- यात्रा सहारनपुर से नैनीताल की
- काठगोदाम से भीमताल होते हुए नैनीताल
- नैनीताल – एक अलसाई हुई सुबह
- नैनी झील में बोटिंग
- चांदनी चौक रेस्टोरेंट – माल रोड
नैनीताल की नैनी झील में आधा घंटा बोटिंग करने के बाद जब मैं तल्लीताल इलाके में आकर उतरा तो यह देख कर बड़ा अच्छा लगा कि कुछ नाव और सफाई कर्मचारी झील की सफाई में निरंतर लगे रहते हैं। झील में कोई भी खाद्य पदार्थ, पॉलिथिन इत्यादि लेकर जाना तो सख्ती से मना है ही, कोई भी स्थानीय व्यक्ति मुझे ऐसा नहीं दिखाई दिया जो हमारे शहर की पांवधोई या ढमोला नदी की तरह उसे कूड़ेदान समझे हुए बैठा हो। इस दृष्टि से देखा जाये तो नैनीताल की झील श्रीनगर की डल झील की तुलना में बहुत साफ सुथरी है। डल झील में तो पर्यटकों के निवास के लिये सैंकड़ों हाउस बोट मौजूद हैं जो होटल के रूप में उपयोग में आते हैं। स्वाभाविक ही है कि इन हाउस बोट में शौचालय भी हैं, स्नानागार भी हैं और रसोई भी! जो भी गंदगी होती है, वह सब डल झील के हवाले कर दी जाती है। हाउस बोट में जल की आपूर्ति भी इसी डल झील से होती है। अब झील की सफाई प्रकृति ही करे तो करे।
18 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई डल झील लगभग 10000 परिवारों के 50000 व्यक्तियों की जीविका का माध्यम है जो या तो डल झील में ही रहते हैं या झल झील पर अपनी रोजी-रोटी के लिये आश्रित हैं। जब डल झील की सफाई की बात आती है तो इन 50,000 लोगों को विस्थापित करने की समस्या आड़े आ जाती है जो स्वयं में एक भागीरथ प्रयास ही होगा। करोड़ों रुपये के इस प्रोजेक्ट के लिये सारा धन केन्द्र सरकार ही दे रही है पर जम्मू काश्मीर सरकार इन 50000 लोगों को विस्थापित करने पर आने वाले सारे खर्च को भी केन्द्र सरकार पर ही डालना चाह रही है। सुना है, सारी हाउस बोट को अब सीवर लाइन से जोड़ने का प्रयास चल रहा है। विषयान्तर के लिये क्षमा याचना करते हुए बस इतना ही कहूंगा कि नैनी झील के साथ ऐसा कुछ नहीं है और इस झील की सफाई एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
झील से बाहर निकला तो भूख अनुभव हो रही थी। सोच ही रहा था कि कहां – क्या खाया जाये, तभी माल रोड पर सामने ही एक विचित्र सा रेस्टोरेंट दिखाई दिया जिसमें एक ट्रैफिक पुलिस का बन्दा खड़ा हुआ था और लोगों को दाईं ओर जाने का संकेत कर रहा था। पास जाकर देखा तो पता चला कि वह असली पुलिस वाला नहीं है, वह इंसान भी नहीं है, वह तो मात्र एक बुत है। रेस्टोरेंट का नाम पढ़ा तो और भी आश्चर्य हुआ क्योंकि उसका नाम रखा गया है – ’चांदनी चौक’! सोचा, नैनीताल घूमने आया हूं तो यहां का चांदनी चौक भी देख लूं। अन्दर प्रवेश किया तो हैरान रह गया। लोग खाने पीने में कम और फोटो खींचने के काम में अधिक व्यस्त थे। किन्हीं प्रताप महोदय का चांदनी चौक रेस्टोरेंट 100 – 150 साल पुराने चांदनी चौक की स्मृति में बनाया गया प्रतीत होता है जिसमें प्रकाश व्यवस्था के लिये भी स्ट्रीट लैंप लगे हुए हैं। सारी आंतरिक सज्जा दिल्ली के चांदनी चौक की स्मृति दिलाते रहने के लिये ही की गयी है।
बस वर्णन इतना ही, आगे की कहानी चित्र ही कहें तो बेहतर ….
नैनीताल-मालरोड-चांदनी चौक रेस्टोरेंट-01
वाकई ये तो अदभुत है। मैंने कैसे मिस कर दिया ।
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