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रामोजी फिल्म सिटी – एक अविस्मरणीय अनुभव

प्रिय मित्रों,
रामोजी फिल्म सिटी (Ramoji Film City) को समर्पित मेरी ये तीसरी व अन्तिम पोस्ट है। निश्चय ही दुनिया में ऐसे बहुत कम स्थान होंगे जिनका बखान करने के लिये मुझे तीन पोस्ट लिखने की इच्छा व आवश्यकता हो। आज इस अंतिम पोस्ट में रामोजी फिल्म सिटी के कुछ और अद्‌भुत आकर्षणों का परिचय दे रहा हूं –

बाहुबली का सैट (Bahubali sets at Ramoji Film City:  रामोजी फिल्म सिटी को जन-जन तक पहुंचाने में और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने में बाहुबली फिल्मों का बहुत बड़ा हाथ है। यह सैट बहुत भव्य व विशाल क्षेत्र में फ़ैला हुआ होने के कारण सबसे बड़ा आकर्षण का केन्द्र आज तक भी बना हुआ है।  वज़ह यही है कि आम फिल्म दर्शक बाहुबली के अद्‌भुत दृश्यों को आज तक भी भुला नहीं पाये हैं।  बात सिर्फ़ सेट्स की ही नहीं है। जिस सृजनात्मकता के साथ ये फिल्में शूट हुईं, एडिट हुईं और इनमें स्पेशल इफ़ेक्ट्स डाले गये, उन्होंने एक ऐसा माया जाल रचा है जिसे भुला पाना असंभव सा ही है।

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Artificial rain and snow fall at Ramoji Film Cityप्रिंसेस स्ट्रीट (Princess Street) :  यदि किसी फिल्म निर्माता को अपनी फिल्म में लंदन, न्यू यार्क, पेरिस की सड़कों पर कुछ दृश्य फ़िल्माने की तमन्ना है तो उसे अपनी पूरी टीम को लेकर 15-20 दिन के लिये विदेश जाने की जरूरत नहीं है।  वह रामोजी स्टूडियो में ही लंदन, न्यू यॉर्क और पेरिस के भवन और सड़कें आराम से दिखा सकता है और किसी को पता नहीं चलेगा कि ये सब कुछ नकली सेट्स हैं।   यहां हमने नकली बारिश और नकली स्नो फ़ॉल के भी मजे लिये। सड़क किनारे पर पड़ी हुई एक बेंच पर एक स्टेच्यू के साथ फोटो खिंचवाने के लिये उसकी बगल में बैठे तो पता चला कि वह स्टेच्यू नहीं है, एकदम असली और जिन्दा लड़का है!  🙂

कृपालु केव्ज़ (Kripalu Caves) : अगर किसी फ़िल्म निर्माता को अजन्ता और एलोरा की गुफाओं में हीरो – हीरोइन को दिखाना है, तो उसका जुगाड़ भी कृपालु केव्ज़ के रूप में मौजूद है।  बिल्कुल वास्तविक मूर्तियों जैसी ही मूर्तियां पत्थरों में यहां भी गढ़ दी गयी हैं।   सच में, गोलमाल है भई सब गोलमाल है!

रामोजी फिल्म सिटी के भीतर आपको अजन्ता एलोरा की गुफ़ाओं के दर्शन भी हो सकते हैं।  नकल भी ऐसी जो असल को मात दे!
रामोजी फिल्म सिटी के भीतर आपको अजन्ता एलोरा की गुफ़ाओं के दर्शन भी हो सकते हैं। नकल भी ऐसी जो असल को मात दे!
रामोजी फिल्म सिटी में कृपालु केव्ज़ को देखे बिना आपका टूर अधूरा ही रह जायेगा।
रामोजी फिल्म सिटी में कृपालु केव्ज़ को देखे बिना आपका टूर अधूरा ही रह जायेगा।
बौद्ध व हिन्दू मूर्ति कला के अद्‌भुत नमूने यहां उपलब्ध हैं जो शूटिंग में भी उपयोग होते हैं और पर्यटकों के मनोरंजन के लिये भी।
बौद्ध व हिन्दू मूर्ति कला के अद्‌भुत नमूने यहां उपलब्ध हैं जो शूटिंग में भी उपयोग होते हैं और पर्यटकों के मनोरंजन के लिये भी।

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Theme park at Ramoji Film City Hyderabadइको टूर (Eco Tour) : रामोजी फ़िल्म सिटी के इस भाग में देश – विदेश की झलक देने वाले अनेकानेक थीम गार्डन हैं। अगर कहीं शूटिंग न चल रही हो तो आप इन सब गार्डन को देखने के लिये स्वतंत्र हैं।  अक्सरी गार्डन, केरल की पाम स्ट्रीट, जापानी गार्डन, तितलियों का अद्‌भुत पार्क, पूरे एशिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण चिड़िया घर यहां पर देखने के लिये उपलब्ध है।  इंसान की ऊंचाई की ostrich और उनके एक – एक किलो के अंडे यहां देखिये और दांतों तले उंगली दबाते रहिये।   सबसे अच्छी बात ये लगी कि यहां पर चिड़ियाएं किसी छोटे से सींखचे में बन्द  नहीं कर दी गयी हैं।  उनको घूमने – फिरने की, उड़ने की काफ़ी हद तक आज़ादी है।  उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिये डॉक्टरों की पूरी एक टीम और अस्पताल भी है जहां उनके स्वास्थ्य की नियमित जांच पड़ताल होती है।

