिसोर्ट) के मालिक हैं, इतना तो मैं जानता हूँ! क्या आपका परिवार होटल व्यवसाय से जुड़ा रहा है?
गोविंद – नहीं, ये पुश्तैनी व्यवसाय नहीं है! हम मथुरा वासी थे, पिताजी सन् 74 में ऋषिकेश आ गये और तब से हम यहीं ऋषिकेश के ही स्थाई निवासी हो गये हैं! पिताजी ने यहाँ आकर सड़क किनारे फड़ लगा कर किताबें भी बेचीं, फिर आर्टिफीसियल ज्वेलरी का भी काम जोड़ लिया! धीरे धीरे अपना घर भी बन गया! मेरा जन्म सन् 1982 में हुआ! हम तीन भाई बहिन हैं! जैसे जैसे बड़ा हुआ तो पढ़ाई के साथ साथ पिताजी के साथ उनके कारोबार में भी सहयोग करने लगा! 2005 में शादी भी हो गई! पिताजी का सहयोग करते करते भी मेरे दिल में हमेशा यही बात रही कि अपना होटल बनाना है! आज भगवान की कृपा और बुजुर्गों के आशीर्वाद से तीन होटल चल रहे हैं! लग रहा है कि ज़िंदगी की गाड़ी सही दिशा में आगे बढ़ रही है!
सुशांत – होटल तो आपने निश्चित रूप से बहुत सुंदर बनाया है! जितना कुछ मैंने अभी देखा है, बहुत impressive है!
गोविंद – यह Hotel Nirvana Bliss नाम से है और 2023 में ही बना है, यानी latest addition है! दूसरा Hotel Nirvana Palace के नाम से है, वह भी एक बिल्डिंग छोड़ कर इसी सड़क पर ही है! Nirvana Resort यहाँ से काफ़ी दूर है! जो ऋषिकेश में adventure स्पोर्ट्स की चाहत में आते हैं, उनको रिसोर्ट में रुकना ज़्यादा अच्छा लगता है क्योंकि सारी एडवेंचर ऐक्टिविटीज़ वहीं आस पास ही हैं!
सुशांत – ऋषिकेश में हर रेंज के होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशाला और आश्रमों की पहले से ही भरमार है! ऐसे में आपने किस केटेगरी को टारगेट करते हुए अपने होटल बनाये हैं?
गोविंद – इस होटल को देख कर ही आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये अपर मिडिल और हायर क्लास की ज़रूरतों को ध्यान में रख कर बनाया गया है! मैं सन् 1990 के आसपास से ही देख रहा हूँ कि ऋषिकेश में विदेशी पर्यटकों का आवागमन काफ़ी बढ़ रहा है! अपने देशी पर्यटकों की भी सोच बदल रही है! ऋषिकेश जैसे तीर्थ स्थल पर सिर्फ़ तीर्थयात्री ही नहीं आते, देशी – विदेशी सैलानी भी आते हैं जो ऐसे होटल तलाशते हैं जहां safety, security, health and hygiene, cleanliness, खानपान की क्वालिटी आदि मामलों में compromise न करना पड़े! सारे दर्शनीय स्थल भी easily approachable हों! होटल बनाने की बात तो मेरे मन में हमेशा से ही रही है! इन बदलती ज़रूरतों को समझते हुए मैंने इसी तबके को cater करने का निश्चय किया और मुझे मेरी कोशिश सफल होती दिखाई दे रही है! जो मेहमान यहाँ आते हैं, रुकते हैं उनका positive feedback मिलता है तो विश्वास होता है कि हाँ, मैं सही राह पर हूँ!
सुशांत – लीक छोड़ तीनों चलें – “शायर, सिंह, सपूत !” आपने इस कहावत को सत्य सिद्ध किया है! अपने पिता के कारोबार की दिशा से अलग अपने स्वप्नों को पूरा करना सच में ही अनुकरणीय है! आपकी approach भी बहुत सही और matured है और आपको इसका लाभ भी मिल रहा है! Safety और Security तो हर यात्री का prime concern होता है! मैंने आपके पड़ोस में ही एक आश्रम में स्थान स्थान पर नोटिस बोर्ड लगे देखे जिन पर लिखा है कि यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें! कमरे में कोई भी क़ीमती सामान ना रखें, ताला तोड़ कर चोरी की घटनाएँ होती रहती हैं! अब अगर कहीं सेफ्टी और security ही न हो तो वहाँ कोई कैसे सुरक्षित महसूस कर सकता है!
गोविंद – जी, अमीर हो या गरीब, तीर्थ यात्री हो या सैलानी, देशी हो या विदेशी – सुरक्षा तो हर किसी को चाहिए ही चाहिए!
सुशांत – चलिए, अब थोड़ा स्टीयरिंग घुमा कर घुमक्कड़ी की तरफ़ चलते हैं! मैं तो आपको घुमक्कड़ी ज़िंदाबाद ट्रैवल ग्रुप के माध्यम से ही जानता हूँ! स्वाभाविक ही है कि आपको घूमने का शौक़ होगा तभी ट्रैवल ग्रुप से जुड़े हैं और सक्रिय भी हैं! घुमक्कड़ी और सोशल मीडिया ने आपको क्या क्या दिया है?
