प्रिय मित्रों, हमारी एक सप्ताह की रोमांचक दुबई यात्रा आरंभ हो चुकी है जिसका हमें कई महीनों से बेचैनी से इंतज़ार था। आज की इस पोस्ट में मैं आपको बताने जा रहा हूं कि हमने दुबई में आज पहले दिन क्या-क्या मस्ती की, कहां – कहां घूमे। मेरी पहली पोस्ट को पसन्द करने के लिये आप सब का हार्दिक आभार जिसमें आप पढ़ चुके हैं कि हमारा 9 लोगों का दुबई का कार्यक्रम अचानक कैसे बना, कैसे हमने छः दिनों का कार्यक्रम टूर ऑपरेटर से बनवाया, कैसे हम दिल्ली एयरपोर्ट से स्पाइस जैट की फ्लाइट लेकर दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे। यदि न पढ़ा हो तो ये रहा लिंक – https://indiatraveltales.in/lets-go-dubai-01/
दुबई में हमारा पहला दिन (Our first day in Dubai)
दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से अपने अपने वीज़ा और पासपोर्ट पर मुहर लगवा कर और अपने अटैची और बैग आदि लेकर हम बाहर निकले तो हमारे टूर ऑपरेटर ने अपने वायदे के मुताबिक एक मैटाडोर छाप मिनी बस हमारे लिये भेजी हुई थी। ड्राइवर महोदय ने हम सब क सामान गाड़ी में रखा और हम चल दिये सिटी मैक्स होटल की ओर। सबसे पहला होर्डिंग जो सड़क पर लगा दिखाई दिया उस पर लिखा था –
Fine for carrying unauthorised passengers
First time AED 20,000/-
Second time – AED 50,000/-
मतलब ये कि अगर आप बिना अधिकृत दस्तावेज़ के दुबई में घुस आये हैं तो आपके साथ तो जो बर्ताव होगा, वह होगा ही, पर आपको ढोने वाले टैक्सी चालक पर भी इतना मोटा जुर्माना होगा कि वह दिवालिया हो जायेगा! जे हुई ना बात! हमारे देश में तो हमारी सरकार अपराधियों के प्रति बहुत ममत्व भाव रखती है। शायद इसका कारण ये है कि हमारी संसद में और विधान सभाओं में दुर्दान्त अपराधियों की भरमार है। ऐसे में हमारी सरकार अपराधियों के प्रति स्नेह भावना से परिपूरित हो तो इसमें क्या आश्चर्य !!! पर शुक्र है कि दुबई में ऐसा नहीं है।
दुबई की सड़क यातायात प्रणाली (Road Traffic system in Dubai)
इंटरनेशनल एयरपोर्ट दुबई के दियारा वाले भाग में है और अब हम दुबई क्रीक पार करते हुए बर दुबई वाले इलाके में जा रहे थे। कुल दूरी लगभग 7-8 किलोमीटर की ही रही होगी। UAE में सभी चार पहिया वाहन left hand drive हैं अर्थात् ड्राइवर की सीट बाईं ओर होती है जबकि भारत में right hand drive है। इसी के अनुरूप UAE में आपको वाहन सड़क पर दाईं वाली लेन में चलाना होता है जबकि भारत में हम बाईं ओर चलते हैं। अपने दिमाग़ को इस परिवर्तन के लिये तैयार करने में कुछ समय लगता है। यदि हम सड़क पर बाईं ओर चलने के अभ्यस्त हैं तो चौराहे पर दूसरी सड़क पर जाते समय गलती होने की बहुत संभावना होती है। हम बाईं लेन पकड़ना चाहेंगे जबकि पकड़नी है हमें दायीं वाली लेन! 🙁