तितली पार्क : रामोजी फिल्म सिटी में एक विशाल क्षेत्र में बटरफ़्लाई पार्क भी मौजूद है जहां रंग बिरंगी हज़ारों तितलियां कभी इस गाल पर तो कभी उस गाल पर घूमती रहती हैं और आपका मन मोहती रहती हैं। यही नहीं, तितलियों के बारे में ज्ञानवर्द्धन के लिये अलग से एक हॉल में स्लाइड्स भी प्रदर्शित की गयी हैं।

सूर्य देवता अस्ताचल की ओर बढ़ रहे थे और हमें भी औरंगाबाद जाने के लिये सिकंदराबाद स्टेशन से ट्रेन पकड़नी थी अतः न चाहते हुए भी रामोजी फिल्म सिटी को बाय – बाय कह कर हम वापिस शटल सर्विस वाली बस में आ बैठे जिसमें लगभग 15 मिनट में हमें निकास द्वार पर उतार दिया।  हमें मालूम था कि अभी देखने और मस्ती करने के लिये बहुत कुछ और भी है और शायद हमने सिर्फ़ ऊपर – ऊपर से ही यहां के विभिन्न आकर्षणों को देखा है, पर मजबूरी थी।  अगर हमें उस समय पता चल जाता कि हमारी औरंगाबाद जाने वाली ट्रेन डेढ़ घंटा लेट है तो हम भी दो घंटे और यहीं रुक सकते थे ताकि म्यूज़िकल शो, स्टंट शो वगैरा देख सकें।   पर चलो, एक बार फिर आयेंगे और बच्चों को भी साथ लायेंगे, यह ठान कर हम रामोजी से निकल कर अपनी वैन में जा बैठे जिसने हमें 7 बजे शाम को सिकंदराबाद स्टेशन पर छोड़ दिया।  ये टेम्पो ट्रेवलर हमारे साथ तीन दिन से थी और अब हमारी महाराष्ट्र यात्रा कल से आरंभ होने जा रही थी जिसमें औरंगाबाद, शनि शिंगणापुर, शिरडी, नासिक, भीमाशंकर, लोनावला, खंडाला और मुम्बई शामिल थे। 

सिकंदराबाद स्टेशन का प्लेटफ़ॉर्म !  ट्रेन डेढ़ घंटा लेट है तो एक फोटो ही सही। स्टेशन पर pre-paid air-conditioned waiting room देख कर हम उसमें ही जा बैठे।  दो-तीन साथी बाज़ार से खाना पैक करा लाये थे, सो फ़्रेश होकर हम सबने भोजन किया।  प्लेटफ़ॉर्म पर ये इलेक्ट्रिक कार थीं तो सहीं पर इनमें सवारी काफी महंगी पड़ रही थी। ट्रेन आने में अभी भी काफी समय था तो मैं यूं ही स्टेशन पर इधर उधर टहलता रहा। प्लेटफ़ॉर्म पर मसाज वाली कुर्सी और उसकी संचालिका दिखाई दी तो मैने 80/- में उससे अपनी मसाज भी करा ली । 9.15 के करीब ट्रेन आई और हम उसमें सवार होकर अपनी – अपनी बर्थ पर निद्रा देवी की गोद में समा गये। 

सुबह हमारी ट्रेन को 5 बजे के लगभग औरंगाबाद पहुंच जाना चाहिये था, पर रात जितनी लेट चली थी, औरंगाबाद भी उतनी ही लेट चलती रही और हम 7 बजे औरंगाबाद स्टेशन पर लिफ्ट / एस्केलेटर आदि का उपयोग करते हुए बाहर आ गये जहां हमें हमारी नयी टेम्पो ट्रेवलर और नया गाइड – कम – वाहन चालक मिलने वाला था। आज की कहानी इतनी ही।  कल फिर मिलेंगे, तब तक के लिये नमस्कार दोस्तों !  

Pre-paid A.C. Waiting Room facilities
Pre-paid A.C. Waiting Room facilities
Charges for pre-paid waiting hall at Secunderabad Railway Station
Charges for pre-paid waiting hall at Secunderabad Railway Station
Like airport terminals, Railways have started letting out space to corporates to increase their income.
Like airport terminals, Railways have started letting out space to corporates to increase their income.
सुबह सात बजे औरंगाबाद स्टेशन के बाहर अपनी टेंपो ट्रेवलर की इंतज़ार !
सुबह सात बजे औरंगाबाद स्टेशन के बाहर अपनी टेंपो ट्रेवलर की इंतज़ार !

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