गोविंद – Hmmmm! बहुत कुछ! सबसे पहली बात तो ये कि कई सारे बहुत अच्छे, बहुत प्यारे दोस्त मिले हैं! ऐसे दोस्त जिनके साथ होता हूँ तो मैं वही बीस साल पुराना कॉलेज के जमाने वाले गोविंद होता हूँ! होटल में मैं MD हूँ, घर पर पिता हूँ, पुत्र हूँ, पति हूँ, भाई हूँ पर इन दोस्तों के बीच में मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ गोविंद होता हूँ! मुझे डांस का बहुत शौक़ रहा है जो घर परिवार की ज़िम्मेदारियों के चलते इतने सालों में मुझे याद ही नहीं रहा! अब मेरे दोस्तों के बीच में मेरा यही शौक़ मेरी सबसे बड़ी पहचान बन गया है! हम पूरी पूरी रात नाचते – गाते – धूम मचाते रहते हैं, दिन भर घूमते हुए थके होते हैं पर फिर भी सुबह चार बजे तक नहीं सोते!
दूसरी बात ये कि बहुत कुछ नया सीखने को मिल रहा है! नई स्किल्स, नई नई जानकारी सामने आती हैं! हमारे अपने ही ग्रुप में एक से एक धुरंधर भरे पड़े हैं! अकेले रहते हुए मुझे लगता रहा होगा कि मैं बहुत कुछ हूँ पर इन लोगों से मिल कर लगता है कि अरे! मैं तो उनके सामने कुछ भी नहीं हूँ! कोई फ़ोटोग्राफ़ी का एक्सपर्ट है तो कोई वाइल्ड लाइफ के बारे में बहुत गहरी जानकारी लिये बैठा है! सच तो ये है कि हर सब्जेक्ट के जानकार यहाँ मौजूद हैं! अपने देश में ही, देखने और समझने के लिए कितना कुछ है जिसके बारे में मुझे कुछ पता ही नहीं! वह सब कुछ मुझे यहाँ सीखने को मिल रहा है!
सुशांत – सच कहा आपने! ये दुनिया एक किताब है, जितना पढ़ें, कम ही है! बस आँख, कान खुले रखें, सीखने की ललक हो तो जीवन पर्यंत सीखते रह सकते हैं!
गोविंद – मेरे शौक़ में गाने सुनना, गाना, शेरों शायरी, यार दोस्तों के साथ हँसना – खेलना, नाचना – बस यही सब रहे हैं! भले ही मैं कोई अच्छा गायक नहीं हूँ पर अपने दोस्तों के बीच में गाते हुए मैं conscious नहीं होता, मस्ती में गाता रहता हूँ! मैं अच्छा गाता हूँ या बुरा, इसकी चिंता वह करें जिनको सुनना पड़ रहा है, मैं क्यों चिंता करूँ!
सुशांत – ये भी सही है! अगर किसी को मेरा गाना पसंद नहीं है तो ये उसकी प्रॉब्लम है, मेरी नहीं! 😀 कौन कौन से सिंगर आपको पसंद हैं जिनके गाये गाने आप भी गाते गुनगुनाते रहते हैं?
गोविंद – कई सारे हैं! नये सिंगर्स में अरिजीत सिंह का नाम ले सकता हूँ, पुराने singers में किशोर कुमार, मुकेश आदि के गाने बचपन से लुभाते रहे हैं!
सुशांत – वाह, वाह! मुकेश, किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी तो मेरे भी फेवरेट हैं! हो सकता है कि अरिजीत सिंह का गाया कोई गाना भी मुझे पसंद हो, पर मैं अरिजीत का गया हुआ एक भी गीत नहीं पहचानता! कुछ पंक्तियाँ गुनगुना ही दीजिए!
गोविंद – चलिए, दो चार लाइन सुना देता हूँ! अगर सह न सकें तो मुझे बीच में ही टोक दीजियेगा! 🙂
ओह रे ताल मिले नदी के जल में…. ! https://www.facebook.com/1047829930/videos/417720724118314/
सुशांत – वाह! अच्छा गाते हैं आप! कहाँ – कहाँ घूमे हैं आप अब तक …. ?
गोविंद – अभी तक तो बहुत कम घूम पाया हूँ! पिछले साल से ही थोड़ा फ्री महसूस करना शुरू किया है! जब ऐसा लगने लगे कि मेरी absence में भी होटल में सब काम सही से manage हो रहे हैं, तब ही चिंतामुक्त होकर घूमा जा सकता है! शादी के इन 14-15 सालों में मैं अपनी wife को बहुत कम घुमा पाया हूँ, इस बात का मुझे अफ़सोस भी है! पर अभी तक हम दोनों अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में ही लगे रहे हैं! पर हाँ, अब घूमना शुरू कर रहे हैं! South India पूरा ही बचा हुआ है! नार्थ ईस्ट भी देखना है! पिछले एक साल में पहाड़ों की ओर जाना आना होता रहा है! अब पंख थोड़ा और फैलायेंगे! देखिए क्या क्या होता है!
सुशांत – बिलकुल सही कहा आपने! घर परिवार की ज़िम्मेदारियों को पूरा करके निश्चिंत होकर घूमने का आनंद अलग ही है! मैं ख़ुद को भी देखूँ तो retirement के बाद जितना घूमा हूँ उसका दसवाँ हिस्सा भी पहले नहीं घूमा था! बच्चे भी हमें यही कहते हैं कि अब आप दोनों की इंजॉय करने की उम्र है! जितना घूमना चाहें, घूमिये!
आपसे मिल कर, बात करके बहुत आनंद आया! लगा ही नहीं कि आज पहली बार हम साथ साथ बैठे हैं! ये सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा, आगे भी मुलाक़ातें होती रहेंगी, ऐसी आशा है! आज मैंने एक और घुमक्कड़ मित्र के पास रूकने का वायदा किया हुआ है, वरना आज रात मैं यहीं रुक जाता!
गोविंद – जी, मुझे भी बहुत अच्छा लगा आपके साथ बैठ कर! आपका हमेशा स्वागत है! आते रहिए!
सुशांत – जी, ज़रूर! नमस्कार!