खैर, व्यस्त सड़कों से होते हुए हम दस-पन्द्रह मिनट में अपने होटल के आगे आ खड़े हुए। सिटी मेक्स होटल के बारे में मैने बहुत R & D की थी, बहुत सारे होटलों के बहुत सारे रिव्यू पढ़े थे। टूर ऑपरेटर ने 4 स्टार होटल सुझाया था, पर मैने रिव्यू के आधार पर इस 3 स्टार होटल को बेहतर मान कर लेना पसन्द किया। आम तौर पर होटल की रैंकिंग वहां उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर तय होती है। यदि हमें कुछ सुविधाएं उपयोग करनी ही नहीं हैं तो खामख्वाह उनके लिये हम अधिक भुगतान क्यों करें? जैसे मैने आजतक कभी किसी होटल में जिम का उपयोग नहीं किया। हर होटल में स्विमिंग पूल होते हुए भी शायद दो बार ही स्विमिंग पूल में उतरने का समय मिला। इन सब सुविधाओं को शामिल करते हुए होटल कमरे का किराया तय करते हैं। मेरे विचार में हमें अगर ये सुविधाएं उपयोग करने में रुचि नहीं है या इन सब के लिये समय ही नहीं मिलेगा तो फिर हमें सस्ते होटल की ओर रुख करना चाहिये।
सिटीमैक्स होटल, बर दुबई (Citymax Hotel, Bur Dubai)
होटल सिटीमैक्स, दुबई में हमारी चार रात के लिये बुकिंग कराई गयी थी और हमें इस होटल में रुकने का एक दिन भी अफ़सोस नहीं हुआ। Entrance to the Hotel Citymax, Bur Dubai.
Note : Citymax होटल का पूरा रिव्यू अलग से दूंगा।
जब हम होटल पहुंचे तो दुबई के स्थानीय समय के अनुसार दिन के 11.45 बज रहे थे। दुबई की घड़ियां भारत से 90 मिनट पीछे चलती हैं। मोबाइल तो अपने आप स्थानीय जरूरतों के हिसाब से सही समय दिखाना शुरु कर चुका था, पर रिस्ट वाच पर मैने प्लेन में से बाहर आते समय डेढ़ घंटा पीछे कर लिया था।
दुबई की परम्परा के अनुसार सिटी मैक्स होटल में भी चेक इन का समय दोपहर 2 बजे का होता है। इसका अर्थ ये कि अभी हमें दो घंटे बाद ही कमरे मिलेंगे। हमारी परेशानी देख कर उन्होंने इतना कर दिया कि एक कमरा हम सब के लिये खोल दिया। कमरा तो अच्छा बड़ा था पर जब 9 लोग 9 अटैची और 18 बैग के साथ कमरे में प्रविष्ट हुए तो विद्या माई की कसम, बिल्कुल पुरानी दिल्ली के प्लेटफार्म वाली फीलिंग आ रही थी!
अब क्या करें? जब कुछ और न सूझे तो खाना खा लेना चाहिये! पुनः बैग खोल कर पूरी – सब्ज़ी – करेला – बिस्कुट – मिठाई – चिप्स – नमकीन – मठरी आदि निकाल कर सबने बड़े प्रेम से लंच किया।
लंच उदरस्थ करने के बाद फिर वही सवाल ! अब क्या करें? हम लोगों को कमरे मिलने में अभी भी एक घंटे का समय था। आज के कार्यक्रम के अनुसार हमें dhow cruise dinner पर ले जाने के लिये 7.30 पर गाड़ी आयेगी। उसमें अभी साढ़े 6 घंटे से भी अधिक का समय था। पांचों महिलाओं के दिमाग़ की बत्ती एक साथ जल उठी। फिर हमारी बातचीत कुछ यूं हुई –
“चलो, मीना बाज़ार चलते हैं!”
“वहां क्या है?”
“ज्वैलरी मार्किट है!”
“तो?”
“देखते हैं, कैसा सामान मिलता है वहां पर!”
“तुम ही तो कहती हो कि दूसरे देश में सामान नहीं खरीदना चाहिये! खराब निकले तो बदलने भी नहीं आ सकते!”
“ठीक है, खरीदेंगे नहीं! देखने तो चलो!”
“मीना बाज़ार कहां है, हमें क्या पता? कैसे जायेंगे वहां?”
“होटल के रिसेप्शन पर पूछ लेते हैं! और आप जो दिन रात गूगल मैप्स खोले बैठे रहते हो, अपने घर से बैंक तक जाने के लिये भी गूगल मैप नेविगेशन ऑन किये रखते हो, बड़ी-बड़ी बातें करते हो कि गूगल मैप्स वालों ने अमेरिका आने को बुलावा भेजा है तो देखो ना अपने गूगल मैप पर कि मीना बाज़ार कहां है!”(बात कुछ खतरनाक मोड़ ले रही थी! 🙁 )
“टैक्सी का भाड़ा बहुत पड़ जायेगा। एक दिरहम का मतलब यहां 20 रुपये है! कम से कम 60 दिरहम तो लग ही जायेंगे 9 लोगों के!”
“पैदल चलेंगे।“ (बाउंडरी पर कैच !)
मीना बाज़ार की पैदल यात्रा (City Walk to Meena Bazar & Back to Hotel)
और कोई बहाना नहीं सूझा तो हम कमरा लॉक करके नीचे रिसेप्शन पर पहुंचे। पता चला कि सिर्फ 2 ढाई किमी पर ही है। सीधी सड़क उधर ही जा रही है। मरता क्या न करता, हम सब सड़क पर झुंड बना कर उस दिशा में चल पड़े जिधर हमें बताया गया था। मजे की बात ये कि हमारी एक दीदी भी बड़े उत्साह से सबसे आगे – आगे चल रही थीं जिन्होंने अभी छः महीने पहले ही घुटने बदलवाये हैं।:-D रास्ते में एक दुकान से 2 दिरहम में पानी की एक बोतल खरीदी और लोगों से पूछते – पूछते पूछते मीना बाज़ार जा पहुंचे। रास्ते में हमें ऐसा लगा ही नहीं कि हम विदेश में घूम रहे हैं।
मीना बाज़ार में पहुंचे तो सब लोग ज्वैलरी की एक दुकान में घुस गये। दुकानदार ने ’आइये, आइये, तशरीफ लाइये’ कह कर स्वागत किया तो हमारा संकोच खत्म हो गया और महिलाएं भी सेल्स गर्ल्स को व्यस्त रखने में व्यस्त हो गयीं।
मीना बाज़ार में वास्तव में भारतीयों का बोलबाला है। यह दुबई के प्राचीनतम बाज़ारों में से एक है और दुबई क्रीक के एकदम पास में है। ज्वैलरी का इससे भी पुराना और बड़ा बाज़ार दुबई क्रीक के दूसरे तट पर है जिसका नाम गोल्ड सूक (Gold Souk) है।दो – चार मिनट में ही ज्वैलरी की दुकान में खड़े – खड़े मुझे उकताहट होने लगी तो मैं बाहर सड़क पर निकल आया। कैलाश पर्वत, मुम्बई मस्ती ज्यूस सेंटर, कामत वेजिटेरियन रेस्टोरेंट जैसे नाम देख कर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि हम विदेश में हैं।
और तो और हमारे रामदेव बाबा के पतंजलि के स्टोर भी देखने को मिल गये। वहीं दुबई म्यूज़ियम भी था पर मैं अकेला तो म्यूज़ियम जाने वाला नहीं था।
जिधर भी देखो, होर्डिंग्स पर करीना कपूर, कैटरीना कैफ, दीपिका पादुकोण जैसी भारतीय अभिनेत्रियां ही छाई हुई थीं। यूं तो सभी प्रकार की दुकानें थीं पर ज्वैलरी की दुकानें जरूरत से ज्यादा थीं।
इधर – उधर भटक कर जब मैं वापिस शोरूम में आया तो श्रीमती जी बोलीं कि यहां तो गोल्ड हिन्दुस्तान से सस्ता है, मेकिंग चार्ज भी बहुत कम है। सबसे बड़ी बात ये कि ये जो 5% वैट लगा रहे हैं, उसका 85% हमें वापिस जाते समय एयरपोर्ट पर इनवॉयस दिखा कर वापिस मिल जायेगा। इस प्रकार यहां दुबई में गोल्ड लगभग 2000 रुपये प्रति 10 ग्राम सस्ता है। यहां पर बेइमानी भी नहीं है। जितने कैरट का बताया जा रहा है, उतने कैरट का ही गोल्ड मिलेगा। उसमें कोई धोखाधड़ी नहीं है। यह सब बताते हुए उनका चेहरा खुशी के मारे ऐसा दमक रहा था कि बस, क्या बताऊं!
मैने कहा कि गोल्ड का इससे भी बड़ा बाज़ार गोल्ड सूक के नाम से है जिसके लिये क्रीक के उस पार जाना पड़ेगा। अभी समय नहीं है। होटल में हमारे कमरे तैयार हो गये होंगे। चल कर आराम करते हैं। शाम को फ्रेश होकर डिनर पर चलेंगे। अभी वापिस चलते हैं।
लुढ़कते – पुड़कते हुए हम तीन किमी चल कर पुनः होटल में आ गये। रिसेप्शन पर अपने – अपने कमरों की चाबी लीं और चौथी मंजिल पर अपने – अपने कमरा नंबर तलाश किये। चाबी से मेरा तात्पर्य ए टी एम कार्ड के आकार के इलेक्ट्रॉनिक कार्ड से है। हम दोनों मियां – बीवी को दो कार्ड मिल गये जो एटीएम कार्ड जैसे ही होते हैं। कमरे के दरवाज़े पर सेंसर के पास लाते हैं तो क्लिक की आवाज़ के साथ लॉक खुल जाता है और अन्दर इसी कार्ड को एक स्लॉट में लगाने से कमरे की लाइट्स, पंखे, ए सी वगैरा आरंभ हो जाते हैं। कमरे से बाहर जायें तो कार्ड को जेब में रखना न भूलें वरना दरवाज़ा लॉक हो जायेगा। कार्ड अन्दर और हम बाहर !
कमरा, बाथरूम, टी.वी., गीज़र, टॉवल, टॉयलेटरीज़ वगैरा सब अपने अपने स्थान पर थीं। आलमारी में झांक कर देखा तो एक इलेक्ट्रॉनिक लॉक वाली सेफ़ भी रखी थी। कमरे से बाहर जाते समय अगर आप अपनी ज्वेलरी व अन्य बेशकीमती सामान बिल्कुल सुरक्षित रखना चाहें तो इस सेफ़ में रख कर जा सकते हैं।
शाम को हम लोगों को हमारे व्हाट्स एप ग्रुप पर संदेश मिल गया कि 7.15 तक रिसेप्शन पर पहुंचना अनिवार्य है क्योंकि हमारी मिनी बस पांच मिनट से अधिक देर तक इंतज़ार नहीं करेगी। वास्तव में 14 सीटर बस में हमारे अलावा 5 सवारियों की और जगह थी। हमारे टूर आपरेटर ने दो कपल्स अन्य किसी होटल में ठहराये थे, और हमारे ड्राइवर ने उनको भी लेते हुए क्रीक पर पहुंचना था, जहां डिनर हेतु हम सब की बुकिंग कराई गयी थी।
खैर, हमारी मैटाडोर ने हमें ठीक 7.30 पर होटल से लिया और पास में ही स्थित एक अन्य होटल से 4 सवारी और लेते हुए हम सब को दो मंजिला स्टीमर के आगे उतार दिया और हमें स्टीमर के डिनर कूपन पकड़ा दिये। हमने इस सजे धजे स्टीमर में प्रवेश किया। अन्दर डिनर हेतु मेजें लगी हुई थीं और संगीत भी चल रहा था। लगभग सभी मेजें खाली देख कर हमें लगा कि हम कुछ ज्यादा ही जल्दी आ गये हैं पर सीढ़ियां चढ़ कर पहली मंजिल पर पहुंचे तो वहां Open air restaurant वाली स्थिति थी और लगभग सभी टेबल पर पर्यटक मौजूद थे। हम वापिस नीचे ही आ गये और तीन मेजों पर बैठ गये। Welcome drink के रूप में दो – तीन विकल्प मौजूद थे। buffet dinner की व्यवस्था भी की गयी थी। ठीक साढ़े आठ बजे ये स्टीमर अपना लंगर उठा कर चल पड़ा। जल में प्रकाश की झिलमिलाहट बहुत भली लग रही थी। डिनर के खत्म होते ही एक पुरुष नर्तक आया और उसने अपनी नृत्य प्रस्तुति दी। फिर वही प्रस्तुति देने के लिये वह ऊपरी मंजिल पर भी गया।
जिन मित्रों को क्रीक की जानकारी नहीं है उनको बता दूं कि क्रीक वास्तव में समुद्र तट पर बसे हुए शहरों में एक प्राकृतिक दरार है जिसमें समुद्र का पानी mainland में घुस आता है। दुबई क्रीक भी ऐसी ही एक दरार है जो लगभग 14 किमी लंबी है। समुद्र तट पर एक स्थान से शुरु होती है और पूरे दुबई को दो हिस्सों में बांटते हुए दूसरे स्थान पर पुनः समुद्र में मिल जाती है। कुछ वर्ष पहले तक ये क्रीक फारस की खाड़ी से आरंभ होकर 14 किमी दूर वाइल्ड लाइफ़ सेंक्चुअरी तक जाती थी पर अब इसकी लंबाई बढ़ा कर इसे फारस की खाड़ी के दूसरे बिन्दु तक बढ़ा दिया गया है।
दुबई क्रीक दुबई का प्रमुख आकर्षण है। इसके दोनों तटों पर ऊंची – ऊंची अट्टालिकाएं मौजूद हैं। एक तट से दूसरे तट पर जाने के लिये जहां वाहनों के लिये चार पुल बने हुए हैं, वहीं नाव की सवारी का भी आनन्द लिया जा सकता है। छोटी वाली नाव, जिसे दुबई में abra कहते हैं, एक व्यक्ति का एक तरफ का किराया 1 दिरहम लेती है। वहीं बड़े दो मंजिला स्टीमर जिसमें हम थे, उस को dhow कहा जाता है। दुबई क्रीक को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार हेतु एक महत्वपूर्ण विरासत मानते हुए इसको गहरा और बड़ा किया गया है ताकि बड़े जहाज भी यहां स्थित बन्दरगाह तक आ जा सकें।
इस नृत्य प्रस्तुति की वीडियो ये रही।
साढ़े दस बजे तक हमारा ये स्टीमर हमें क्रीक में घुमाता फिराता रहा और अन्ततः हमें वहीं वापिस ले आया । उतरने से पहले मैने उस कलाकार के साथ अपनी एक सेल्फ़ी ली, उसको शाबाशी दी और फिर हम भी अपनी मिनी बस में बैठ कर अपने होटल में लौट आये और कैमरा और मोबाइल चार्जिंग पर लगा छोड़ कर सो गये।
अगले दिन की कहानी ज्यादा ही मजेदार रहेगी ये वायदा करते हुए अब आपसे विदा लेता हूं। आपको ये यात्रा पोस्ट अच्छी लगी या बुरी, कृपया कमेंट के रूप में अवश्य बतायें ताकि मैं आपके सुझाव के अनुसार यथावश्यक परिवर्तन कर सकूं। नमस्कार।
हमारी दुबई की एक सप्ताह की मनोरंजक यात्रा की विभिन्न कड़ियां इस प्रकार हैं: –
- दुबई यात्रा – भाग १ (नई दिल्ली से दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट) (IGI International Airport (DEL) to Dubai International Airport (DBX) Spicejet flight SG-011)
- दुबई यात्रा – भाग २ (दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से होटल, मीना बाज़ार और धो क्रूज़ डिनर) (Dubai International Airport to Hotel Citymax, Bur Dubai, Walk to Meena Bazar, Dhow Cruise Dinner at Dubai Creek)
- दुबई यात्रा – भाग ३ (मॉर्निंग वॉक, दुबई मॉल, एक्वेरियम, फ़ाउंटेन, बुर्ज खलीफ़ा, डिनर) (Morning Walk, Dubai Mall, Underground Aquarium, Musical Fountain, Burj Khalifa, Dinner)
- दुबई यात्रा – भाग ४ (दुबई आधा दिन का सिटी टूर) (Half Day City Tour of Dubai)
- दुबई यात्रा – भाग ५ (दुबई डेज़र्ट सफ़ारी) (Dubai Desert Safari)
- दुबई यात्रा – भाग ६ (आबू धाबी – फ़रारी वर्ल्ड, मस्जिद) (Abu Dhabi – Farrari World, The Great Mosque)
- दुबई यात्रा – भाग ७ (दुबई मैजिकल गार्डन और ग्लोबल विलेज, मीना बाज़ार में डिनर) (Dubai Magical Garden & Global Village, Dinner at Meena Bazar)
- दुबई यात्रा – भाग ८ (लापिता रिज़ॉर्ट्स, दुबई पार्क्स) (Lapita Resorts Autograph Collection, Dubai Parks)
- दुबई यात्रा – भाग ९ आउटलेट मॉल, दुबई फ़्रेम, दुबई मेट्रो से दुबई मॉल, दुबई मेट्रो से दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नई दिल्ली एयरपोर्ट पर वापसी (Outlet Mall, Dubai Frame, Dubai Metro Ride for Dubai Mall, Dubai Metro ride for Dubai Airport, Return journey to Delhi Airport)
वाह, बेहद आनंद आया आपकी मधुर स्मृति पढ़ कर।
प्रिय विकास नारदा जी,
आप संभवतः पहली बार ही इस यात्रा ब्लॉग पर आये हैं, आपका हार्दिक आभार । आपने बिना पहला भाग पढ़े, दूसरा भाग पढ़ा है संभवतः ! यदि चाहें तो पहला भाग भी पढ़ सकते हैं।
सादर सस्नेह
सुशान्त सिंहल
Pingback: दुबई घुमा लाऊं आपको भी? भाग – 01 – India Travel Tales
बहुत बढ़िया। 2 भाग पढ़ कर आपका पूरा यात्रा वृतांत पढ़ने की बहुत उत्सुकता है.
आनंद ही आनंद, बेहद शानदार लेख.. सही कहा दुबई में पता ही नहीं लगता कि हम विदेश में हैं इसका सबसे बड़ा कारण है कि वहाँ ज़्यादातर लाेग थाेड़ी थाेड़ी हिन्दी बाेल लेते हैं और ताे और मीना बाज़ार में अपना रूपया भी चल जाता है 👌🏻👌🏻
प्रिय शुभम मिश्रा, हार्दिक आभार। मुझे भी यही लगता है कि हम जहां भी जाते हैं, कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। जगह चाहे अच्छी हों या बुरी, हम उनसे सीख सकते हैं। हमें दूसरे शहरों में, देशों में जाकर जो अच्छा लगा, वह हमारे शहर में भी हो, और जो बुरा लगा, उसका हम अपने शहर में भी खयाल रखें – यदि हम ऐसा कुछ कर सकें तो सब जगह अच्छी ही अच्छी हो जायेंगी।
अगली पोस्ट शाम तक पोस्ट कर सकूं, ऐसा प्रयास करूंगा।
Pingback: दुबई घुमा लाऊं आपको भी? भाग 03 - India Travel Tales
बहुत अच्छी यात्रा चल रही ह अंकल जी,आप भी अपनी धुन में आ चुके हो
“कमरा तो अच्छा बड़ा था पर जब 9 लोग 9 अटैची और 18 बैग के साथ कमरे में प्रविष्ट हुए तो विद्या माई की कसम, बिल्कुल पुरानी दिल्ली के प्लेटफार्म वाली फीलिंग आ रही थी!”
पहले भाग में य लय कम ही दिखाई दे रही थी